नई दिल्ली में दूसरे एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में नागरिक उड्डयन पर दिल्ली घोषणा को सर्वसम्मति से अपनाया गया।
द्वितीय एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
मेजबानी: इस कार्यक्रम की मेजबानी अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से की जाती है।
एशिया प्रशांत क्षेत्र का पहला मंत्रिस्तरीय सम्मेलन वर्ष 2018 में बीजिंग, चीन में आयोजित किया गया था।
द्वितीय एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के मुख्य बिंदु
हवाई अड्डे का विस्तार: वर्ष2047 तक भारत का विमानन लक्ष्य 350-400 हवाई अड्डे विकसित करना है।
वैश्विक विमानन बाजार में भारत की स्थिति: भारत अब वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है, जो रखरखाव, मरम्मत और निरीक्षण (MRO) सेवाओं एवं कार्गो परिचालन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है।
नागरिक उड्डयन पर दिल्ली घोषणा को अपनाना: नागरिक उड्डयन पर एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय घोषणा (दिल्ली घोषणा) का मसौदा प्रस्तुत किया गया और उस पर चर्चा की गई, तत्पश्चात् मंत्रिस्तरीय विचार-विमर्श के बाद इसे औपचारिक रूप से अपना लिया गया।
दिल्ली घोषणा के बारे में
उद्देश्य: क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना, उभरती चुनौतियों का समाधान करना तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सतत् विकास को बढ़ावा देना।
नागरिक उड्डयन पर दिल्ली घोषणा के अंतर्गत मुख्य प्रतिबद्धताएँ
क्षेत्रीय सहयोग: नागरिक उड्डयन में आम चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने के लिए एशिया-प्रशांत देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना।
सतत् विमानन ईंधन (SAF) के उपयोग सहित सतत् विमानन प्रथाओं को बढ़ावा देना।
लक्ष्य: वर्ष 2027 तक जेट ईंधन के साथ कम-से-कम 1% SAF मिश्रित करना है, जिसे वर्ष 2028 तक बढ़ाकर 2% करना है।
समावेशिता: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए विमानन क्षेत्र को अधिक समावेशी बनाना।
भारत में 15% पायलट महिलाएँ हैं, जो वैश्विक औसत 5% से काफी अधिक है।
तकनीकी और अवसंरचनात्मक प्रगति: विमानन क्षेत्र की समग्र दक्षता और सुरक्षा में सुधार के लिए तकनीकी और अवसंरचनात्मक प्रगति को साझा करना।
सांस्कृतिक संपर्क: एशिया भर में भगवान बुद्ध से संबंधित पवित्र स्थानों को जोड़ने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सर्किट’ बनाने जैसी पहल, जिससे नागरिक उड्डयन क्षेत्र, यात्रियों और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।
अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)
स्थापना: ICAO एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1944 में वैश्विक वायु नेविगेशन के लिए मानक और प्रक्रियाएँ स्थापित करने के लिए की गई थी।
उद्देश्य: यह सुरक्षित एवं व्यवस्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन विकास को बढ़ावा देता है।
शिकागो कन्वेंशन: शिकागो कन्वेंशन एक संधि है, जो अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करती है और इसने संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ICAO का गठन किया।
हस्ताक्षरित: 7 दिसंबर, 1944 को शिकागो में हस्ताक्षरित।
सदस्यता: ICAO के 193 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
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