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DRDO की एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी (DRDO’s anti-drone technology)

Samsul Ansari January 10, 2024 03:31 419 0

संदर्भ

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा काउंटर-ड्रोन प्रणाली (Counter-Drone System) को विकसित किया गया है।

काउंटर ड्रोन प्रणाली

  • काउंटर-ड्रोन प्रणाली एक प्रकार की रक्षा प्रणाली है जिसे घुसपैठ करने वाले ड्रोन का पता लगाने, पहचान करने और उसे निष्क्रिय करके ड्रोन द्वारा किये जाने वाले हमलों को रोकने के लिए विक्सित किया गया है। इसे गतिज (Kinetic) या गैर-गतिज (Non-Kinetic) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • गतिज प्रणाली (Kinetic System): इस गतिज प्रणाली में ड्रोन को नष्ट करने के लिए उस पर परवलयकार पथ में बंदूक की गोलियों या मिसाइल को दागा जाता है और ड्रोन का पता लगाने के लिए रडार जैसे सेंसर को शामिल किया जाता है तथा हथियार को निशाना बनाने और फायर करने के लिए एक मोटर चालित प्लेटफॉर्म को शामिल किया जाता है।
    • गैर-गतिज प्रणालियाँ (Non-Kinetic Systems) उड़ान क्षमता को अवरुद्ध करती हैं या नियंत्रण एवं नेविगेशन के लिए महत्त्वपूर्ण संकेतों को विकृत कर देती हैं। वे निर्धारित आवृत्तियों पर ध्वनि सिग्नल उत्सर्जित करके ऐसा करते हैं, जिससे ड्रोन अपने कमांड सिग्नल का पता लगाने में असमर्थ हो जाता है या गलत GPS सिग्नल भी प्रसारित करता है।

मुख्य बिंदु

  • काउंटर-ड्रोन प्रणाली का विकास: DRDO ने एक स्वदेशी काउंटर-ड्रोन तकनीक विकसित की है जो माइक्रो ड्रोन सहित सभी प्रकार के ड्रोन हमलों (सॉफ्ट एंड हार्ड किल) का सामना कर सकती है।
    • महत्त्व: यह हवा में ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए ‘लेजर-बेस्ड किल सिस्टम’ (Laser-Based Kill System) का उपयोग करता है।
    • यह सिस्टम 3 किलोमीटर तक के सूक्ष्म ड्रोन का पता लगा सकता है और उन्हें जाम कर सकता है और 1-2.5 किलोमीटर तक के लक्ष्य को नीचे लाने के लिए लेजर सिग्नल भेज सकता है।
    • प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण: इसे BEL, अदानी, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और आईकॉम सहित निजी उद्योगों को सौंप दिया गया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)

  • नोडल मंत्रालय: यह रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) का अनुसंधान एवं विकास शाखा है।
  • मिशन: अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना और महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों एवं प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना।
  • उदाहरण: अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला की मिसाइलें, तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान, मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका, वायु रक्षा प्रणाली आकाश आदि।

  • ड्रोन प्रणाली का विकास
    • इंटेलिजेंस, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति और टोही (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance- ISTAR) एप्लिकेशन के लिए विकसित तपस मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) नामक मानव रहित हवाई वाहन (UAV) विकासात्मक परीक्षणों के एक उन्नत चरण में है।
    • टोही, निगरानी और कम तीव्रता वाले टकराव के लिए कम दूरी के आर्म्ड UAV आर्चर (Armed UAV Archer) का विकास किया जा रहा है।
  • ड्रोन बैटरियों की कमी
  • DRDO द्वारा स्वदेशी बैटरी प्रबंधन प्रणाली के साथ लिथियम आयन-आधारित बैटरी विकसित की गई है जिसका उपयोग तपस UAV पर किया जा रहा है लेकिन इसके सेल अभी भी आयात किए जाते हैं।
    • DRDO और इसरो लिथियम आयन सेल विकास पर काम कर रहे हैं।

ड्रोन क्या हैं?

  • परिभाषा: वे मानवरहित हवाई वाहन (UAV) हैं जिन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता है या GPS के साथ काम करने वाले अपने एम्बेडेड सिस्टम में सॉफ्टवेयर-नियंत्रित उड़ान योजनाओं का उपयोग करके स्वायत्त रूप से उड़ान भर सकते हैं। यह घातक या गैर-घातक उपकरण/वस्तुएँ ले जा सकते हैं।
  • वर्गीकरण: ड्रोन नियम 2021 के अनुसार
    • नैनो ड्रोन (Nano Drone): 250 ग्राम से कम या उसके बराबर।
    • माइक्रो ड्रोन (Micro Drone): 250 ग्राम से अधिक और 2 किलोग्राम से कम या उसके बराबर।
    • छोटा ड्रोन (Small Drone): 2 किलोग्राम से बड़ा और 25 किलोग्राम से कम या उसके बराबर।
    • मध्यम ड्रोन (Medium Drone): 25 किलोग्राम से अधिक और 150 किलोग्राम से कम या उसके बराबर।
    • बड़ा ड्रोन (Large Drone): 150 किलोग्राम से बड़ा।
  • प्रमाणीकरण: यदि ड्रोन सभी निर्दिष्ट प्रमाणन मानकों को पूरा करता है तो भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर निर्माताओं को उड़ान संबंधी योग्यता प्रमाणपत्र जारी करती है।

नार्को-टेरर नेक्सस (Narco-Terror Nexus) द्वारा ड्रोन का प्रयोग

  • पाकिस्तानी तस्कर भारत में नशीले पदार्थों को पहुँचाने के लिए हाई-टेक साधनों का उपयोग कर रहे हैं। BSF और पंजाब पुलिस ने 82 मानव रहित हवाई वाहन (UAV) बरामद किए हैं और वर्ष 2019 से भारत-पाकिस्तान सीमा पर 593 ड्रोन देखे जाने की सूचना दी।
  • केंद्रीय एजेंसियों का मानना ​​है कि पाकिस्तानी तस्कर UAV का इस्तेमाल भारत में खालिस्तान समर्थक संस्थाओं (PKEs) को हथियारों की आपूर्ति और वित्तपोषण के लिए कर रहे हैं।

रक्षा में उपयोग

  • ड्रोन का उपयोग सैन्य ऑपरेशन के विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है जैसे:-
    • निगरानी और सैनिक परीक्षण
    • सीमा सुरक्षा
    • खोज एवं बचाव मिशन और आवश्यक आपूर्ति की डिलीवरी
    • युद्धक्षेत्र की निगरानी ​​​और खदान का पता लगाना एवं सफाई कार्यों में।
    • सैन्य लक्ष्यों की प्राप्ति और लक्षित हमले के लिए।

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