संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन, COP16, 21 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2024 तक कैली, कोलंबिया में आयोजित होने वाला है।
संबंधित तथ्य
प्रकृति के तीव्र क्षरण से निपटने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि वहाँ उपस्थित होंगे।
COP16 के लक्ष्य
एकीकृत प्रणाली: DSI उपयोग से संरक्षण के लिए राजस्व उत्पन्न करने हेतु एकल, बहुपक्षीय प्रणाली की स्थापना करना।
डिजिटल अनुक्रम सूचना (Digital Sequence Information-DSI) क्या है?
DSI सभी जीवित जीवों में पाए जाने वाले अद्वितीय आनुवंशिक कोड और अनुक्रमों को संदर्भित करता है।
महत्त्व: ये अनुक्रम यह समझने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं कि जीव कैसे विकसित होते हैं और कार्य करते हैं।
DSI आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिए महत्त्वपूर्ण है, विशेष रूप से खाद्य और कृषि में।
आनुवंशिक जानकारी पर चर्चा क्यों?
अनुसंधान और विकास: वैज्ञानिक पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों के आनुवंशिक कोड का उपयोग करके फार्मास्यूटिकल्स और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए नए उत्पादों की खोज कर रहे हैं।
जैव विविधता की चिंताएँ: ब्राजील और भारत जैसे जैव विविधता से समृद्ध देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जब कंपनियाँ उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें तो उन्हें पर्याप्त मुआवजा मिले।
कंपनियों के लिए DSI का महत्त्व
आर्थिक प्रभाव: DSI का उपयोग करने वाले क्षेत्र सालाना लगभग 1.6 ट्रिलियन डॉलर का योगदान करते हैं, जो फार्मास्यूटिकल्स और कृषि जैसे उद्योगों को प्रभावित करता है।
उत्पाद विकास: DSI टीकों और खाद्य उत्पादों सहित नए चिकित्सा उपचार बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
अनुसंधान में भूमिका
मौलिक उपकरण: DSI पर्यावरण और जैविक अनुसंधान के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो जीवन के आणविक आधार और विकास को समझने में सहायता करता है।
उपचारात्मक क्षमता: यह नई चिकित्सा, बीमारियों के इलाज और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के लिए जीन में परिवर्तन करने के तरीकों का पता लगाने में मदद करता है।
संरक्षण अनुप्रयोग: DSI वर्गीकरण, खतरे में पड़ी प्रजातियों के लिए जोखिम मूल्यांकन, अवैध व्यापार पर नजर रखने, उत्पाद की उत्पत्ति की पहचान करने तथा संरक्षण प्रबंधन में सहायता करता है।
डिजिटल अनुक्रम सूचना (DSI) के लाभ
त्वरित अनुसंधान: DSI आनुवंशिक जानकारी तक त्वरित पहुँच प्रदान करता है, जिससे वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों और संस्थानों के लिए अनुसंधान में तेजी आती है।
लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा: DSI जैव विविधता के अध्ययन और संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर विलुप्त होने के जोखिम वाली प्रजातियों के लिए।
अनुसंधान के अवसर: DSI की डिजिटल प्रकृति पौधों की आनुवंशिकी और नई दवाओं के विकास पर अनुसंधान की सुविधा प्रदान करती है, जिससे आनुवंशिक संसाधनों पर निर्भर उद्योगों को लाभ होता है।
डेटा साझाकरण और सहयोग: सार्वजनिक रूप से सुलभ DSI डेटाबेस अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे कुशल ज्ञान साझा करने और वैश्विक अनुसंधान परियोजनाओं में योगदान करने की अनुमति मिलती है।
डिजिटल अनुक्रम सूचना (DSI) की चुनौतियाँ
लाभ-साझाकरण ढाँचे का अभाव: विकासशील देशों का तर्क है कि DSI तक खुली पहुँच विकसित देशों को मूल देशों या स्थानीय समुदायों को उचित मुआवजा दिए बिना आनुवंशिक डेटा से लाभ उठाने देती है।
बौद्धिक संपदा मुद्दे: DSI कंपनियों या देशों को आनुवंशिक डेटा से विकसित उत्पादों का पेटेंट कराने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे स्रोत देशों और समुदायों के अधिकारों के बारे में सवाल उठते हैं।
संरक्षण बनाम व्यावसायीकरण: DSI या तो जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद कर सकता है या इसके शोषण का कारण बन सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि जानकारी का उपयोग कैसे किया जाता है और क्या लाभ निष्पक्ष रूप से साझा किए जाते हैं।
वर्तमान चुनौतियाँ
जटिल कानूनी ढाँचा: आनुवंशिक सामग्री के उपयोग को नियंत्रित करने वाले कानून देश के अनुसार व्यापक रूप से भिन्न होते हैं, जो अनुसंधान और साझाकरण को जटिल बनाते हैं।
सीमित वित्तीय लाभ: विकासशील देशों को अक्सर इन विनियमों के कारण अपनी जैव विविधता से बहुत कम लाभ मिलता है।
GBF ने अपने लक्ष्यों में DSI को शामिल किया है। इसका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण और लाभ-साझाकरण के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना है तथा बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता पर बल देना है।
नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol)
यह प्रोटोकॉल, जो जैव विविधता पर कन्वेंशन का हिस्सा है, आनुवंशिक संसाधनों से लाभ के निष्पक्ष और न्यायसंगत बँटवारे पर ध्यान केंद्रित करता है, लेकिन DSI को पूरी तरह से संबोधित नहीं करता है।
पहुँच और लाभ-साझाकरण (Access and Benefit-Sharing-ABS) तंत्र
विभिन्न ABS ढाँचे, DSI सहित आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, लेकिन DSI के लिए मानकीकृत अंतरराष्ट्रीय विनियम अभी भी विकसित किए जा रहे हैं।
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