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ध्रुव64 (DHRUV64)

Lokesh Pal December 18, 2025 04:06 23 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने ध्रुव64 (DHRUV64) लॉन्च किया, जो देश का पहला पूर्णतः स्वदेशी 1.0 गीगाहर्ट्ज, 64-बिट डुअल-कोर माइक्रोप्रोसेसर है।

ध्रुव64 (DHRUV64) के बारे में

  • तकनीकी संरचना: यह एक उच्च-प्रदर्शन 64-बिट डुअल-कोर प्रोसेसर है, जो रिड्यूस्ड इंस्ट्रक्शन सेट कंप्यूटर–वी’ (RISC-V) ओपन सोर्स आर्किटेक्चर पर आधारित है, जिससे बौद्धिक संपदा (IP) की लाइसेंसिंग लागत समाप्त हो जाती है।
    • RISC-V एकओपन सोर्स लैंग्वेज’ है, जो कंप्यूटर को हार्डवेयर से संबद्ध करती है।
    • विंडोज (Windows) या इंटेल (Intel) जैसीक्लोज्ड’ प्रणालियों के विपरीत, जिनके लिए महँगे लाइसेंस की आवश्यकता होती है, RISC-V किसी भी व्यक्ति के उपयोग और संशोधन के लिए निःशुल्क है।
  • उद्देश्य: भारत कोइलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग’ (ESDM) का वैश्विक केंद्र बनाना।

  • प्राप्त उपलब्धि: ध्रुव64, डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम के तहत निर्मित तीसरी चिप है, जिसका समग्र उद्देश्य भारत में भविष्य के माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण सक्षम बनाना है।
    • पहली चिप, तेजस32 (THEJAS32), मलेशिया के सिलटेरा संयंत्र में निर्मित की गई है।
    • दूसरी चिप, तेजस64 (THEJAS64), भारत में मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर लैब (SCL) में निर्मित की गई है।
    • इसके अतिरिक्त, ‘धनुष64’ और ‘धनुष64+’ सिस्टम ऑन ए चिप (SoC) संस्करणों की डिजाइन, कार्यान्वयन और निर्माण प्रक्रिया प्रगति पर है।

  • विकास प्राधिकरण: यह चिप इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा प्रारंभ माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम (MDP) के तहत, उन्नत संगणन विकास केंद्र (C-DAC) द्वारा डिजाइन की गई है।
  • रणनीतिक अनुप्रयोग: यह 5G अवसंरचना, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), औद्योगिक स्वचालन, और ऑटोमोटिव प्रणालियों जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अभिकल्पित है, जिससे डेटा सुरक्षा तथा प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होती है।
  • घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र: ध्रुव64 से पूर्व भारत ने डिजिटल आत्मनिर्भरता सुदृढ़ करने हेतु कई प्रमुख प्रोसेसर विकसित किए:
    • शक्ति (2018): IIT मद्रास द्वारा विकसित; पहला स्वदेशी RISC-V प्रोसेसर
    • अजीत (2018): IIT बॉम्बे द्वारा निम्न-शक्ति अनुप्रयोगों के लिए विकसित।
    • विक्रम (2025): इसरो–SCL द्वारा रणनीतिक अंतरिक्ष मिशनों हेतु विकसित।
    • तेजस64 (2025): C-DAC द्वारा विकसित उच्च-प्रदर्शन प्रोसेसर, जो ध्रुव64 से पूर्व आया।
  • महत्त्व
    • आउट-ऑफ-ऑर्डर’ निष्पादन और उन्नत निर्माण के कारण उच्च प्रदर्शन और विश्वसनीयता।
    • रणनीतिक और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों के लिए स्वदेशी प्रोसेसर क्षमता को मजबूत करता है।
    • ओपन सोर्स आर्किटेक्चर’ के माध्यम से लाइसेंस लागत समाप्त कर दीर्घकालिक, वहनीय प्रयोग को प्रोत्साहित करता है, जिससे आत्मनिर्भर माइक्रोप्रोसेसर पारिस्थितिकी तंत्र सुदृढ़ होता है।

PWOnlyIAS विशेष

  • माइक्रोप्रोसेसर: ये मोबाइल फोन, कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, रक्षा प्रणालियों और उपग्रहों, जैसे- आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ब्रेन’ होते हैं।

स्वदेशी चिप डिजाइन को समर्थन देने वाले प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), 2021: यह संरचित सहायता प्रदान करता है और वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर देश में बड़े सेमीकंडक्टर निवेश लाने का कार्य करता है।
    • वर्ष 2025 तक मिशन ने छह राज्यों में दस परियोजनाओं को स्वीकृति दी है, जिन्हें ₹1.60 लाख करोड़ के कुल निवेश की प्रतिबद्धता प्राप्त हुई है।
    • ISM के माध्यम से भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतियोगी अभिकर्ता के रूप में उभर रहा है।
  • डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना, 2021: इसका उद्देश्य एकीकृत परिपथ (ICs), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (SoCs), सिस्टम एवं आईपी कोर तथा सेमीकंडक्टर-संबद्ध डिजाइन के विभिन्न चरणों हेतु वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन अवसंरचना समर्थन प्रदान करना है। यह सहायता पाँच वर्षों की अवधि के लिए उपलब्ध है।
  • डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम, 2022: इसने भारत के स्वदेशी चिप डिजाइन प्रयासों को अत्यधिक गति प्रदान की।
    • उन्नत RISC-V प्रोसेसरों के विकास को सक्षम बनाया।
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य शोधकर्ताओं, स्टार्ट-अप्स और उद्योग को साझा डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ना है, ताकि सहयोग एवं नवाचार को बढ़ावा मिले।
  • चिप्स-टू-स्टार्टअप (C2S) कार्यक्रम, 2022: 113 संस्थानों में लागू एक क्षमता-निर्माण पहल, जिसमें 100 अकादमिक एवं अनुसंधान संगठन तथा 13 स्टार्टअप व MSMEs शामिल हैं।
    • पाँच वर्षों की अवधि के लिए कार्यक्रम का व्यय ₹250 करोड़ है।
    • इसका उद्देश्य 85,000 उद्योग आधारित मानव संसाधन उत्पन्न करना और देश में एक सशक्त फैबलेस चिप डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • इंडियन नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स यूजर्स प्रोग्राम-’आइडिया टू इनोवेशन’ (INUP-i2i): यह छात्रों, शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप्स को राष्ट्रीय नैनोफैब्रिकेशन प्रणालियों तक प्रत्यक्ष व्यावहारिक पहुँच प्रदान करता है।
    • चिप एवं उपकरण निर्माण में व्यावहारिक प्रशिक्षण पर केंद्रित है, जिससे डिजाइन और विनिर्माण के बीच का अंतराल कम होता है।
    • अब तक 8,000 से अधिक प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार कर चुका है और सैकड़ों मध्यम-स्तरीय अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन दिया है।

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