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जमैका में गहरे समुद्र में खनन

Lokesh Pal March 21, 2025 03:29 38 0

संदर्भ 

लगभग 170 देश और यूरोपीय संघ गहरे समुद्र में खनन पर दो सप्ताह तक चलने वाली चर्चा के लिए 17 मार्च, 2025 को जमैका में एकत्रित हुए।

संबंधित तथ्य

  • यह बैठक अंतरराष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (International Seabed Authority-ISA) के 30वें सत्र का हिस्सा है और उद्योगों की ओर से बढ़ते दबाव के कारण आयोजित हो रही है।

अंतरराष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (ISA) के बारे में

  • ISA एक स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
  • स्थापना एवं विधिक आधार: वर्ष 1982 के UNCLOS और वर्ष 1994 के समझौते के तहत गठित, ISA मानवता के लाभ के लिए समुद्र तल खनिज गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
  • अधिदेश: समुद्री पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करते हुए गहरे समुद्र में खनन का प्रबंधन करना।
  • मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका; जून 1996 में प्रारंभ हुआ।
  • कार्य
    • गहरे समुद्र में खनन के लिए खनन नियम विकसित करना। 
    • हानिकारक खनन गतिविधियों से समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना। 
    • अधिकार क्षेत्र: 200 मीटर की गहराई से नीचे के समुद्र तल को नियंत्रित करता है, जो दुनिया के आधे महासागरों को शामिल करता है।
  • वित्तपोषण और प्रशासन: UNCLOS सदस्यों एवं मध्यस्थों द्वारा वित्तपोषित, एक सामान्य सभा, परिषद और सचिवालय के साथ संचालित होता है।

गहरे समुद्र में खनन क्या है?

  • इसमें 200 मीटर से अधिक गहराई पर समुद्र तल से ताँबा, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे खनिजों का निष्कर्षण शामिल है। 
  • खनन कंपनियों का तर्क है कि वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करने के लिए गहरे समुद्र के खनिजों की आवश्यकता है। 
  • गहरे समुद्र में खनन अनुबंधों की वर्तमान स्थिति
    • वर्ष 2001 से अब तक ISA ने 30 अन्वेषण अनुबंध प्रदान किए हैं।
    • 24 जनवरी, 2025 तक
      • भारत के पास हिंद महासागर में दो अन्वेषण अनुबंध हैं और उसने वर्ष 2024 में दो अन्य अनुबंध के लिए आवेदन किया है।
      • कई यूरोपीय देशों ने ISA के साथ अनुबंध किया है। 
      • नॉर्वे अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में खनिजों का खनन करने की योजना बना रहा है।
  • गहरे समुद्र तल का महत्त्व
    • भौगोलिक महत्त्व
      • खनिज युक्त: इसमें पॉलीमेटेलिक नोड्यूल, कोबाल्ट-समृद्ध क्रस्ट और समुद्र तल के विशाल सल्फाइड जैसे मूल्यवान संसाधन शामिल हैं, जो मुख्य रूप से क्लेरियन-क्लिपरटन जोन (Clarion-Clipperton Zone-CCZ), हाइड्रोथर्मल वेंट और सीमाउंट में पाए जाते हैं।
      • आर्थिक और रणनीतिक महत्त्व: मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं पर निर्भर उद्योगों के लिए आवश्यक, इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • गहरे समुद्र में खनन के पर्यावरणीय जोखिम
    • आवास विनाश: खनन से हाइड्रोथर्मल वेंट और सीमाउंट जैसे संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी रूप से नुकसान पहुँच सकता है।
    • तलछट प्लम: खनन गतिविधियों से तलछट में गतिविधियाँ होती है, जिससे समुद्री जीवन की हानि होती है और विषाक्त पदार्थ फैलते हैं।
    • जैव विविधता का नुकसान: कई प्रजातियों को अपरिवर्तनीय गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और उनके कार्य बाधित हो सकते हैं।
  • पारिस्थितिक संवेदनशीलता (Ecological Sensitivity)
    • अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र: दुर्लभ समुद्री प्रजातियों का आवास, जो हाइड्रोथर्मल वेंट और समुद्री मैदानों सहित चरम स्थितियों के लिए अनुकूलित हैं।
    • अत्यधिक संवेदनशील: पुनर्भंडारण की प्रक्रिया धीमी होती है, जिससे दीर्घकालिक पारिस्थितिकी क्षति का खतरा है।

खनन संहिता

  • “खनन संहिता” अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) द्वारा स्थापित नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं के एक समूह को संदर्भित करती है।
  • उद्देश्य: गहरे समुद्र तल में खनिज संसाधनों की खोज और दोहन को नियंत्रित करना, जो राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे है।
    • उद्देश्य
      • संसाधन विकास: प्रमुख प्रौद्योगिकियों के लिए कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज जैसे खनिजों के सतत् खनन का समर्थन करता है।
      • पर्यावरण संरक्षण: खनन से संबंधित नुकसान से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करता है।
  • खनन विनियमों को अंतिम रूप देने में चुनौतियाँ
    • पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित खनन सुनिश्चित करने के लिए खनन संहिता आवश्यक है, लेकिन मसौदे में 2,000 से अधिक बिंदुओं पर अभी भी बहस चल रही है।
    • प्रमुख चिंताओं में शामिल हैं:
      • पर्यावरण को होने वाले नुकसान के स्वीकार्य स्तरों को परिभाषित करना।
      • निगरानी और प्रवर्तन तंत्र स्थापित करना।
      • बीमा और देयता आवश्यकताओं की स्थापना करना।

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