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चिकित्सीय लापरवाही का गैर-अपराधीकरण (Decriminalization of medical negligence)

Samsul Ansari January 05, 2024 10:24 290 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने संसद में लापरवाही के कारण हुई मृत्यु के मामलों में डॉक्टरों को आपराधिक मुकदमे से छूट दिए जाने की घोषणा की है।

संबंधित तथ्य

  • भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता (BNSS) में, (जो भारतीय दंड संहिता को प्रतिस्थापित करेगी) अब कथित चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में रोगी की मृत्यु होने पर डॉक्टरों को “आपराधिक मुकदमे” से छूट दी जाएगी।
    • हालाँकि, BNSS की अन्य धाराओं के तहत, दोषी पाए जाने पर डॉक्टरों को दो वर्ष की कैद और/या जुर्माने भरना पड़ेगा। 
  • भारतीय चिकित्सा संघ (Indian Medical Association-IMA) का लंबे समय से तर्क है कि चिकित्सकीय लापरवाही को अपराध नहीं माना जाना चाहिए।

चिकित्सीय लापरवाही क्या है?

  • परिभाषा: उस समय स्थापित चिकित्सा दिशा-निर्देशों के मानकों के अनुसार कार्य करने में विफलता।
  • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC): IPC (पुरानी) की धारा 304A के अनुसार, “जो कोई भी किसी भी लापरवाही या गैर-इरादतन कार्य किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो कि हत्या के समान गंभीर अपराध नहीं है, उसे दो वर्ष तक के कारावास, या जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जाएगा।”
  • IMA की सिफारिश: BNSS को चिकित्सा “लापरवाही” और चिकित्सा “दुर्घटना” के बीच स्पष्ट अंतर करना चाहिए।
    • लापरवाही: डॉक्टर की ओर से “लापरवाही” का अर्थ “असावधानी”, “जानबूझकर और स्वेच्छा से उचित देखभाल की आवश्यकता की उपेक्षा” होगा।
    • दुर्घटना: इसमें डॉक्टर की ओर से नुकसान पहुँचाने के किसी सचेत इरादे के बिना चिकित्सा देखभाल के तहत रोगियों की आकस्मिक और अप्रत्याशित मृत्यु शामिल होती है।

आपराधिक अभियोजन से छूट के लिए तर्क

  • दबाव (Coercion): डॉक्टरों पर आपराधिक मुकदमा चलाना उत्पीड़न का एक रूप बन गया है और डॉक्टर आपराधिक कानून से डरे रहते हैं।
    • IMA ने बताया कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण प्रतिवर्ष लगभग 98,000 मौतें होती हैं, जबकि डॉक्टरों के खिलाफ 52 लाख चिकित्सकीय लापरवाही के मामले दर्ज होते हैं।
  • विवेक का संकट (Crisis of Conscience): आपराधिक अभियोजन का डर महत्त्वपूर्ण क्षणों में डॉक्टर के निर्णय को प्रभावित करता है, जिसमें डॉक्टर आवश्यक के स्थान पर सुरक्षित विकल्प (Doctor choosing safe over necessary) को चुनता है।
  • कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता: डॉक्टरों को आपराधिक मुकदमे से छूट देने से देश को रोगी देखभाल में बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है।
    • IMA  के अनुसार, 75% से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को हिंसा का सामना करना पड़ता है।
  • अप्रत्याशित जटिलताएँ: हालाँकि दुर्घटनाएँ दुर्भाग्यपूर्ण हैं, फिर भी कुछ अच्छे इरादों और उचित देखभाल के बावजूद भी हो सकती हैं। सर्जरी के दौरान अप्रत्याशित जटिलताएँ, दवा की प्रतिकूल प्रतिक्रिया, या उपकरण की खराबी इसके कुछ उदाहरण हैं।

आपराधिक अभियोजन के पक्ष में तर्क

  • जवाबदेही और न्याय: गलत काम करने वाले डॉक्टर के लिए आपराधिक मुकदमा न चलाने से रोगी के न्याय और जवाबदेही पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जैसे- अंग व्यापार आदि।
  • सूचित सहमति: नवोन्वेषी एआई आधारित उपचारों के लिए सूचित सहमति प्रदान करने से पहले रोगियों को प्रक्रिया की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। इसे कानून के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
  • रोगी की गोपनीयता: कानून बनने से चिकित्सा गोपनीयता सुनिश्चित करने के ढाँचे में सुधार करने में मदद मिलेगी।
  • भेदभावपूर्ण: महिलाओं, समलैंगिक और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच चिकित्सीय लापरवाही से होने वाली मौतों के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
  • दुरुपयोग: लापरवाही के लिए डॉक्टरों को आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट देने से चिकित्सा कदाचार में वृद्धि हो सकती है।
  • गैर-भागीदारी: रोगी वकालत समूहों को निर्णय लेने से पहले अपना पक्ष रखने का समय नहीं दिया गया, जिसके वे हकदार हैं।
  • कानूनी प्रणाली में विश्वास: चिकित्सीय लापरवाही के लिए कानूनी विकल्प के अभाव में, पीड़ित कानूनी प्रणाली में विश्वास खो सकते हैं और डॉक्टरों पर हिंसक हमलों का सहारा ले सकते हैं।

आगे की राह

सरकार द्वारा चिकित्सीय लापरवाही पर निर्णय लेने से पहले अपराध मुक्ति पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण होना चाहिए। सर्वेक्षण, साक्ष्य के साथ कानून बनाने के लिए डेटा प्रदान करेगा।

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