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डूम्सडे क्लॉक (प्रलय घड़ी) (Doomsday Clock)

Samsul Ansari January 25, 2024 06:12 201 0

संदर्भ

विश्व किसी जलवायु या परमाणु आपदा के प्रति कितना संवेदनशील है, इसका दृश्य चित्रण करने वाली ‘डूम्सडे क्लॉक’ (Doomsday Clock) की सूईयों को ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ (Bulletin of the Atomic Scientists) ने इस वर्ष ‘आधी रात’ से 90 सेकंड’ पर रखा है।

  • यह दर्शाता है कि मानवता प्रतीकात्मक विनाश के सर्वाधिक करीब है।

संबंधित तथ्य

डूम्सडे क्लॉक’ को ‘आधी रात से 90 सेकंड’ पर रखने के कारण

  • विपरीत परिस्थितियाँ
    • मौजूदा जलवायु परिस्थितियों, ‘साइबर-आधारित दुष्प्रचार’ और परमाणु जोखिम के कारण ‘डूम्सडे क्लॉक’ को ‘आधी रात से 90 सेकंड’ की स्थिति पर स्थापित करने का कठोर कदम उठाया गया है।
  • चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार
    • विशेष रूप से चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने परमाणु शस्त्रागार के विस्तार या आधुनिकीकरण में पर्याप्त संसाधनों का निवेश कर रहे हैं। 
    • यह परमाणु युद्ध के निरंतर जोखिम को और भी बढ़ा देता है।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने में सरकारों की निष्क्रियता
  • बुलेटिन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में दुनिया भर की सरकारों की बढ़ती निष्क्रियता को भी जिम्मेदार ठहराया।

‘डूम्सडे क्लॉक'(प्रलय की घड़ी)

  • निर्माण: इस घड़ी का निर्माण वर्ष 1947 में अल्बर्ट आइंस्टीन और शिकागो विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा स्थापित ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ ने द्वारा एक प्रतीक के रूप में किया गया था जो दर्शाता है कि दुनिया संभावित सर्वनाश के कितनी करीब है।
    • निर्धारण प्रक्रिया
      • इसे 13 नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित वैज्ञानिकों के एक पैनल द्वारा प्रतिवर्ष पुनर्निर्धारित किया जाता है, यह निर्धारण उस वर्ष दुनिया के सामने आए पुराने और नए खतरों के आधार पर किया जाता है।
      • जब इसे पहली बार वर्ष 1947 में बनाया गया था, तो घड़ी की सुइयों को परमाणु हथियारों से उत्पन्न खतरे के आधार पर रखा गया था, जिसे वैज्ञानिकों ने मानवता के लिए सबसे बड़ा तत्कालीन खतरा माना था। 
      • इन वर्षों में उन्होंने अन्य अस्तित्वगत खतरों को भी शामिल किया है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियाँ

  • उद्देश्य: विनाश की स्थिति को व्यक्त करने के लिए वैज्ञानिकों ने इस घड़ी के माध्यम से मानवता के लिए खतरों को चित्रित करने के लिए दो मानक समयों का प्रयोग किया।
    • एक सर्वनाश संबंधी समय (आधी रात) की कल्पना
    • ‘काउंटडाउन जीरो’ समय।
  • इस घड़ी को मूल रूप से आधी रात से सात मिनट पहले व्यवस्थित किया गया था और तब से यह 12 बजे (आधी रात) की खतरनाक स्थिति से करीब या दूर जाती रही है। 
    • वर्ष 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद यह आधी रात से 17 मिनट सबसे दूर रही है।

  • रूस-युक्रेन युद्ध
  • रूस युक्रेन युद्ध एवं परमाणु हथियार संबंधी रूस की कार्रवाई को भी खतरों के रूप में स्थापित किया गया है।
  • इजरायल-गाजा संघर्ष
  • इजराइल-गाजा युद्ध को भी वैश्विक तबाही के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों के रूप में उद्धृत किया गया है।
  • महामारी का प्रभाव
    • महामारी के प्रभावों से पता चला कि देश और अंतरराष्ट्रीय प्रणालियाँ वैश्विक आपात स्थितियों को सही ढंग से संभालने के लिए कितने तैयार और अनिच्छुक हैं।

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