वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs) द्वारा पूँजी पुनर्गठन के संबंध में दिशा-निर्देशों को संशोधित किया।
संशोधित पूँजी पुनर्गठन दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएँ
लाभांश भुगतान अधिदेश: सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs) को शुद्ध लाभ (PAT) का न्यूनतम 30% या निवल मूल्य का 4%, जो भी अधिक हो, का न्यूनतम वार्षिक लाभांश देना आवश्यक है।
वित्तीय क्षेत्र के CPSE (जैसे, NBFC) के लिए, न्यूनतम लाभांश PAT का 30% है, जो कि कानूनी प्रावधानों के अधीन है।
सूचीबद्ध CPSE को वित्तीय वर्ष के दौरान एक या अधिक अंतरिम किस्तों में अनुमानित वार्षिक लाभांश का कम-से-कम 90% भुगतान करना होगा।
त्रैमासिक और अंतरिम लाभांश: CPSE तिमाही परिणाम घोषित करने के बाद प्रत्येक तिमाही में या वर्ष में कम-से-कम दो बार अंतरिम लाभांश का भुगतान कर सकते हैं। सूचीबद्ध CPSE के लिए अंतिम लाभांश सितंबर में वार्षिक आम बैठक (AGM) के बाद भुगतान किया जाना चाहिए।
असूचीबद्ध CPSE पिछले वर्ष के ऑडिट किए गए वित्तीय विवरणों के आधार पर एकल वार्षिक लाभांश का भुगतान कर सकते हैं।
‘बायबैक’ (बकाया शेयरों की खरीद) विकल्प: केवल निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने वाले CPSEs के लिए उपलब्ध हैं।
3,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक की शुद्ध संपत्ति,
1,500 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और बैंक बैलेंस,
और पिछले छह महीनों से लगातार बुक वैल्यू से नीचे बाजार मूल्य, शेयरधारक मूल्य बढ़ाने के लिए शेयरों के ‘बायबैक’ विकल्प पर विचार कर सकता है।
बोनस शेयर: जिन CPSEs का भंडार और अधिशेष उनकी चुकता इक्विटी पूँजी से 20 गुना या उससे अधिक है, उन्हें बोनस शेयर जारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
शेयर विभाजन: सूचीबद्ध CPSEs, जहाँ बाजार मूल्य लगातार छह महीने तक शेयरों के अंकित मूल्य से 150 गुना अधिक है, शेयरों को विभाजित करने पर विचार कर सकते हैं।
दो क्रमिक शेयर विभाजनों के बीच कम-से-कमतीन वर्ष का ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ अनिवार्य है।
वित्त मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न विभाग और उनकी जिम्मेदारियाँ
विभाग
प्रमुख भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ
निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM)
विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण का प्रबंधन।
कार्यों में शामिल हैं:
रणनीतिक विनिवेश(स्वामित्व/नियंत्रण का निजी क्षेत्र को हस्तांतरण)।
अल्पसंख्यक हिस्सेदारी की बिक्री।
सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का पूँजी पुनर्गठन।
14 अप्रैल, 2016 को इसका नाम बदलकर ‘दीपम्’ कर दिया गया।
आर्थिक मामलों का विभाग
राजकोषीय नीति का निर्माण।
रेलवे बजट सहित केंद्रीय बजट की तैयारी और प्रस्तुति।
विधायिका रहित केंद्रशासित प्रदेशों और राष्ट्रपति शासन वाले राज्यों के लिए बजट बनाना।
व्यय विभाग
केंद्र सरकार में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की देख-रेख करना।
राज्य के वित्त से संबंधित मामले।
वित्त आयोग और वेतन आयोग की रिपोर्टों का कार्यान्वयन।
वित्तीय सेवा विभाग
वित्तीय समावेशन के लिए योजनाओं का कार्यान्वयन।
सभी के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए बैंकिंग, बीमा और पेंशन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सार्वजनिक उद्यम विभाग
CPSEs का प्रशासन, वित्तीय स्वास्थ्य निगरानी और प्रदर्शन मूल्यांकन।
लाभ कमाने वाले CPSEs को ‘रत्न’ का दर्जा प्रदान करता है।
पूर्व में भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन; जुलाई 2021 में वित्त मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
राजस्व विभाग
कराधान मामलों का प्रशासन:
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT): आयकर का प्रबंधन करता है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC): जीएसटी, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क (वर्ष 2018 से पहले CBEC) को सँभालता है।
संबद्ध कार्यालय: प्रवर्तन निदेशालय (ED) (PMLA और फेमा को लागू करता है) और केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो।
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