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Lokesh Pal
October 18, 2025 01:48
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तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने विजय की रैली में हुई दुखद भगदड़ भारतीय राजनीति में व्यक्ति-पूजा के घातक जोखिमों को रेखांकित करती है, जहाँ नायक भक्ति प्रायः लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं के प्रति प्रतिबद्धता पर हावी हो जाती है।
सच्चा लोकतंत्र श्रद्धा से नहीं, तर्क से पनपता है। जैसा कि अंबेडकर ने चेतावनी दी थी, राजनीतिक भक्ति पतन की ओर ले जाती है। भारत को नेता-पूजा से संवैधानिक नागरिकता की ओर बढ़ना होगा, भावनात्मक भक्ति के बजाय नैतिक जागरूकता, संस्थागत सम्मान और तर्कसंगत नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देना होगा।
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