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वायरल संक्रमण का पता लगाने हेतु प्रकाश आधारित उपकरण का विकास

Lokesh Pal May 31, 2024 03:59 118 0

संदर्भ

प्रकाश का उपयोग करके कोशिकाओं में वायरल संक्रमण का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा नए उपकरण का विकास किया गया है।

संबंधित तथ्य 

  • इस उपकरण का विकास हार्वर्ड विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और जियांग्सू विश्वविद्यालय (झेनजियान) के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
  • प्रकाशित: इसके विकास से संबंधित शोधपत्र साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

विषाणु (Viruses)

  • वे सूक्ष्म जीव हैं, जो विभिन्न प्रकार के होस्ट जैसे मनुष्य, पौधे, जानवर, जीवाणु और कवक को संक्रमित कर सकते हैं।
  • संरचना: वे सुरक्षात्मक झिल्ली (Capsid) के अंदर आनुवंशिक जानकारी (DNA या RNA) के भाग के रूप में रहता है। विषाणु, होस्ट की अनुपस्थिति में प्रजनन नहीं कर सकता है।
    • वे होस्ट के बाहर निश्चित समय तक जीवित रहते हैं, जब तक उनका कैप्सिड सुरक्षित रहता है।
  • प्रजनन: विषाणु की संरचना में कोशिकाओं का योगदान नहीं होता है, इसलिए आम तौर पर वे स्वयं प्रजनन नहीं कर सकते हैं। विषाणु प्रजनन की प्रक्रिया में होस्ट की कोशिकाओं का उपयोग करता है।
  • प्रकार: इन्फ्लूएंजा वायरस, मानव हर्पीज वायरस (Human Herpesviruses), कोरोनावायरस, मानव पेपिलोमा वायरस, एंटरोवायरस (Enteroviruses), फ्लेविवायरस (Flaviviruses), ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxviruses), हेपेटाइटिस वायरस।
  • रोग: फ्लू, सामान्य सर्दी और COVID-19 जैसे रोग विषाणु के कारण होते हैं।

अध्ययन

  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य शरीर में कोशिकीय वायरल संक्रमण के फिंगरप्रिंट की पहचान करने के लिए उपकरण विकसित करना है, ताकि कम समय में सुगमता से संक्रमण का पता लगाया जा सके।
  • परीक्षण
    • नमूना: शोधकर्ताओं ने सूअर के अंडकोष की कोशिकाओं को स्यूडोरेबीज वायरस से संक्रमित किया, उन पर सूक्ष्मदर्शी से प्रकाश डाला, तथा पता लगाया कि कोशिकाओं में हुए परिवर्तनों के कारण प्रकाश किस प्रकार विकृत हो गया।
      • ‘वायरल संक्रमण’ कोशिकाओं पर प्रभाव डाल सकता है तथा उनके आकार और विशेषताओं को परिवर्तित कर सकता है। जैसे-जैसे संक्रमण फैलता है और शरीर रोगग्रस्त होता जाता है, ये परिवर्तन अधिक स्पष्ट होते जाते हैं।
    • इन परिवर्तनों को अलग-अलग समय पर रिकॉर्ड किया गया ताकि प्रकाश प्रगतिशील वायरल संक्रमण की नकल कर सके।
      • प्रकाश की विकृति (Distortion of Light): यह विकृति विवर्तन प्रक्रिया द्वारा निर्मित पैटर्न के कारण थी, जिसमें केंद्र के चारों ओर बारी-बारी से प्रकाश और अँधेरे के छल्ले या धारियों का निर्माण होता है।
    • तुलना: संक्रमित और स्वस्थ कोशिकाओं के बीच प्रकाश की इन विकृतियों की तुलना की गई तथा दोनों स्थितियों में दो अलग-अलग प्रकाश पैटर्न प्राप्त हुए।
    • विषाणु से संक्रमित कोशिकाओं के फिंगरप्रिंट: कोशिकीय परिवर्तनों के पैटर्न का अध्ययन किया गया, जिसके माध्यम से जानकारी मिलती है कि कोई कोशिका संक्रमित हुई है अथवा नहीं।
      • फिंगरप्रिंट दो पैमानों पर आधारित था-
        • प्रकाश और गहरे रंग की धारियों के बीच का अंतर
        • प्रतिलोम विभेदक क्षण (Inverse Differential Moment): गणितीय मान, जो यह परिभाषित करता है कि विवर्तन पैटर्न में बनावट की मात्रा कितनी थी।
    • निष्कर्ष: इस विधि के माध्यम से असंक्रमित, विषाणु संक्रमित और मृत कोशिकाओं के बीच अंतर को स्पष्ट किया जा सकता है।
      • विषाणु संक्रमित कोशिकाएँ: इन कोशिकाओं की सीमाएँ और आकार असंक्रमित कोशिकाओं की तुलना में अधिक स्पष्ट थीं, जिसके कारण फिंगरप्रिंट की हल्की और गहरी धारियों के बीच का अंतर परिवर्तित हो गया और प्रकाश की तीव्रता में अंतर बढ़ गया।

कोशिकाओं में वायरल संक्रमण का पता लगाने की मानक विधि

  • रासायनिक अभिकर्मक (Chemical Reagents): प्रयोगशाला में संक्रमित कोशिकाओं को अलग किया जाता है और उसमें डाइमिथाइल थियाजोलिल (Dimethyl Thiazolyl), डिफेनिल टेट्राजोलियम ब्रोमाइड (Diphenyl Tetrazolium Bromide) जैसे रासायनिक अभिकर्मक मिलाए जाते हैं।
  • कोशिकाओं में मौजूद एंजाइम [ऑक्सीडोरडक्टेज (Oxidoreductases) और डिहाइड्रोजनेज (Dehydrogenases) अभिकर्मक के साथ प्रतिक्रिया करके फॉर्मेजान नामक बैंगनी क्रिस्टल का निर्माण करते हैं। अभिकर्मक बाद में कोशिका को नष्ट कर देता है।
  • रंग परिवर्तन: रंग परिवर्तन के माध्यम से कोशिकाओं में वायरल संक्रमण के बारे में जानकारी मिलती है। वायरल संक्रमण से मरने वाली कोशिकाओं में इन एंजाइमों की कमी होती है और इस प्रकार इन कोशिकाओं में फॉर्मेजान क्रिस्टल का संश्लेषण बहुत कम मात्रा में या बिल्कुल नहीं होता है।

  • लाभ
    • सटीकता: वायरल संक्रमण का पता लगाने में मानक प्रणाली की तुलना में प्रकाश आधारित यह प्रणाली अधिक सटीक पाई गई है।
    • कम लागत: नई प्रणाली के उपकरण की लागत रासायनिक अभिकर्मकों का उपयोग करके लगभग 2.5 लाख रुपये है, जो मानक प्रणाली की लागत का दसवाँ हिस्सा है।
    • आपूर्ति शृंखला के मुद्दों से स्वतंत्रता: दुनिया भर में कई शोध संस्थाओं को अन्य स्थानों से अभिकर्मकों की खरीद-बिक्री करनी पड़ती है, इसलिए आपूर्ति शृंखला की अक्षमताओं के कारण उनके शोध के संभावित समय में वृद्धि हो जाती है।
    • तीव्र प्रणाली: कथित तौर पर, नई प्रणाली के माध्यम से वायरल संक्रमित कोशिकाओं का पता केवल दो घंटे में लगाया जा सकता है, जबकि वर्तमान प्रणाली में 40 घंटे की आवश्यकता होती है।
    • पशुधन प्रबंधन: नया उपकरण पशुधन के शरीर में वायरल संक्रमण का पता लगाने के साथ-साथ कोशिकीय स्तर पर उत्कृष्ट पशुधन और मुर्गी प्रजातियों के चयन और प्रजनन में सहायता कर सकता है।
    • त्वरित रूप से पता लगाना: नई प्रणाली वायरल संक्रमण को त्वरित रूप से पता लगाने में सहायक है, फलस्वरूप हितधारकों को महत्त्वपूर्ण नुकसान से बचने एवं निवारण हेतु अधिक समय प्रदान करती है।
    • नए विषाणु की पहचान करना: यह उपकरण नए वायरस के कारण होने वाले वायरल संक्रमण को पकड़ सकता है, क्योंकि यह उपकरण मौजूदा रोगजनकों के कारण नहीं होने वाले वायरल संक्रमण का भी पता लगा लगाने में सक्षम है।
    • निगरानी: यह उपकरण त्वरित और लागत प्रभावी तरीके से वायरल संक्रमण का पता लगा सकता है तथा प्रजनन के लिए स्वस्थ जानवरों या पक्षियों के चयन की लागत को कम करने में सहायता कर सकता है। 
      • प्रजनन के लिए जानवरों का चयन करने के मौजूदा तरीकों में महँगे DNA अनुक्रमण उपकरणों की आवश्यकता होती है।
    • क्षमता निर्माण: प्रकाश आधारित यह उपकरण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विषाणु के प्रसार के विरुद्द रक्षा-प्रणाली तैयार करेगा तथा साथ ही पशु प्रकोपों ​​का तेजी से पता लगाने, रिपोर्ट करने और प्रतिक्रिया देकर WHO की सिफारिश को पूर्ण करने में भी सहायता कर सकता है।

विवर्तन (Diffraction)

  • एक अवरोध के चारों ओर तरंगों का फैलना ही विवर्तन है। 

  • विवर्तन की प्रक्रिया ध्वनि, विद्युत चुंबकीय विकिरण (प्रकाश, एक्स-रे और गामा किरणें) और बहुत छोटे गतिमान कणों (जैसे परमाणुओं, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉनों) के साथ होती है, जो तरंग जैसे गुण प्रदर्शित करते हैं।                                  
  • घटना: यह घटना हस्तक्षेप का परिणाम है (जब तरंगें एक-दूसरे पर आरोपित होती हैं, तो वे एक दूसरे को मजबूत या नष्ट कर सकती हैं) और सबसे अधिक स्पष्ट होती है, जब विकिरण की तरंगदैर्ध्य अवरोध के रैखिक आयामों के बराबर होती है। 
  • परिणाम: विवर्तन की प्रक्रिया में तेज छाया का निर्माण नहीं होता है।

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