लेह में हजारों लोग केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की माँग को लेकर सड़कों पर निकल आए हैं।
संबंधित तथ्य
विरोध की मुख्य माँग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना है, ताकि इस विशेष क्षेत्र की भूमि, संस्कृति, भाषा और पर्यावरण की रक्षा की जा सके।
लद्दाख बंद का आह्वान दो महत्त्वपूर्ण राजनीतिक समूहों लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) द्वारा किया गया है।
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची
इस अनुसूची के अंतर्गत मेघालय, असम, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी बहुल क्षेत्रों को विशेष स्वायत्तता प्रदान की गई है।
इस अनुसूची के तहत, राज्यपाल को स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों की प्रशासनिक इकाइयों के रूप में क्षेत्र निर्धारित करने का अधिकार है।
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अनुच्छेद-244 के अनुसार, स्वायत्त प्रशासनिक विभागों के गठन का प्रावधान है, जिसे स्वायत्त जिला परिषद (ADCs) के रूप में जाना जाता है।
स्वायत्त जिला परिषद (ADCs) में अधिकतम 30 सदस्य होते हैं, जिनका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। यह परिषद आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भूमि, जंगल, जल, कृषि आदि के संबंध में कानून निर्माण का अधिकार रखती है।
अपवाद के तौर पर, असम की बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (Bodoland Territorial Council) में 40 से अधिक सदस्य हैं, जिन्हें 39 मुद्दों पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है।
इन क्षेत्रों में अपनी निर्वाचित परिषदें होती हैं, जिन्हें विधायी, कार्यकारी, वित्तीय और न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त हैं, जिसके आधार पर ये परिषदें क्षेत्र की अनूठी संस्कृति, रीति-रिवाजों और भूमि अधिकारों की रक्षा करती हैं।
लद्दाख के लोगों के मुद्दे और उनकी माँगें
पूर्ण विधानमंडल
लद्दाख में विशेषकर लेह जिले के लोगों द्वारा विधानसभा के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा की माँग की जा रही है।
माँग के निम्नलिखित कारण हैं-
स्थानीय मुद्दों पर अधिक स्वायत्तता और निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त करना।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि
लद्दाखी संस्कृति और पहचान की सुरक्षा
जनसंख्या में संभावित परिवर्तन तथा लद्दाखियों के लिए नौकरी के अवसरों में नुकसान के बारे में चिंताएँ।
छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा
जनजातीय पहचान: लद्दाख की आबादी में मुख्य रूप से विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषायी पहचान वाली बौद्ध जनजातियाँ शामिल हैं।
भूमि और संसाधन: लद्दाख का पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक है, जो संसाधन निष्कर्षण के प्रति अति संवेदनशील है। संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत, भूमि अधिकार और प्राकृतिक संसाधनों पर बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ संभावित सुरक्षा प्रदान की गई है।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व: केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख की विधायी शक्तियाँ सीमित है तथा वर्तमान में अपर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के कारण स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने में लद्दाख के लोगों की भूमिका नहीं है।
छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत, निर्वाचित परिषद के पास स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार होगा।
लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
सामाजिक-राजनीतिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं तथा स्थानीय नेताओं द्वारा लोकसभा सीटों की संख्या एक से बढ़ाकर दो करने की माँग की जा रही है।
संसद और निर्वाचित विधायिका में लद्दाखियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कारगिल और लेह से एक-एक सदस्य को निर्वाचित करने की माँग हो रही है।
वर्तमान में पूरे लद्दाख के लिए केवल एक लोकसभा सीट का प्रावधान है, जिसके अंतर्गत लेह और कारगिल दोनों जिलें शामिल हैं। इस व्यवस्था की शुरुआत वर्ष 2019 में लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने के बाद की गई थी।
स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण
ऐतिहासिक भेदभाव: लद्दाखी लोगों का तर्क है कि शिक्षा और रोजगार तक पहुँच में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, फलस्वरूप स्थानीय रोजगार में आरक्षण का प्रावधान समानता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
लद्दाखी पहचान और संस्कृति की सुरक्षा: स्थानीय स्तर के रोजगारों में स्थानीय निवासियों की पहुँच सुनिश्चित करना लद्दाखी संस्कृति और जीवन शैली के संरक्षण के लिए आवश्यक है। बाहरी लोगों की बढ़ती जनसंख्या को स्थानीय पहचान के लिए खतरे के रूप में देखा जाता रहा है।
आर्थिक विकास: आरक्षण का उद्देश्य लद्दाखियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना तथा बाहरी संसाधनों पर निर्भरता कम करना है।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की माँग पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार की पहल: केंद्र सरकार ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है, किंतु बढ़ते स्थानीय असंतोष पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने जनवरी 2023 में एक समिति का गठन किया है।
मामले की जाँच के लिए उच्च स्तरीय समिति: बढ़ते विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है तथा उचित समाधान करने का आश्वासन दिया है।
संवैधानिक सुरक्षा की माँगों की जाँच करने वाली उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक दिसंबर 2023 में हुई।
केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय ने स्थानीय नेताओं से आधिकारिक वार्ता के दौरान विरोध प्रदर्शन नहीं करने का आग्रह किया है।
लद्दाख को विशेष दर्जा देने में अस्पष्टता: केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय का कहना है कि लद्दाख का सामाजिक-आर्थिक विकास पहले से ही उसकी प्राथमिकता रही है, जिसके समग्र विकास के लिए पर्याप्त राशि निरंतर उपलब्ध कराई जाती रही है।
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