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उपमुख्यमंत्री

Lokesh Pal February 13, 2024 06:23 112 0

संदर्भ

हाल ही में उच्चतम न्यायालय (SC) ने राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है।

संबंधित तथ्य

  • याचिका: इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्तियाँ अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद-15 (धर्म, वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध अधिकार) का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि यह धर्म और सांप्रदायिक विचारों से प्रेरित है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का पक्ष: तीन जजों की पीठ ने याचिका खारिज कर दी और तर्क दिया कि पदनाम की परवाह किए बिना एक उपमुख्यमंत्री अंततः विधानसभा सदस्य (विधायक) और सरकार में एक अग्रणी मंत्री होता है।
    • उपमुख्यमंत्री का पद स्वयं किसी व्यक्ति को उच्च वेतन या किसी अन्य अतिरिक्त-सरकारी भत्ते का हकदार नहीं बनाता है, इसलिए पदनाम संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।

उपमुख्यमंत्री

  • कोई संवैधानिक आधार नहीं: अनुच्छेद-164(1) : मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी और राज्यपाल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा। हालाँकि इसमें उपमुख्यमंत्री के पद के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है।
    • उपमुख्यमंत्री का पद कैबिनेट मंत्री (राज्य) के बराबर समझा जाता है। उपमुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री के समान वेतन और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
  • कोई कानूनी आधार भी नहीं: यह पद राजनीतिक समझौते का एक रूप है, जो प्रायः गठबंधन सरकार के गठन के बाद होता है। यह राज्य के सभी प्रमुख हितसमूहों के बीच वफादारी के बदले सत्ता का राजनीतिक आदान-प्रदान है।
  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में 14 राज्यों में 26 उपमुख्यमंत्री हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में 5 उपमुख्यमंत्री हैं।

उपप्रधानमंत्री

  • भारत में कई उपप्रधानमंत्री रहे हैं। 
  • प्रथम उपप्रधानमंत्री: यह पद पहली बार सरदार वल्लभभाई पटेल के पास था, जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। 
    • इनके अतिरिक्त बाद के वर्षों में मोरारजी देसाई, चरण सिंह, चौधरी देवी लाल और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेता भी उपप्रधानमंत्री बने।
  • वर्ष 1989 में वीपी सिंह की सरकार में उपप्रधानमंत्री के रूप में देवी लाल की नियुक्ति को इस आधार पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी कि “उन्हें दी गई शपथ संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थी।”
    • SC ने कहा कि पदनाम अपने आप में उपप्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री की कोई शक्तियाँ प्रदान नहीं करता है और वे मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों की तरह सिर्फ एक मंत्री हैं।

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