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भारत में डिजिटल स्वास्थ्य अपनाना: अवसर और चुनौतियाँ (Digital Health Adoption in India: Opportunities and Challenges)

Samsul Ansari December 13, 2023 12:33 319 0

स्वास्थ्य

संदर्भ

 COVID-19 महामारी ने स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने, बीमारी को रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों को लागू करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

संबंधित तथ्य

अनुमान है कि भारत में डिजिटल हेल्थकेयर बाजार वर्ष 2022 में $2.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 में लगभग $37 बिलियन डॉलर हो जाएगा।

  • अगस्त 2023 तक, लगभग 44.2 करोड़ यूनीक आईडी (Unique IDs) कार्ड बनाए गए हैं और 110 डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल मिशन के तहत एकीकृत किया गया है।

भारत में स्वास्थ्य की स्थिति

  • अपर्याप्त स्वास्थ्य अवसंरचना: पूरे भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना की स्थिति में व्यापक अंतर है, कुछ राज्य इसमें बहुत पीछे हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में प्रति 1,000 जनसंख्या पर केवल 0.5 सार्वजनिक हॉस्पिटल बेड्स (Hospital Beds) हैं।
    • भारत को आबादी की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा करने के लिए 3.5 मिलियन अतिरिक्त हॉस्पिटल बेड्स (Hospital Beds) की आवश्यकता है।
  • कुशल पेशेवर की कमी
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यबल खाते (NHWA) के अनुसार प्रति 1,00,000 व्यक्तियों पर डॉक्टरों और नर्सों/दाइयों की संख्या क्रमशः 88 और 177 है।
    • ये सभी अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 445 डॉक्टरों, नर्सों और दाइयों की सीमा से काफी नीचे हैं।
  • महामारी संक्रमण: अस्वास्थ्यकर जीवनशैली  के कारण हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (NCD) में वृद्धि हुई है, जो एक प्रमुख चिंता का विषय है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) और NFHS-5 के बीच मोटापे के मामले 19% से बढ़कर 23% हो गए है।
    • WHO के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में 66% मौतों के कारण गैर-संचारी रोग थे।
  • कम बीमा कवरेज
    • बढ़े हुए स्वास्थ्य बीमा कवरेज के बावजूद, लाखों लोग बीमा कवर में शामिल नहीं हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर उनका निजी खर्च (Out-of-pocket expansion) बहुत अधिक है।
    • कुल स्वास्थ्य व्यय में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) की हिस्सेदारी 62.6% से घटकर 47.1% हो गई, परंतु यह अभी भी अधिक है।
  • खंडित स्वास्थ्य सेवा बाजार: निजी अस्पताल की श्रेणी में 95% पेशेंट बेड स्टैंडअलोन अस्पताल और नर्सिंग होम उपलब्ध कराते हैं।
    • हालाँकि ये संस्थान बहुत आवश्यक सेवा प्रदान करते हैं लेकिन वे बहु-विशिष्टता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में असमर्थ हैं, तृतीयक और चतुर्थ देखभाल की उपलब्धता इससे भी कम है।
  • नैतिक और नियामकीय चिंताएँ
    • स्वास्थ्य देखभाल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI)  के उपयोग से संबंधित नैतिक और नियामकीय  चिंताओं पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • सर्जरी, निदान और चिकित्सा निर्णय लेने में AI और रोबोटिक्स का तेजी से उपयोग किया जा रहा है।

डिजिटल स्वास्थ्य के प्रकार

डिजिटल स्वास्थ्य एक व्यापक शब्द है, जिसमें इसके कई प्रकार शामिल है, इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR): यह मेडिकल रिकॉर्ड का एक डिजिटल संस्करण माना जाता है, EMR में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के चार्ट से महत्त्वपूर्ण डेटा होता है, जैसे दवाएँ, एलर्जी, पृष्ठभूमि, कोई निदान इत्यादि।
  • टेलीमेडिसिन: टेलीमेडिसिन से तात्पर्य फोन पर या वीडियो कॉल के माध्यम से मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने से है।
  • मोबाइल हेल्थ/एमहेल्थ: टेलीमेडिसिन के समान, एम हेल्थ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने के लिए मोबाइल के उपयोग को संदर्भित करता है।
  • ई-परामर्श: जैसा कि नाम से पता चलता है, इस पद्धति में इलैक्ट्रॉनिक रूप से एक प्रदान करना और उसे रोगी या फार्मेसी तक पहुँचाना शामिल है।

डिजिटल स्वास्थ्य क्या है?

  • डिजिटल हेल्थ का तात्पर्य स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी, डेटा और इलैक्ट्रॉनिक संचार के एकीकरण से है।
  • इसमें स्वास्थ्य ट्रैकिंग, टेलीमेडिसिन, इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और पहनने योग्य उपकरण तथा स्वास्थ्य ऐप्स आदि सहित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।

यूएचसी के उत्प्रेरक के रूप में डिजिटल स्वास्थ्य

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage)

  • WHO के अनुसार, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) का मतलब है कि सभी लोगों को वित्तीय कठिनाई के बिना, जब और जहाँ उनकी आवश्यकता हो, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी शृंखला तक पहुँच हो।
  • इसमें स्वास्थ्य संवर्द्धन से लेकर रोकथाम, उपचार, पुनर्वास और जीवन भर प्रशामक देखभाल तक आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी निरंतरता शामिल है।

  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, सतत विकास लक्ष्य 3 का एक प्रमुख लक्ष्य है, जो सभी व्यक्तियों और समुदायों को वित्तीय कठिनाई के बिना आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने की परिकल्पना करता है।
  • डिजिटल स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी को सुलभ एवं प्रभावी बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता  है और इसमें समग्र सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लक्ष्यों का समर्थन करने की क्षमता है।
  • भारत ने द्वि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है
    • नीतिगत ढाँचे के माध्यम से डिजिटल स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना।
    • अग्रणी हस्तक्षेपों के लिए एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना जो न केवल उपलब्धता, पहुँच और सामर्थ्य पर बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की समानता पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)

  • ABDM का लक्ष्य देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे के लिए आधार  विकसित करना है।
  • एबीडीबी के घटक:
    • ABHA संख्या: एबीएचए नंबर का उपयोग विशिष्ट रूप से व्यक्तियों की पहचान करने, उन्हें प्रमाणित करने और उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड (केवल रोगी की सूचित सहमति से) को कई प्रणालियों तथा हितधारकों में फैलाने के उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

The ABDM Ecosystem

    • आभा(ABHA) मोबाइल ऐप (PHR):
      • पीएचआर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है जो राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अंतर-संचालनीयता मानकों के अनुरूप है और जिसे व्यक्तियों  द्वारा प्रबंधित, साझा और नियंत्रित करते हुए कई स्रोतों से लिया जा सकता है।
      • पीएचआर की सबसे प्रमुख विशेषता और जो इसे ईएमआर और ईएचआर से अलग करती है, वह यह है कि इसमें मौजूद जानकारी व्यक्ति के नियंत्रण में होती है।
    • ABHA मोबाइल एप्लिकेशन की मुख्य विशेषताएँ हैं:
      • ABHA पते का निर्माण
      • स्वास्थ्य सूचना की खोज
      • स्वास्थ्य रिकॉर्ड/किसी दिए गए ABHA पते को जोड़ना
      • स्वास्थ्य रिकॉर्ड दिखाना  
      • सहमति का प्रबंधन
    • हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR)
      • यह चिकित्सा की आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रणालियों में स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में शामिल सभी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का एक व्यापक भंडार है।
    • स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (HFR)
      • यह चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों में राष्ट्र की स्वास्थ्य सुविधाओं का एक व्यापक भंडार है।
      • इसमें अस्पताल, क्लीनिक, नैदानिक ​​​​प्रयोगशालाएँ और इमेजिंग केंद्र, फार्मेसियों आदि सहित सार्वजनिक तथा निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाएँ शामिल हैं।

Healthcare is Now Digital

डिजिटल स्वास्थ्य के लाभ

  • व्यापक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियाँ अधिक समग्र डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की सुविधा के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करती हैं जो स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच बढ़ा सकती हैं, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकती हैं और लागत कम कर सकती हैं।
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका में, निमोनिया का पता लगाने और कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए AI-समर्थित  सीटी इमेजिंग का उपयोग किया गया था।
  • शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के बीच अंतर को पाटना: डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियाँ दूरदराज के स्थानों पर चिकित्सा विशेषज्ञता लाकर शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के बीच अंतर को पाटने में मदद कर सकती हैं।
    • उदाहरण के लिए, टेलीमेडिसिन, मरीजों को वीडियो कॉल के माध्यम से अपने डॉक्टर को देखने की अनुमति देता है, जिससे यात्रा समाप्त हो जाती है और प्रतीक्षा समय कम हो जाता है।
  • कारगर स्वास्थ्य देखभाल प्रक्रियाएँ: इसके अतिरिक्त, डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल समाधान उन्हें सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे वे अधिक कुशल और लागत प्रभावी बन जाते हैं।
    • उदाहरण के लिए, इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच रोगी की जानकारी के निर्बाध आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है, जिससे देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित होती है और दवा संबंधी त्रुटियाँ कम होती हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की उत्पादकता में सुधार: नए AI मॉडल मूल रूप से एक डॉक्टर की उत्पादकता को बढ़ाते हैं, जिससे एक डॉक्टर उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादकता के साथ और अधिक रोगियों को देखने में सक्षम हो जाता है।
    • AI विभागों और बिलिंग के बीच सटीक कोडिंग और जानकारी साझा करने में भी मदद कर सकता है।
  • स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली: स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के डिजिटलीकरण से बड़ी मात्रा में डेटा तैयार होता है जिसका विश्लेषण रोग पैटर्न, उपचार परिणामों और जनसंख्या स्वास्थ्य रुझानों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
    • इन आँकड़ों से प्राप्त अंतर्दृष्टि संभावित रूप से स्वास्थ्य नीति, संसाधन आवंटन और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप को बदल सकती है।
  • नवोन्मेषी साझेदारियाँ और समेकन: भारतीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य सेवा स्टार्टअप और स्थापित खिलाड़ियों को अपनी सेवाओं को बढ़ाने और आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करता है।
    • स्टार्टअप और स्थापित खिलाड़ी (established players) अपनी ताकत का लाभ उठाने और मूल्य को अधिकतम करने के लिए सहयोग करते हैं। उदाहरणों में रोग-प्रबंधन प्लेटफाॅर्मों के साथ साझेदारी करने वाली फार्मा कंपनियाँ और स्वास्थ्य-तकनीक खिलाड़ियों के साथ साझेदारी करने वाली बीमा कंपनियाँ शामिल हैं।
    • खंडित स्वास्थ्य सेवा बाजार में समेकन देखा जा रहा है, खासकर टाटा, रिलायंस और फार्मईजी आदि जैसे बड़े खिलाड़ियों द्वारा।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य अपनाने की चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे की कमी
    • सीमित डिजिटल बुनियादी ढाँचा: इसमें अविश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी, उपकरणों तक पहुँच की कमी और खराब डिजिटल साक्षरता शामिल है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
    • डिजिटल साक्षरता और डिजिटल विभाजन: कई नागरिकों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और पुरानी पीढ़ियों के बीच, डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफाॅर्मों तक पहुँचने और उनका उपयोग करने के लिए आवश्यक बुनियादी डिजिटल कौशल का अभाव है।

निजता  की चिंताएँ 

    • डेटा गोपनीयता: स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और तकनीकी कंपनियों द्वारा डेटा कैसे एकत्र, संगृहीत और उपयोग किया जाता है, इस पर विश्वास की कमी है।
    • सुरक्षा उल्लंघन: डेटा लीक और संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी के दुरुपयोग की संभावना के बारे में चिंताएँ मौजूद हैं।
      • उदाहरण के लिए: नवंबर 2022 में, एम्स को साइबर हमले का सामना करना पड़ा। जैसे ही सर्वर डाउन हुआ, इसका असर बाह्य रोगी विभाग (OPD) के कामकाज और नमूना संग्रह सेवाओं पर भी पड़ा।

केंद्र द्वारा डिजिटल स्वास्थ्य पहलें

को-विन(Co-Win): यह कोविड-19 के लिए पंजीकरण के प्रबंधन, अपॉइंटमेंट का निर्धारण और टीकाकरण प्रमाण-पत्रों के प्रबंधन के लिए एक खुला मंच है। इसने 110 करोड़ व्यक्तियों को पंजीकृत किया है और टीकाकरण की 220 करोड़ खुराक के प्रशासन की सुविधा प्रदान की है।

आरोग्य सेतु: आरोग्य सेतु एक मोबाइल एप्लिकेशन है जिसे COVID-19 के खिलाफ हमारी संयुक्त लड़ाई में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को भारत के लोगों से जोड़ने के लिए विकसित किया गया है।

ई-संजीवनी: यह किसी भी देश द्वारा अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल है, जिसके दो प्रकार हैं:

  • ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी): ग्रामीण क्षेत्रों और पृथक समुदायों में सामान्य और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र योजना के तहत एक डॉक्टर-से-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा हैं ।
  • ई-संजीवनी ओपीडी: यह एक रोगी-से-डॉक्टर टेलीमेडिसिन सेवा है जो लोगों को अपने घरों की सीमा में बाह्य रोगी सेवाएँ (OPD) प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS): आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के हिस्से के रूप में डीएचआईएस के तहत, पात्र स्वास्थ्य सुविधाएँ और डिजिटल समाधान प्रदाता संगठन मरीजों के एबीएचए(आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट) नंबरों से जुड़े और बनाए गए डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड की संख्या के आधार पर 4 करोड़ रुपये तक का वित्तीय प्रोत्साहन अर्जित करने में सक्षम होंगी।

  • मानकीकरण और अंतरसंचालनीयता का अभाव
    • असंगत डेटा प्रारूप और मानक: इससे विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के लिए सूचनाओं को निर्बाध रूप से संचारित करना और साझा करना मुश्किल हो जाता है।
    • खंडित पारिस्थितिकी तंत्र: एकीकृत मंच या मानक प्रोटोकॉल की कमी अक्षमताएँ पैदा करती हैं और डेटा विनिमय में बाधा डालती हैं।
  • नियामक ढाँचा:
    • तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियाँ: नियामक ढाँचे अक्सर डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों में तेजी से प्रगति के साथ तालमेल रखने के लिए संघर्ष करते हैं।
    •  अनिश्चितता और अस्पष्टता: स्पष्ट नियमों और दिशा-निर्देशों की अनुपस्थिति हितधारकों के लिए अनिश्चितता पैदा करती है, जिससे डिजिटल समाधानों को अपनाने और लागू करने में झिझक होती है।
    • डेटा प्रशासन और अनुपालन: मजबूत डेटा प्रशासन और अनुपालन तंत्र की कमी से डेटा उल्लंघनों और सूचना के दुरुपयोग का खतरा बढ़ सकता है।

अतिरिक्त चुनौतियाँ:

  • कुशल पेशेवरों की कमी: डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के उपयोग और प्रबंधन में प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी है।

डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक पहल (GIDH): विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से भारत डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल शुरू करेगा।

  • उद्देश्य: अपनी तरह की पहली वैश्विक पहल का उद्देश्य डेटा अभिसरण, स्वास्थ्य प्लेटफाॅर्मों का इंटरफेस और दुनिया भर में डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करना है।

डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक पहल का महत्त्व:

  • इसमें एक अभिसरण दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है जो सिलोस(अलग-थलग कार्य) को तोड़ता है और यह सुनिश्चित करता है कि मौजूदा और चल रहे डिजिटल स्वास्थ्य प्रयासों को एक छतरी के नीचे सुलभ बनाया जा सकता है।
  • इसमें एक निवेश ट्रैकर, एक अनुरोध (ask) ट्रैकर (यह समझने के लिए कि किसे किस प्रकार के उत्पादों और सेवाओं की आवश्यकता है) और मौजूदा डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफाॅर्मों की एक लाइब्रेरी शामिल होगी।
  • यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य अभिसरण में सहायता करेगा और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार करेगा। इस पहल को वैश्विक साझेदारों से भी वित्तपोषण (funding ) मिला है।

 आगे की राह:  

  • डिजिटल विभाजन को पाटना:
    • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और कमजोर आबादी के बीच विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी, किफायती उपकरणों और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों में निवेश करना।
    • स्थानीय भाषा समर्थन: पहुँच और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफाॅर्मों और संसाधनों का स्थानीयकरण।
    • उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस विकसित करना: ऐसे डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म डिजाइन करना जो डिजिटल साक्षरता के विभिन्न स्तरों वाले लोगों के लिए उपयोग में आसान और सुलभ हों।
  • नियामक ढाँचे को मजबूत बनाना
    • स्पष्ट और व्यापक नियम विकसित करना: डेटा गोपनीयता मानकों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और डेटा संग्रह, भंडारण तथा साझाकरण के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करना।
    • अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना: विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय को सक्षम करने के लिए मानकीकृत डेटा प्रारूप और अंतरसंचालनीयता प्रोटोकॉल लागू करना।
    • एक मजबूत नियामक संस्था बनाना: डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की देखरेख, नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए जिम्मेदार एक केंद्रीय प्राधिकरण की स्थापना करना।
  • व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र
    • स्थापित खिलाड़ी (Established players): स्थापित खिलाड़ियों को अपने मौजूदा बिजनेस मॉडल में डिजिटल क्षमताओं को एकीकृत करने और “स्टार्टअप मानसिकता” अपनाने की जरूरत है।
    • स्टार्टअप्स: स्टार्टअप्स को अपने उत्पाद के लिए उपयुक्त उत्पाद-बाजार ढूँढना होगा, एक मूल्य पूल की पहचान करनी होगी और अपनी सेवाओं के दायरे को परिभाषित करना होगा। पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) में अन्य खिलाड़ियों (Players) के साथ साझेदारी करने से उनकी सफलता बढ़ सकती है।
  •   नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: नवाचार में तेजी लाने और प्रभावी डिजिटल स्वास्थ्य समाधान विकसित करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, प्रौद्योगिकी कंपनियों तथा अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
    • स्टार्टअप और उद्यमियों (Entrepreneurs) को समर्थन देना: नवीन डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों को विकसित करने वाले स्टार्टअप को वित्तपोषण(फंडिंग), मेंटरशिप और बुनियादी ढाँचा सहायता प्रदान करना।
    • मौजूदा प्लेटफाॅर्मों का लाभ उठाना: सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों जैसे मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे के साथ डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एकीकृत करना।
  • क्षमता निर्माण और विशेषज्ञता
    • प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश: डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से उपयोग और प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों को आवश्यक कौशल तथा ज्ञान से लैस करना।
    • ज्ञान साझा करने और सहयोग को प्रोत्साहित करना: डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में हितधारकों के बीच ज्ञान साझा करना और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • रोगी-केंद्रितता को प्राथमिकता देना
    • रोगी की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना: मजबूत डेटा सुरक्षा उपायों को लागू करना और रोगियों को अपने स्वास्थ्य डेटा को नियंत्रित करने के लिए सशक्त बनाना।
    • सामर्थ्य (Affordability) पर ध्यान केंद्रित करना: लागत प्रभावी डिजिटल स्वास्थ्य समाधान विकसित करना जो समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ हो।
  • निगरानी और मूल्यांकन
    • डेटा एकत्र करना और प्रगति पर नजर रखना: डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के प्रभाव की नियमित रूप से निगरानी करना और निर्णय लेने तथा रणनीतियों को अनुकूलित करने के लिए डेटा का उपयोग करना।
    • अनुसंधान और मूल्यांकन करना: डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता और दक्षता का मूल्यांकन करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए अनुसंधान में निवेश करना।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना: डिजिटल स्वास्थ्य पहल, डेटा उपयोग और प्रदर्शन मैट्रिक्स के बारे में सार्वजनिक रूप से जानकारी उपलब्ध कराना ।

निष्कर्ष: 

भारत एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, वह नए युग के स्वास्थ्य सेवा मॉडल विकसित करने के लिए अनुकूल स्थिति में है, जिन्हें भारत और दुनिया अपनाएगी।

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