हाल ही में इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (International Seabed Authority- ISA) असेंबली के 29वें सत्र का पहला चरण जमैका में संपन्न हुआ।
संबंधित तथ्य
प्रथम वाचन का समापन: बैठक में लगभग एक-तिहाई मुद्दों का ‘प्रथम वाचन’ पूरा किया गया। हालाँकि, कवर किए गए किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई है और उन पर पुनः चर्चा की जाएगी।
मुद्दों का विचलन: इस बैठक में जिन 35 विनियमों पर चर्चा की गई। जो विनियम जल के भीतर सांस्कृतिक विरासत, परीक्षण खनन, क्षेत्रीय पर्यावरण प्रबंधन योजना, अनुपालन समिति, पर्यावरण मुआवजा निधि, रॉयल्टी और सुरक्षा उपायों से संबंधित थे।
हाल की परिषद की बैठक से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि मजबूत विज्ञान के अभाव में खनन कोड के विकास को लेकर सदस्य देशों के बीच भारी मतभेद बना हुआ है।
विनियमों में प्रमुख मुद्दे
आर्थिक सहायता कोष (Economic Assistance Fund): UNCLOS को उन विकासशील देशों की सहायता के लिए एक आर्थिक सहायता कोष और एक मुआवजा प्रणाली की स्थापना की आवश्यकता है, जो गहरे समुद्र में खनिजों के कारण कम निर्यात खनिज कीमतों के परिणामस्वरूप गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतते हैं।
फंड के उद्देश्य, इसका प्रबंधन किसे करना चाहिए और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर अभी भी कोई सहमति नहीं है।
परीक्षण खनन: जर्मनी ने वर्ष 2019 में प्रस्तावित किया कि अन्वेषण से शोषण की ओर स्थानांतरित होने के इच्छुक किसी भी ठेकेदार को अन्वेषण चरण के दौरान परीक्षण खनन करना होगा और निष्कर्ष ISA को प्रस्तुत करना होगा।
इससे ISA को अनुप्रयोगों का बेहतर मूल्यांकन करने की अनुमति मिलेगी।
समुद्री पर्यावरण की रक्षा करना: UNCLOS के तहत, ISA समुद्री पर्यावरण को समुद्री खनन के कारण होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए बाध्य है।
UNCLOS के तहत, ISA उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र के दायरे से परे समुद्र तल और समुद्र तल पर गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
अब तक, इसने 31 अन्वेषण अनुबंध जारी किए हैं, जो कुल 15 लाख वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र के हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के आकार का लगभग आधा है।
विरोध के अधिकार पर विवाद: नवंबर 2023 में, नाउरू ओशन रिसोर्सेज इंक ने ISA को स्वतंत्र वैश्विक प्रचार नेटवर्क ग्रीनपीस इंटरनेशनल (Greenpeace International) के प्रतिनिधियों द्वारा उसकी अनुमत अन्वेषण गतिविधियों में व्यवधान के बारे में सूचित किया।
बातचीत के दौरान, नाउरू (Nauru) ने ग्रीनपीस के पर्यवेक्षक का दर्जा रद्द करने का आह्वान किया और ISA से खनन जहाजों के आसपास सुरक्षा क्षेत्र स्थापित करने का आग्रह किया।
हाल ही में देश ने खनन गतिविधियों में लगे जहाज के पास किसी अन्य जहाज को आने से रोकने के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए दो बैठकें (पर्यवेक्षकों के लिए बंद) बुलाईं।
ISA खनन कोड विकास की मांग: वर्ष 2021 में, नाउरू ने एक पत्र जारी कर एजेंसी को दो वर्ष के भीतर क्षेत्र में एक शोषण अनुबंध के लिए आवेदन करने के बारे में सूचित किया, जिससे ISA पर खनन कोड विकसित करने के लिए अतिरिक्त दबाव डाला गया।
दो-वर्षीय नियम: इससे ‘दो-वर्षीय नियम’ शुरू हुआ, जिसमें कहा गया है कि परिषद ऐसे नोटिस प्राप्त होने के दो वर्ष के भीतर शोषण के लिए नियम अपनाएगी।
ISA ने 9 जुलाई, 2023 की समय सीमा पार कर ली, जिससे ISA में वार्ता की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि हुई। 28वें सत्र में, ISA परिषद ने वर्ष 2025 तक नियमों को अपनाने के अपने लक्ष्य की घोषणा की।
हालाँकि, सदस्य देशों के बीच विचारों के मतभेद को देखते हुए, वर्ष 2025 की समय सीमा ‘अवास्तविक’ (Unrealistic) लगती है।
गहरे समुद्र में खनन (Deep Sea Mining) क्या है?
परिचय: गहरे समुद्र में खनन एक उभरता हुआ उद्योग है, जिसका उद्देश्य समुद्र की सतह से खनिजों को निकालना है, जिसमें मैंगनीज नोड्यूल, समुद्री तल के बड़े पैमाने पर सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट शामिल हैं।
इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA)
स्थापना: वर्ष 1994 में
मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका
कार्य: राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल में खनन और संबंधित गतिविधियों को विनियमित करने के लिए, एक ऐसा क्षेत्र जिसमें दुनिया के अधिकांश महासागर शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि उनमें इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के साथ-साथ स्मार्टफोन और लैपटॉप के लिए बैटरी के उत्पादन के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज होते हैं।
खनन के प्रकार
समुद्र तल के निक्षेपों अर्थात् समृद्ध खनिजों का निष्कर्षण।
समुद्री तल से बड़े पैमाने पर सल्फाइड जमा का खनन।
चट्टान से कोबाल्ट परतें पृथक करना।
भारत का गहरे समुद्र में खनन मिशन (Deep-Sea Mining Mission)
गहरे समुद्र में खनन मिशन: इसे भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने और गहरे महासागरों से जीवित एवं निर्जीव संसाधनों का दोहन करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा लॉन्च किया गया था।
मिशन के छह विषय
गहरे समुद्र में खनन, मानवयुक्त पनडुब्बियों और जल के नीचे रोबोटिक्स के लिए प्रौद्योगिकी का विकास
महासागर और जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास
गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार
गहरे समुद्र का सर्वेक्षण और अन्वेषण
समुद्र से ऊर्जा और ताजा जल
समुद्री जीव विज्ञान के लिए एक उन्नत समुद्री स्टेशन।
वराह-1 (Varaha-1): भारत ने वराह-1 नामक गहरे समुद्र में खनन मशीन विकसित की है, जिसने मध्य हिंद महासागर में 5,270 मीटर की गहराई पर एक क्षेत्र परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है।
भारत कहाँ गहरे समुद्र में अन्वेषण में लगा हुआ है?
मध्य मध्य महासागर कटक (Central Mid-Ocean Ridge): यह अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में एक ट्रिपल जंक्शन क्षेत्र है।
यहाँ, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड भंडार का पता लगाया गया है जिसमें सोना, प्लैटिनम आदि खनिज जैसी बहु-धातुएँ शामिल हैं।
मध्य हिंद महासागर (Central Indian Ocean): यहाँ पॉली-मेटैलिक नोड्यूल्स (Poly-metallic Nodules) का पता लगाया गया है।
गहरे समुद्र में खनन का विनियमन
इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) वर्तमान में कंपनियों और देशों से खनन परमिट आवेदन स्वीकार कर रही है।
राष्ट्र को ISA पर आवेदन करना चाहिए, भले ही उन्होंने समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हों या इसकी पुष्टि की हो या नहीं।
देश अपने स्वयं के समुद्री क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्रों का प्रबंधन करते हैं, हालाँकि उच्च समुद्र और अंतरराष्ट्रीय महासागर तल समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on the Law of the Seas- UNCLOS) द्वारा शासित होते हैं।
पर्यावरणीय चिंताएँ
पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा: अब तक गहरे समुद्र तल का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही खोजा गया है और संरक्षणवादियों को चिंता है कि खनन से विशेषकर बिना किसी पर्यावरणीय प्रोटोकॉल के पारिस्थितिकी तंत्र को हानि होगी।
संबद्ध क्षति: ध्वनि, कंपन और लाइट पाॅल्यूशन, साथ ही खनन प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले ईंधन और अन्य रसायनों का संभावित रिसाव एवं फैलाव।
समुद्री जीवन को नुकसान: समुद्र सेएक बार जब मूल्यवान सामग्री निकाल ली जाती है, तो तलछट के ढेर को कभी-कभी वापस समुद्र में डाल दिया जाता है। यह फिल्टर फीडिंग प्रजातियों जैसे कोरल और स्पंज आदि को नुकसान पहुँचा सकता है।
समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS)
उद्देश्य: वर्ष 1982 में अपनाया गया, यह दुनिया के महासागरों और समुद्रों में कानून तथा व्यवस्था की एक व्यापक प्रणाली निर्धारित करता है, महासागरों एवं उनके संसाधनों के सभी उपयोगों को नियंत्रित करने वाले नियमों की स्थापना करता है।
कार्य
यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है: उच्च समुद्र (High Seas), विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ), सन्निहित क्षेत्र (Contiguous Zone), प्रादेशिक सागर (Territorial Sea) और आंतरिक जल (Internal Waters)।
यह तटीय देशों और नाविकों के बीच अपतटीय शासन के लिए ढाँचे के रूप में कार्य करता है।
यह पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों के अंदर प्रत्येक राष्ट्र के अधिकारों एवं दायित्वों पर विस्तृत निर्देश प्रदान करता है।
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