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आपदा जोखिम सूचकांक

Lokesh Pal September 15, 2025 04:08 74 0

संदर्भ

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के साथ बैठक में पर्वतीय राज्यों हेतु आपदा जोखिम सूचकांक (Disaster Risk Index–DRI) में संशोधन का आग्रह किया है। उन्होंने रेखांकित किया कि 15वें वित्त आयोग द्वारा अपनाए गए एक समान सूचकांक में हिमालयी क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक एवं पर्यावरणीय कमजोरियों की उपेक्षा की गई है, जिसके परिणामस्वरूप आपदा राहत आवंटन अपर्याप्त सिद्ध हुआ है।

आपदा जोखिम सूचकांक ( Disaster Risk Index- DRI) क्या है?

  • आपदा जोखिम सूचकांक (DRI) एक समग्र उपकरण है, जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में आपदाओं से उत्पन्न जोखिम के स्तर को मापने, आकलन करने एवं तुलना करने के लिए किया जाता है।
  • आपदा जोखिम सूचकांक के मुख्य आयाम
    • खतरे का जोखिम: प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, आदि) की संभावना।
    • संवेदनशीलता: लोगों, बुनियादी ढाँचे एवं पारिस्थितिकी तंत्रों की संवेदनशीलता (गरीबी, आवास की गुणवत्ता, नियोजन, पर्यावरणीय क्षरण)।
    • अनुकूलन क्षमता: प्रतिक्रियात्मक, पुनर्प्राप्ति और अनुकूलन क्षमता (शासन, स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढाँचा, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, तैयारी)।

वर्तमान आपदा जोखिम सूचकांक (DRI) से संबंधित समस्याएँ

  • यूनिफार्म मैट्रिक्स लिमिटेशन
    • सभी के लिए एक सामान दृष्टिकोण ने राज्य-विशिष्ट खतरों की अनदेखी की है।
    • यह पर्वतीय राज्यों के विशिष्ट खतरों जैसे भूस्खलन, हिमस्खलन, क्लाउडबर्स्ट, वनाग्नि एवं  ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड  (GLOFs) पर विचार नहीं करता।
  • पर्वतीय राज्य विशिष्टता: पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसी आपदाओं की आवृत्ति एवं तीव्रता अधिक होती है, जिसके लिए अनुकूलित मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।

हिमाचल प्रदेश की प्रमुख माँगें

  • पर्वतीय राज्यों के लिए पृथक DRI: हिमालयी पारिस्थितिकी एवं संवेदनशीलता से संबंधित विशिष्ट संकेतकों पर विचार करते हुए एक नया सूचकांक।
  • समर्पित आवंटन: इस संशोधित DRI के आधार पर पर्वतीय राज्यों के लिए अलग-अलग धनराशि, जो उनके मध्य क्षैतिज रूप से वितरित की जाएगी।
  • हरित निधि: पर्वतीय राज्यों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी सेवाओं (वन, जल, जैव विविधता) के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance- SASCI) के रूप में ₹50,000 करोड़ के वार्षिक कोष की स्थापना।
  • शीत मरुस्थलीय क्षेत्रों का समावेश: वृक्ष रेखा से ऊपर स्थित हिमाच्छादित क्षेत्र और शीत मरुस्थलीय क्षेत्र अपने पारिस्थितिकी महत्त्व के कारण सघन वन क्षेत्रों के समकक्ष मान्यता प्राप्त करेंगे।

DRI में संशोधन का महत्त्व

  • उच्च जोखिम वाले भौगोलिक क्षेत्रों में धनराशि का समान आवंटन सुनिश्चित करता है।
  • पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील हिमालयी राज्यों में आपदा तैयारियों को मजबूत करता है।
  • बढ़ती चरम मौसमी घटनाओं को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन का समर्थन करता है।
  • पर्वतीय राज्यों द्वारा राष्ट्र को प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी सेवाओं को मान्यता देता है।

16वें वित्त आयोग (Finance Commission- FC) के बारे में

  • वित्त वर्ष 2026-27 से वित्त वर्ष 2030-31 (पाँच वर्ष) के लिए केंद्र-राज्य कर राजस्व वितरण तय करने हेतु गठित।
  • रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि: 31 अक्टूबर, 2025।
  • उद्देश्य: राजकोषीय नीतियों की समीक्षा करना एवं राजकोषीय स्थिरता एवं आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए संसाधन साझाकरण की सिफारिश करना।
  • संरचना
    • अध्यक्ष: अरविंद पनगढ़िया।
    • अन्य पूर्णकालिक सदस्य: A.N. झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, निरंजन राजाध्यक्ष, सौम्य कांति घोष।

विचारार्थ विषय

  • कर हस्तांतरण: केंद्र एवं राज्यों के मध्य शुद्ध कर आय का वितरण (अनुच्छेद-280 + भाग XII)।
  • सहायता अनुदान (अनुच्छेद-275): यह उन राज्यों को अनुदान देने का प्रावधान करता है, जिनकी राजस्व आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद भी अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है।।
  • स्थानीय निकाय: पंचायतों एवं नगर पालिकाओं के लिए राज्यों की समेकित निधि में वृद्धि के उपाय।
  • आपदा प्रबंधन वित्तपोषण: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत वर्तमान वित्तपोषण की समीक्षा कर सकता है एवं सुधार एवं सिफारिशों का सुझाव दे सकता है।

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