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रक्षा खरीद नियमावली 2025

Lokesh Pal September 16, 2025 03:28 7 0

संदर्भ

भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence- MoD) के अंतर्गत राजस्व खरीद को सुव्यवस्थित, सरल एवं युक्तिसंगत बनाने हेतु वर्ष 2009 के नियमावली में संशोधन करते हुए रक्षा खरीद नियमावली (Defence Procurement Manual- DPM), 2025 को मंजूरी दी है।

रक्षा खरीद नियमावली (DPM) के बारे में

  • यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सशस्त्र बलों एवं अन्य प्रतिष्ठानों के दैनिक कार्यों, प्रबंधन तथा परिचालन तत्परता के लिए आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद हेतु प्रक्रियाओं तथा दिशा-निर्देशों को निर्धारित करती है।
  • यह रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) से अलग है, जो विशेष रूप से पूँजीगत अधिग्रहणों को नियंत्रित करती है।

रक्षा खरीद नियमावली, 2025 के उद्देश्य

  • लगभग ₹1 लाख करोड़ मूल्य की वस्तुओं एवं सेवाओं की समय पर तथा लागत प्रभावी खरीद सुनिश्चित करना।
  • तीनों सेनाओं के बीच परिचालन तत्परता एवं एकजुटता को बढ़ाना।
  • स्वदेशीकरण, नवाचार एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी (MSME, स्टार्ट-अप, शिक्षा जगत) के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • वित्त मंत्रालय की वस्तु खरीद नियमावली के अद्यतन प्रावधानों के अनुरूप है।
  • प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग के साथ निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही की गारंटी।

 रक्षा खरीद नियमावली, 2025 की मुख्य विशेषताएँ

  • स्वदेशीकरण को बढ़ावा: सार्वजनिक/निजी उद्योगों, शिक्षाविदों, IITs, IISc एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों को शामिल करके नवाचार तथा स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक नया अध्याय शामिल किया गया है।
  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: विकास चरण के दौरान परिसमाप्त क्षतिपूर्ति (Liquidated Damages- LD) आरोपित न करके विकास अनुबंधों में छूट।
    • मात्रा के संदर्भ में आदेशों का आश्वासन पाँच वर्षों के लिए दिया जाता है, जिसे विशेष परिस्थितियों में अगले पाँच वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
    • तकनीकी जानकारी एवं उपकरणों के आदान-प्रदान के माध्यम से सेवाओं द्वारा सहायता।
  • निर्णयन में विकेंद्रीकरण: सक्षम वित्तीय प्राधिकरण (Competent Financial Authorities- CFAs) वित्तीय सलाहकारों के परामर्श से क्षेत्र स्तर पर निर्णय लेने के लिए सशक्त हैं, जिसमें वितरण विस्तार प्रदान करना भी शामिल है।
  • सुव्यवस्थित विशेष खरीद: उच्च-मूल्य वाली खरीद में G2G समझौतों की प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
    • कुछ DPSUs से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की आवश्यकता समाप्त; निविदाएँ पूर्णतः प्रतिस्पर्द्धी आधार पर प्रदान की जाएँगी।

रक्षा स्वदेशीकरण के लिए सरकारी पहल

  • वर्ष 2014 में प्रारंभ की गई ‘मेक इन इंडिया’ योजना ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण (IDDM) को एक मजबूत नीतिगत प्रोत्साहन दिया, जिसमें खरीद में भारतीय विक्रेताओं को प्राथमिकता दी गई।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020: यह घरेलू खरीद को प्राथमिकता देती है एवं रक्षा आधुनिकीकरण बजट का लगभग 75% (वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1.1 लाख करोड़) भारतीय उद्योगों के लिए आरक्षित करती है।
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) योजना: वर्ष 2018 में प्रारंभ की गई, स्टार्ट-अप एवं MSMEs को शामिल करती है, ADITI उप-योजना के तहत 25 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान करती है तथा इसके परिणामस्वरूप 430 से अधिक अनुबंध एवं 2,400 करोड़ रुपये मूल्य की 43 वस्तुओं की खरीद हुई है।
  • एयरो इंडिया 2025 के दौरान प्रदर्शित सामर्थ्य ने मिसाइलों, मिश्र धातुओं, रडारों एवं ड्रोन-रोधी प्रणालियों सहित iDEX से स्वदेशी वस्तुओं तथा नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया।
  • सृजन पोर्टल: इसे वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था, यह स्वदेशीकरण के लिए आयातित वस्तुओं को सूचीबद्ध करता है, जिसमें 38,000 से अधिक वस्तुएँ सूचीबद्ध की गई हैं एवं 14,000 से अधिक पहले ही स्वदेशीकृत हो चुकी हैं।
  • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ (Positive Indigenisation Lists- PILs): रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2020 एवं वर्ष 2025 के बीच पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ (Positive Indigenisation Lists- PILs) जारी की हैं, जिनमें LRU, असेंबली तथा उच्च-स्तरीय तकनीकों जैसी 5,500 से अधिक वस्तुएँ शामिल हैं, जिनमें से 3,000 से अधिक का स्वदेशीकरण किया जा चुका है।
  • रक्षा औद्योगिक गलियारे: सरकार ने उद्योग समूहों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए, जिनसे ₹8,658 करोड़ का निवेश तथा ₹53,439 करोड़ के 253 समझौता ज्ञापन (MoU) प्राप्त हुए हैं।
  • रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (DTIS): वर्ष 2020 में शुरू की गई, यह आठ ग्रीनफील्ड परीक्षण एवं प्रमाणन सुविधाओं के निर्माण का समर्थन करती है, जिनमें से सात को मानवरहित प्रणालियों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तथा इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स जैसे क्षेत्रों में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
  • ‘मेक’ प्रक्रिया: पहली बार वर्ष 2006 में शुरू की गई एवं वर्ष 2016, वर्ष 2018 तथा वर्ष 2020 में संशोधित की गई, यह तीन श्रेणियों के माध्यम से स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देती है: मेक-I (सरकार द्वारा वित्त पोषित), मेक-II (उद्योग द्वारा वित्त पोषित), एवं मेक-III (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से विनिर्माण)। वर्तमान में कुल 145 परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं।
  • वर्ष 2020 की FDI नीति: यह स्वचालित मार्ग से रक्षा क्षेत्र में 74% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देती है।

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