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धनौरी वेटलैंड

Lokesh Pal September 27, 2024 02:42 5 0

संदर्भ 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने यूपी सरकार से पूछा कि धनौरी वेटलैंड (Dhanauri Wetland) को रामसर स्थल के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव केंद्र को क्यों नहीं भेजा गया है।

धनौरी वेटलैंड/आर्द्रभूमि के बारे में

  • यह उत्तर प्रदेश में दनकौर के पास धनौरी गाँव में स्थित एक पक्षी-दर्शन क्षेत्र है।
  • यह आर्द्रभूमि पहले से ही 217 पक्षी प्रजातियों का आवास है।
  • चरम प्रवासी मौसम के दौरान, नवंबर एवं मार्च के बीच, जलीय पक्षियों की आबादी 50,000 तक पहुँच जाती है।

  • यह लगभग 150 सारस क्रेन का भी आवास है, जो उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी भी है।
  • इसे ‘बर्ड लाइफ इंटरनेशनल’ द्वारा एक ‘महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र’ के रूप में मान्यता मिली है एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) द्वारा इसका दस्तावेजीकरण किया गया है।

रामसर स्थल के रूप में नामित करने संबंधी मानदंड

  • दुर्लभ या अद्वितीय प्राकृतिक आर्द्रभूमि प्रकारों का प्रतिनिधित्व करना।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों या संकटग्रस्त पारिस्थितिकी समुदायों का समर्थन करना।
  • विशिष्ट जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में जैव विविधता बनाए रखना।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों में आश्रय प्रदान करना।
  • 20,000 या अधिक जलपक्षियों को नियमित रूप से समायोजित करना।
  • एकल जल-पक्षी प्रजाति की 1% आबादी को बनाए रखना।
  • मछली के लिए भोजन, अंडे देने के मैदान, नर्सरी एवं प्रवास पथ के महत्त्वपूर्ण  स्रोत के रूप में कार्य करना।
  • ‘नॉन-एवियन वेटलैंड डिपेंडेंट’ पशु प्रजातियों की आबादी के 1% को नियमित रूप से समर्थन देना।

धनौरी वेटलैंड 9 में से 2 प्रमुख रामसर स्थल मानदंडों को पूरा करता है:-

  • यह जैव-भौगोलिक सारस क्रेन आबादी के 1% से अधिक को आश्रय देता है।
  • यह क्षेत्र 20,000 से अधिक जलीय पक्षियों एवं विभिन्न अन्य प्रजातियों के लिए एक समूह स्थल के रूप में कार्य करता है।

आर्द्रभूमि क्या है?

  • ‘वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन’ आर्द्रभूमि/वेटलैंड्स को परिभाषित करता है:- ‘दलदल, पंक भूमि, पीट भूमि या जल के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक हों या कृत्रिम, स्थायी हों या अस्थायी, जिनका जल स्थिर हो या बहता हो, ताजा, खारा या लवणीय हो, जिनमें समुद्री जल के क्षेत्र शामिल हैं, जिनकी गहराई कम ज्वार के समय छह मीटर से अधिक नहीं होती।
  • इसमें ऐसे क्षेत्र शामिल हैं, जो स्थलीय (भूमि) क्षेत्रों एवं जलीय (जल) क्षेत्रों के बीच संक्रमण करते हैं।

रामसर कन्वेंशन

  • इसका नाम ईरान में रामसर के नाम पर रखा गया है, जहाँ वर्ष 1971 में कन्वेंशन की पुष्टि की गई थी, जो वर्ष 1975 में लागू हुआ।
  • कन्वेंशन के तीन स्तंभ हैं:-
    • सभी आर्द्रभूमियों के बुद्धिमानीपूर्ण उपयोग की दिशा में कार्य करना।
    • अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों (‘रामसर सूची’) की सूची के लिए उपयुक्त आर्द्रभूमियों को नामित करना एवं उनका प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना।
    • सीमा पार आर्द्रभूमियों, साझा आर्द्रभूमि प्रणालियों एवं साझा प्रजातियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना।

भारत के रामसर स्थल

  • अगस्त 2024 तक, भारत में 85 रामसर स्थल हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं।
  • 18 स्थलों के साथ तमिलनाडु में भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल हैं, इसके बाद 10 स्थलों के साथ उत्तर प्रदेश का स्थान है।
  • ये स्थल जैव विविधता का समर्थन करने, लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने एवं जल संसाधनों के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • इस प्रतिष्ठित सूची में धनौरी को शामिल करने से आर्द्रभूमि संरक्षण, विविध पक्षी प्रजातियों एवं पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।

मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record)

  • इसे रामसर सूची के भाग के रूप में बनाए रखा गया।
  • अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की सूची में आर्द्रभूमि स्थलों का रजिस्टर जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं, या होने की संभावना है।
  • भारत में दो आर्द्रभूमियाँ वर्तमान में मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में हैं:
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
    • लोकटक झील (मणिपुर)

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