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दक्कन ज्वालामुखीयता

Lokesh Pal January 16, 2025 02:26 21 0

संदर्भ

एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि दक्कन ज्वालामुखीय गतिविधियों ने स्थलीय जीवों पर विनाशकारी प्रभाव डाला, जैसे कि डायनासोर का विलुप्त होना, तथापि उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर इसका केवल क्षेत्रीय एवं अल्पकालिक प्रभाव पड़ा।

  • उष्णकटिबंधीय वनस्पतियाँ: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की विशेषता वाली वनस्पति, जो अपनी अविश्वसनीय विविधता, हरियाली और प्रचुरता के लिए जाना जाता है।
    •  उदाहरणों में वर्षावन, मैंग्रोव और सवाना शामिल हैं।
  • एंजियोस्पर्म (Angiosperms): पुष्पित पौधे, जिनके फल के भीतर बीज उपस्थित होता है।
    • ये पौधों का सबसे विविध समूह हैं, जो अधिकांश स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों पर प्रभावी हैं। उदाहरणों में गुलाब, ऑर्किड और ओक के वृक्ष शामिल हैं।
  • जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms): बीज वाले पौधे जो फूल या फल प्रदान नहीं करते हैं।
    • इनके बीज आम तौर पर शंकु की सतह पर उगते हैं। उदाहरणों में चीड़ के पेड़, साइकैड (Cycads) और जिन्कगो (Ginkgoes) शामिल हैं। 

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर न्यूनतम प्रभाव: दक्कन ज्वालामुखीयता का उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों पर सीमित नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिसका प्रभाव क्षेत्रीय एवं अल्पकालिक था।
  • एंजियोस्पर्म (Angiosperm) विकास पर सकारात्मक प्रभाव: ज्वालामुखी गतिविधियों ने अप्रत्यक्ष रूप से विविध उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों के विकास का समर्थन किया।
    • इसने डायनासोर और जिम्नोस्पर्म जैसे बड़े जीव समुदायों को समाप्त कर दिया, जिससे अप्रभावित, उपजाऊ आवासों का निर्माण हुआ।
    • सुसुप्त ज्वालामुखी चरणों के दौरान गर्म और आर्द्र जलवायु ने एंजियोस्पर्म को बढ़ने तथा विविधता लाने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान कीं।
  • उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों का लचीलापन: क्रेटेशियस-पेलोजेन (K-Pg) बड़े पैमाने पर विलुप्त होने में योगदान देने वाली जहरीली ग्रीनहाउस गैसों के उत्स्सर्जन के बावजूद, उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों ने उच्च लचीलापन प्रदर्शित किया और उप-सहस्राब्दी समय-सीमा पर ठीक हो गईं।
  • आधुनिक जलवायु परिवर्तन के लिए सबक: अध्ययन से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को अगर अप्रभावित छोड़ दिया जाए, तो अनुकूल जलवायु परिस्थितियों में तेजी से ठीक होने की क्षमता है।

नियरेस्ट लिविंग रिलेटिव (Nearest Living Relative-NLR) और सह-अस्तित्व दृष्टिकोण (Coexistence Approach-CA)

  • ‘नियरेस्ट लिविंग रिलेटिव’ (Nearest Living Relative-NLR) दृष्टिकोण और सह-अस्तित्व दृष्टिकोण (CA) विलुप्त प्रजातियों का अध्ययन करने के दो अलग-अलग तरीके हैं।
  • नियरेस्ट लिविंग रिलेटिव (Nearest Living Relative-NLR) दृष्टिकोण: किसी विलुप्त प्रजाति की तुलना उसके ‘नियरेस्ट लिविंग रिलेटिव’ से करता है ताकि उसकी संभावित पारिस्थितिकी, व्यवहार और शरीर क्रिया विज्ञान को समझा जा सके।
  • सह-अस्तित्व दृष्टिकोण (Coexistence Approach): पर्यावरण को पुनः व्यवस्थित करने के लिए विलुप्त प्रजातियों एवं उसी पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों के बीच संबंधों को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है।

अध्ययन के लिए प्रयुक्त पद्धति

  • नमूना संग्रह: महाराष्ट्र के यवतमाल (Yeotmal) में 17 मीटर मोटी तलछटी शृंखला से मडस्टोन (Mudstone) और क्लेस्टोन (Claystone) सहित तलछटी चट्टान के नमूने एकत्र किए गए।

  • पैलिनोलॉजिकल विश्लेषण (Palynological Analysis): बायोस्ट्रेटीग्राफी को समझने और पैलियोइकोलॉजी (Paleoecology), पैलियोक्लाइमेट (Paleoclimate) और पैलियोबायोज्योग्राफी (Paleobiogeography) का पुनर्निर्माण करने के लिए पराग, बीजाणु और कार्बनिक पदार्थ निकाले गए और उनका अध्ययन किया गया।

  • विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: पैलियोइकोलॉजिकल और पैलियोक्लाइमैटिक मॉडलिंग के लिए नियरेस्ट लिविंग रिलेटिव (Nearest Living Relative-NLR) दृष्टिकोण और सह-अस्तित्व दृष्टिकोण (Coexistence Approach) का उपयोग किया गया।
    • पैलियोबायोज्योग्राफिक पुनर्निर्माण भी किया गया।

दक्कन ज्वालामुखीयता के बारे में

  • दक्कन ज्वालामुखीयता से तात्पर्य भारत में दक्कन के पठार पर होने वाली व्यापक ज्वालामुखी गतिविधियों से है, जो मुख्य रूप से क्रेटेशियस-पेलियोजीन संक्रमण (Cretaceous-Paleogene Transition) के दौरान, लगभग 66 मिलियन वर्ष पूर्व घटित हुई थीं।

दक्कन ज्वालामुखीयता की मुख्य विशेषताएँ

  • दक्कन ट्रैप का निर्माण: दक्कन ट्रैप में विशाल, बाढ़ के बेसाल्ट संस्तर शामिल हैं, जो व्यापक लावा प्रवाह द्वारा निर्मित हुए हैं।
    • ये भू-गर्भीय विशेषताएँ मध्य एवं पश्चिमी भारत के महत्त्वपूर्ण भागों को कवर करती हैं और इनके कारण दक्कन के पठार (Deccan Plateau) का निर्माण हुआ।
  • रीयूनियन हॉटस्पॉट: ज्वालामुखी गतिविधियाँ तब हुई, जब भारतीय प्लेट रीयूनियन हॉटस्पॉट पर उत्तर की ओर बढ़ी, जो अब रीयूनियन द्वीप पर स्थित है।
  • मृदा निर्माण: इन विस्फोटों से बेसाल्ट के अपक्षय के परिणामस्वरूप काली या रेगुर मृदा का निर्माण हुआ, जो अपनी उर्वरता के लिए जानी जाती है।
  • जलवायु प्रभाव: इस विस्फोट से कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर एरोसोल जैसी ग्रीनहाउस गैसों का बड़ी मात्रा में उत्सर्जन एवं उद्गार हुआ।
    • इससे वैश्विक जलवायु में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिसमें ग्लोबल वार्मिंग और अम्लीय वर्षा शामिल है।
    • इन जलवायु व्यवधानों ने नॉन-एवियन डायनासोर सहित विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने में योगदान दिया।

सामूहिक विलुप्ति की घटनाएँ (Mass Extinction Events)

  • सामूहिक विलुप्ति विनाशकारी घटनाएँ हैं, जो पृथ्वी पर जैव विविधता के तेजी से और व्यापक नुकसान का कारण बनती हैं। ये घटनाएँ अक्सर पृथ्वी की जलवायु, कार्बन चक्र में भारी बदलाव या क्षुद्रग्रहों के टकराने अथवा बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट जैसी विनाशकारी घटनाओं के कारण होती हैं।

क्रिटेशियस-पेलियोजीन (K-Pg) विलुप्ति

  • 66 मिलियन वर्ष पहले घटित हुआ, जो मेसोजोइक युग (Mesozoic Era) के अंत का प्रतीक है।
  • मैक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप (Yucatan Peninsula) के पास एक विशाल क्षुद्रग्रह के टकराने से 120 मील चौड़ा गड्ढा बन गया। 
  • प्रभाव
    • टकराव बिंदु के 900 मील के क्षेत्र में वनाग्नि का फैलाव।
    • वायुमंडल में मलबे एवं सल्फर के कारण वैश्विक शीतलन का प्रभाव देखा गया।
    • सुनामी एवं पारिस्थितिकी तंत्र का पतन।
  • गंभीर कारक: अनुमान लगाया गया कि भारत में दक्कन ज्वालामुखीयता विस्फोटों के कारण जलवायु परिवर्तन में वृद्धि हुई हो।
  • परिणाम: नॉन-एवियन डायनासोर सहित सभी प्रजातियों की 76% आबादी विलुप्त होना।

प्रमुख सामूहिक विलुप्ति घटनाएँ

घटनाएँ

अवधि (लाखों वर्ष पूर्व)

कारण

विलुप्ति दर

उल्लेखनीय ह्रास

ऑर्डोविशियन-सिलुरियन (Ordovician-Silurian) 444 हिमनदी और समुद्र-स्तर में गिरावट ~85% समुद्री प्रजातियाँ
लेट डेवोनियन (Late Devonian) 375 ओशन एनोक्सिया और जलवायु परिवर्तन ~75% रीफ-निर्माणकारी जीवों का ह्रास
पर्मियन-ट्राइसिक (Permian-Triassic) 252 ज्वालामुखी गतिविधियाँ, मेथेन उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग ~96% समुद्री और स्थलीय प्रजातियाँ
ट्रायेसिक-जुरासिक (Triassic-Jurassic) 201 ज्वालामुखी और कार्बन चक्र व्यवधान ~80% प्रारंभिक डायनासोर, समुद्री प्रजातियाँ
क्रिटेशियस-पेलिओजीन (Cretaceous-Paleogene) 66 क्षुद्रग्रह संघट्ट, दक्कन ज्वालामुखीयता  ~76% नॉन-एवियन डायनासोर, समुद्री जीवन

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