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मालदीव और भारत संबंधों में मतभेद (Differences in relations between Maldives and India)

Samsul Ansari January 11, 2024 06:38 229 0

संदर्भ 

हाल ही में मालदीव सरकार ने भारतीय प्रधानमंत्री पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • भारत के प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा: हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीपसमूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन परियोजना तथा कुछ अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए लक्षद्वीप का दौरा किया। 

लक्षद्वीप की पर्यटन क्षमता

  • पर्यटकों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान: अरब सागर में केरल के तट से लगभग 400 किमी. दूर स्थित लक्षद्वीप पर्यटकों के लिए ‘छिपे हुए रत्न‘ के रूप में देखा जाता है।
  • बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा: केंद्र सरकार, तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पश्चिमी तट पर बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दे रही है। 
  • भारत के प्रधानमंत्री का दौरा: प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप की तस्वीरें साझा कीं, जिसमें द्वीपों की सुंदरता दिखाई गई है तथा लक्षद्वीप यात्रा में पर्यटन विकास की क्षमता पर प्रकाश डाला गया है।
  • भारत में बढ़ता तटीय पर्यटन: हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की रिपोर्ट ने बताया की भारत में तटीय पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, जो देश की बढ़ती समुद्री अर्थव्यवस्था के भीतर अग्रणी क्षेत्रों में से एक बन गया है।

भारत-मालदीव संबंधों की पृष्ठभूमि

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत और मालदीव नृजातीय, भाषायी, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं।
  • मान्यता और राजनयिक संबंध: भारत, वर्ष 1965 में मालदीव की आजादी के बाद उसे एक स्वतंत्र देश की मान्यता देने और देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले प्रमुख देशों में से एक था।
  • उच्चायुक्त: भारत ने वर्ष 1972 में अपना मिशन एवं वर्ष 1980 में उच्चायुक्त की स्थापना की गई। मालदीव ने नवंबर 2004 में नई दिल्ली में पूर्ण रूप से एक उच्चायोग खोला। 

मालदीव के लिए भारत का महत्त्व

  • रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना: मालदीव की समुद्री निगरानी क्षमता और संभावनाओं की भरपाई करते हुए भारत एक अहम क्षेत्रीय सुरक्षा भागीदार बना हुआ है।
    • उदाहरण के लिए अब्दुल्ला यामीन (वर्ष 2013-2018) जिनके नेतृत्व में मालदीव और चीन के मध्य मजबूत आर्थिक-राजनीतिक संबंध विकसित हुए, के नेतृत्व के दौरान भी मालदीव ने भारत के साथ रक्षा सहयोग जारी रखा।
    • भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत, मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) की लगभग 70 प्रतिशत रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है। एकुवेरिन(Ekuverin), एकाथा(Ekatha) एवं आपदा प्रबंधन जैसे संयुक्त अभ्यासों के माध्यम से क्षमता निर्माण भी रक्षा सहयोग का हिस्सा रहा है। 
  • भारत-मालदीव द्विपक्षीय व्यापार: भारत मालदीव का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, एक शीर्ष निर्यात गंतव्य और एक पारंपरिक सहयोगी भी है।
    • मालदीव चावल, गेहूँ का आटा, चीनी, आलू प्याज, अंडे, सब्जियाँ और यहाँ तक ​​कि विनिर्माण सामग्री जैसी कई आवश्यक वस्तुओं के लिए भारत पर निर्भर है।

  • भारतीय स्टेट बैंक, इस द्वीपीय राष्ट्र का सबसे बड़ा बैंक है और वर्ष 1974 से रिसॉर्ट्स, समुद्री उत्पादों के निर्यात और व्यावसायिक उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • विकास और बुनियादी ढाँचा: भारत, मालदीव में कई बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं में लगा हुआ है, जिसमें हनीमाधू (Hanimaadhoo) और गण द्वीप ( Gan Island,) के हवाई अड्डे, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना, साथ ही गुलहिफाल्हू बंदरगाह (Gulhifalhu Port) का विकास शामिल है।
  • भारत वर्तमान में मालदीव में जो सबसे बड़ी परियोजना चला रहा है वह ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना है, जिसके लिए भारत ने 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किए हैं। 
  • स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा
    • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, भारत ने अत्याधुनिक कैंसर सुविधा स्थापित करने में मदद की तथा इंदिरा गांधी मैमोरियल अस्पताल के विकास के लिए 52 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, जो विभिन्न द्वीपों पर 150 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को जोड़ेगा।
    • शिक्षा के क्षेत्र में, भारत ने वर्ष 1996 में तकनीकी शिक्षा संस्थान स्थापित करने में मालदीव की मदद की। भारत ने मालदीव के शिक्षकों और युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु 5.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्तपोषण के साथ एक कार्यक्रम भी शुरू किया है। 
  • मालदीव पर्यटन: भारत, मालदीव में पर्यटकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जिसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है।
    • विश्व बैंक के अनुसार, पर्यटन राजस्व उसकी अर्थव्यवस्था का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।
    • मालदीव पर्यटन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में 2.09 लाख से अधिक भारतीयों ने इस द्वीपीय राष्ट्र का दौरा किया। वर्ष 2018 के बाद से, मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक रही है।

भारत के लिए मालदीव का महत्त्व

  • सामरिक महत्त्व: मालदीव, भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है क्योंकि यह हिंद महासागर में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन के संबंध में सामरिक रूप से अवस्थित है, जो भारत, चीन और जापान जैसे देशों को निर्बाध ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
    • मालदीव भौगोलिक रूप से पश्चिमी हिंद महासागर के चोकपॉइंट के रूप में एक ओर अदन की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य तो वहीँ दूसरी ओर पूर्वी हिंद महासागर के चोकपॉइंट के रूप में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच एक ‘टोल गेट’ की तरह अवस्थित है।
  • नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका: प्रमुख दक्षिण एशियाई शक्ति और हिंद महासागर क्षेत्र में एक ‘नेट सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में, भारत को सुरक्षा एवं रक्षा क्षेत्रों में मालदीव के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है। 
  • क्षेत्रीय समूहों में सहयोग: मालदीव, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का भी सदस्य है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपना नेतृत्व बनाए रखने हेतु भारत के लिए मालदीव सामरिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण देश है। 
    • उदाहरण के लिए मालदीव, उरी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में सार्क शिखर सम्मेलन के आयोजन का बहिष्कार करने के भारत के आह्वान का पालन करने के पक्ष में नहीं था।
  • भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना: मालदीव में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 27,000 है, जो मालदीव और अन्य प्रवासियों के साथ शांतिपूर्वक रह रहे हैं, और उन्हें किसी भी बड़े मुद्दे का सामना नहीं करना पड़ता है। 

भारत-मालदीव के बिगड़ते संबंधों का कारण

  • ‘भारत पहले’ दृष्टिकोण बदलना: मालदीव में नागरिक दो दृष्टिकोणों में विभाजित हैं। एक ‘इंडिया आउट’ अभियान का समर्थन कर रहा है और दूसरा पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाले ‘इंडिया फर्स्ट’ अभियान का समर्थन कर रहा है।
    • उदाहरण के लिए- मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने द्विपक्षीय यात्रा के लिए अपने पहले देश के रूप में तुर्की का दौरा किया तथा उसके बाद चीन का दौरा किया, जिससे लंबे समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ दिया गया, जिसके तहत उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति पद सँभालने के बाद सबसे पहले भारत का दौरा करते  थे।

हाइड्रोग्राफी संधि (Hydrography Pact)

  • हाइड्रोग्राफी समझौते पर हस्ताक्षर: भारतीय प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019 में राजकीय यात्रा के लिए मालदीव की यात्रा की और यात्रा के दौरान विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के बीच हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग भी शामिल है।
  • हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण: वे समुद्री परिवहन की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल की गहराई, समुद्र तल एवं समुद्र तट का आकार, संभावित अवरोधों का स्थान तथा जल निकायों की भौतिक विशेषताओं का पता लगाने में मदद करते हैं।

  • मालदीव की घरेलू राजनीति का प्रभाव: राष्ट्रपति मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से मालदीव तथा भारत के बीच संबंध अस्थिर रहे हैं। माले द्वारा नई दिल्ली के साथ दूरी बनाने के लिए जानबूझकर प्रयास किए गए हैं। 
    • उदाहरण के लिए, मालदीव द्वारा हाइड्रोग्राफी समझौते को खत्म करने को भारत से दूरी बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जा सकता है। 
  • मालदीव में राजनयिक संकट: दक्षिण एशिया और हिंद महासागरीय क्षेत्र (IOR) के सभी देशों को अपनी दो क्षेत्रीय शक्तियों (भारत और चीन) के बीच संतुलन बनाना होगा। इसके लिए एक अच्छे कूटनीतिक संतुलन की आवश्यकता है। मुइज्जू के तहत मालदीव के मामले में, यह  कूटनीतिक संतुलन दोषपूर्ण हो गया है। 
    • यह असंतुलन एक ऐसी स्थिति की ओर ले जा रहा है जहाँ न केवल दोनों सरकारों के बीच संबंध बल्कि दोनों देशों के बीच भी दीर्घकालिक परिणामों पर असर पड़ने की संभावना है।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव: भारत से पहले चीन की यात्रा करने के राष्ट्रपति मुइज्जू के निर्णय ने चिंताएँ बढ़ा दी हैं, मालदीव के नेता की ‘इंडिया आउट’ नीति अपनाने और चीन की ओर झुकाव के संबंध में अटकलें बढ़ रही हैं। 
    • चीन अपने स्वयं के भू-आर्थिक लक्ष्यों की खोज में, मालदीव को अपने ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (BRI) के प्रमुख घटकों में से एक के रूप में देखता है और इस द्वीपसमूह में  बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में खुद को शामिल करके सक्रिय रूप से अपनी उपस्थिति स्थापित कर रहा है।
  • भारत के लिए इस्लामी कट्टरपंथ की चिंताएँ: इस्लामिक स्टेट (IS) और लश्कर-ए-तैयबा (LET) जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की ओर आकर्षित मालदीव के कई लोगों ने वर्ष 2004 की सुनामी के बाद राहत कार्यों की आड़ में पैर जमाने के लिए अपने धर्मार्थ फ्रंट संगठन, इदारा खिदमत-ए-खल्क के माध्यम से मालदीव का उपयोग किया है।
    • उदाहरण के लिए, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने वर्ष 2022 में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक योग सभा पर यह कहते हुए हमला किया कि योग उनकी इस्लामी मान्यताओं के अनुरूप नहीं है।
  • अनुमानित सुरक्षा चुनौतियाँ: मालदीव की वर्तमान सरकार ने भारत पर देश की संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है और भारत से ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने के लिए कहा है। 
    • इसके अलावा, मालदीव दिसंबर 2023 में कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव बैठक से अनुपस्थित था। 

आगे की राह 

  • मालदीव के लिए: भारत इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक और सुरक्षा केंद्र के रूप में स्थित है, जिससे यह जरूरी हो जाता है कि आपसी संवेदनशीलता का सम्मान किया जाए।
    • दोनों देशों के मध्य संबंधों को और मजबूत करने के लिए नई सरकार को दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करके भारत विरोधी रुख छोड़ना होगा। 
  • भारत के लिए: भारतीय कूटनीति इतनी लचीली हो सकती है कि वह मालदीव सहित पड़ोसी देशों में कई पक्षों को शामिल कर सके। इससे केवल सत्ता में बैठे लोगों से उलझने के बजाय जो भी सत्ता में  है उससे जुड़ने में मदद मिलेगी। 

निष्कर्ष 

दोनों देशों के मध्य वर्तमान विवाद डिजिटल युग में राजनयिक संचार के महत्त्व और राष्ट्रों के बीच जिम्मेदार जुड़ाव की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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