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जैव विविधता के कारण ‘संरक्षित’ क्षेत्रों में गिरावट

Lokesh Pal October 29, 2024 02:21 38 0

संदर्भ

हाल ही में लंदन स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (Natural History Museum- NHM) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर की तुलना में उनके भीतर जैव विविधता अधिक तेजी से घट रही है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • संरक्षित क्षेत्रों के अंदर जैव विविधता में तेजी से गिरावट: वर्ष 2000 से 2020 तक संरक्षित महत्त्वपूर्ण जैव विविधता क्षेत्रों (Critical Biodiversity Areas-CBA) के भीतर जैव विविधता में 2.1 प्रतिशत अंकों की कमी आई है।
    • आश्चर्यजनक रूप से, गैर-संरक्षित CBA में जैव विविधता में 1.9 प्रतिशत अंकों की थोड़ी कम गिरावट देखी गई। यह निष्कर्ष बताता है कि संरक्षित क्षेत्रों में संरक्षण के लिए मौजूदा दृष्टिकोण अपर्याप्त हो सकता है।
  • जैव विविधता अक्षुण्णता सूचकांक (Biodiversity Intactness Index- BII) में गिरावट: वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2000 तथा वर्ष 2020 के बीच BII में 1.88 प्रतिशत अंकों की कमी आई, जो वर्तमान संरक्षण प्रथाओं की सीमाओं को उजागर करता है।
    • BII एक माप है, जो यह अनुमान लगाता है कि किसी क्षेत्र में कितनी प्राकृतिक जैव विविधता शेष है।
  • संरक्षित क्षेत्रों में चुनौतियाँ
    • आंशिक पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण: कई संरक्षित क्षेत्र संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के बजाय विशिष्ट प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे ‘जैव विविधता अक्षुण्णता’ (Biodiversity Intactness) कम हो जाती है।
    • मौजूदा गिरावट: कुछ संरक्षित क्षेत्र अपने नामकरण से पहले ही जैव विविधता हानि का अनुभव कर रहे थे, जिससे उन्हें पूरी तरह से पुनर्स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो गया।
    • संसाधन निष्कर्षण: संरक्षित क्षेत्रों के भीतर तेल, गैस और खनन रियायतें एक महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करती हैं।
      • उदाहरण के लिए, कांगो गणराज्य में कोंकौटी-डौली राष्ट्रीय उद्यान का 65% से अधिक भाग तेल और गैस क्षेत्र के नियंत्रण में है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु संकट के कारण सूखे और वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि ने संरक्षित क्षेत्रों को और अधिक क्षतिग्रस्त कर दिया है।
      • ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उद्यान, जो दुनिया के सबसे कड़े संरक्षण वाले उद्यानों में से हैं, को वर्ष 2019 की वनाग्नि के दौरान भारी क्षति हुई।

संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas) क्या हैं? 

  • संरक्षित क्षेत्र प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण के लिए नामित क्षेत्र हैं।
  • इनमें राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और महत्त्वपूर्ण जैव विविधता क्षेत्र (CBA) शामिल हैं, जिनमें आर्द्रभूमि और वर्षावन जैसे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं।
  • इन क्षेत्रों का उद्देश्य मानवीय गतिविधियों को सीमित करना, लुप्तप्राय प्रजातियों को शरण देना और जैव विविधता को संरक्षित करना है।
  • भारत के संरक्षित क्षेत्र: भारत में 1014 संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क है, जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5.28% हिस्सा कवर करता है।
  • भारत में संरक्षित क्षेत्रों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। इसमें संरक्षित क्षेत्रों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
    • राष्ट्रीय उद्यान (106)
    • वन्यजीव अभ्यारण्य (573)
    • संरक्षण रिजर्व (115)
    • सामुदायिक रिजर्व (220)
  • संरक्षित क्षेत्र के लिए वैश्विक लक्ष्य: जैव विविधता COP15 में अपनाई गई 30×30 पहल का लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व की कम-से-कम 30% भूमि और महासागरों का संरक्षण करना है।
    • अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माताओं द्वारा समर्थित यह लक्ष्य जैव विविधता की हानि को रोकने और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को सुरक्षित करने के लिए संरक्षित क्षेत्र कवरेज का विस्तार करने पर जोर देता है।

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (NHM)

  • यह जीवन और पृथ्वी विज्ञान के नमूनों का संग्रहालय है, जिसमें 5 मुख्य संग्रहों में लगभग 70 मिलियन वस्तुएँ शामिल हैं, जो संबंधित है:- वनस्पति विज्ञान, कीट विज्ञान, खनिज विज्ञान, जीवाश्म विज्ञान और प्राणी विज्ञान।
  • यह संग्रहालय अनुसंधान का एक विश्व प्रसिद्ध केंद्र है, जो वर्गीकरण, पहचान और संरक्षण में विशेषज्ञता रखता है।

संरक्षित क्षेत्रों के लिए सिफारिशें

  • संवर्द्धित संरक्षण प्रयास: शोधकर्ता इस बात पर बल देते हैं कि केवल संरक्षित क्षेत्र का विस्तार करना पर्याप्त नहीं है।
    • संरक्षण नीतियों को केवल कवरेज लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ही नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता को बनाए रखने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • सख्त सुरक्षा उपाय: सुरक्षा को मजबूत करना और संसाधन निष्कर्षण जैसे मौजूदा खतरों से निपटना आवश्यक है।
    • नीति निर्माताओं को जलवायु संबंधी जोखिमों पर भी ध्यान देना होगा, जो इन क्षेत्रों में जैव विविधता की हानि को बढ़ाते हैं।
  • अनुकूलित समाधानों के लिए क्षेत्रीय विश्लेषण: संरक्षण रणनीतियों को प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाना चाहिए, क्योंकि जैव विविधता हानि के कारक विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होते हैं।
  • 30×30 पहल के लिए निरंतर प्रतिबद्धता: हालाँकि संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करना प्राथमिकता बनी हुई है, जैव विविधता और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन क्षेत्रों के भीतर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने पर भी जोर दिया जाना चाहिए।

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