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आर्कटिक सुरक्षा हेतु डेनमार्क द्वारा 2 बिलियन यूरो का निवेश

Lokesh Pal February 01, 2025 03:09 20 0

संदर्भ

डेनमार्क ने आर्कटिक और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने के लिए 2 बिलियन यूरो के निवेश की घोषणा की है।

डेनमार्क पहल की मुख्य विशेषताएँ

  • यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड को अधिग्रहित करने के बारे में बार-बार दिए गए बयानों के मद्देनजर लिया गया है, हालाँकि डेनमार्क ने इसका खंडन किया है।
  • सैन्य विस्तार: डेनमार्क आर्कटिक सुरक्षा को बढ़ाने की योजना बना रहा है:
    • तीन नए आर्कटिक नौसैनिक जहाज।
    • दो अतिरिक्त लंबी दूरी के निगरानी ड्रोन।
    • उपग्रह क्षमता में सुधार।
  • राजनयिक जुड़ाव
    • डेनमार्क के प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन द्वारा ग्रीनलैंड की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए नाटो सहयोगियों से वार्ता।
    • डेनमार्क ने सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दों पर यूरोपीय एकता की आवश्यकता पर बल दिया है।
    • जर्मनी ने अप्रत्यक्ष रूप से ट्रंप के रुख की आलोचना करते हुए कहा है कि सीमाओं को बलपूर्वक नहीं बदला जाना चाहिए।

आर्कटिक सर्कल 

  • आर्कटिक क्षेत्र वाले देश: आठ देशों के पास आर्कटिक के कुछ हिस्सों पर संप्रभुता है: कनाडा, डेनमार्क (ग्रीनलैंड), फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का)।

  • वनस्पतियाँ: इस क्षेत्र की विशेषता टुंड्रा वनस्पतियाँ हैं, जिसमें अत्यधिक ठंड और पर्माफ्रॉस्ट के कारण कम झाड़ियाँ, काई एवं लाइकेन उपस्थित हैं।
  • महत्त्व
    • तेल, गैस और खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर।
    • बर्फ पिघलने के कारण वैश्विक शिपिंग मार्गों के लिए महत्त्वपूर्ण, उत्तरी समुद्री मार्ग का खुलना।
    • जलवायु अध्ययनों के लिए महत्त्वपूर्ण, क्योंकि आर्कटिक हिम वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है।

आर्कटिक में जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियाँ

  • तापमान में वृद्धि: आर्कटिक वैश्विक औसत से लगभग चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है, जिससे बर्फ पिघल रही है और आवास नष्ट हो रहे हैं।
  • समुद्र स्तर में वृद्धि: पिघलते ग्लेशियर वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि में योगदान करते हैं, जिससे दुनिया भर के तटीय समुदायों को खतरा है।
  • जैव विविधता में कमी: ध्रुवीय भालू और आर्कटिक लोमड़ियों जैसे वन्यजीवों को आवास नष्ट होने के कारण अस्तित्व के लिए खतरा है।
  • भू-राजनीतिक तनाव: आर्कटिक संसाधनों तक बढ़ती पहुँच के कारण क्षेत्रीय विवाद और सैन्य गतिविधियाँ बढ़ी हैं।

आर्कटिक के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन

  • आर्कटिक परिषद: आर्कटिक राज्यों, स्वदेशी समूहों और पर्यवेक्षकों से मिलकर बना एक प्रमुख अंतर-सरकारी मंच, जो सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित है।
  • समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS): आर्कटिक महासागर में समुद्री अधिकारों और क्षेत्रीय दावों को नियंत्रित करता है।
  • नाटो की आर्कटिक रणनीति: आर्कटिक सदस्य राज्यों के बीच सुरक्षा चिंताओं एवं सैन्य समन्वय को संबोधित करती है।
  • अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO): ध्रुवीय संहिता के माध्यम से आर्कटिक शिपिंग को नियंत्रित करता है, पर्यावरण और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष 

डेनमार्क की आर्कटिक रक्षा पहल बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों का प्रत्युत्तर देते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का संकेत देती है।

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