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ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले HCFCs के स्तर में गिरावट

Lokesh Pal June 15, 2024 03:12 301 0

संदर्भ

नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में निर्धारित लक्ष्य वर्ष से पाँच वर्ष पहले वायुमंडलीय हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (Hydrochlorofluorocarbons- HCFCs) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • अध्ययन का शीर्षक है- ‘हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन से विकिरण बल और समतुल्य प्रभावी क्लोरीन में कमी(A decrease in radiative forcing and equivalent effective chlorine from hydrochlorofluorocarbons)
  • उत्सर्जन का चरम: HCFCs उत्सर्जन वर्ष 2021 में चरम पर पहुँच गया, जो वर्ष 2026 में अनुमानित समय से पाँच वर्ष पहले है। 

  • HCFCs का प्रभाव: पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन (जिसे रेडिएटिव फोर्सिंग के रूप में जाना जाता है) और वायुमंडल में क्लोरीन की मात्रा (जिसे समतुल्य प्रभावी क्लोरीन कहा जाता है) पर उनका प्रभाव वर्ष 2021 से कम हो गया है, जो कि अपेक्षा से पाँच वर्ष पहले है। 
    • HCFCs से वैश्विक प्रत्यक्ष विकिरण बल: यह वर्ष 2022 में 61.67 mW/m2 से घटकर वर्ष 2023 में 61.28 मिलीवाट प्रति वर्ग मीटर (mW/m2) हो गया। 
    • HCFCs का समतुल्य प्रभावी क्लोरीन (Equivalent Effective Chlorine- EECl) वर्ष 2022 में 321.35 ppt से घटकर वर्ष 2023 में 319.33 एक भाग प्रति ट्रिलियन (ppt) हो जाएगा। 
  • भविष्य का अनुमान: अनुसंधान द्वारा अनुमान लगाया गया है कि HCFCs विकिरण बल के लिए वर्ष 2082 में तथा EECI हेतु वर्ष 2087 में अपने वर्ष 1980 के मापक पर वापस आ जाएँगे। 
  • HCFC-22: यह वायुमंडल में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला HCFC है, जिसकी 100 वर्ष की अवधि में ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 1,910 गुना अधिक है। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2021 और वर्ष 2023 के बीच विकिरण बल और EECI में गिरावट आई है। 
    • HCFCs-22 का उपयोग: इसका उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में प्रशीतक के रूप में किया जाता है, जिसमें यूनिटरी एयर कंडीशनर, कोल्ड स्टोरेज, खुदरा खाद्य प्रशीतन, चिलर और औद्योगिक प्रक्रिया प्रशीतन शामिल हैं। 

हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (Hydrochlorofluorocarbons) 

  • HCFCs कार्बन, हाइड्रोजन, क्लोरीन और फ्लोरीन युक्त यौगिक हैं और इन्हें क्लोरोफ्लोरोकार्बन के स्वीकार्य अस्थायी विकल्प के रूप में देखा जाता है। 
  • HCFC का वायुमंडलीय जीवनकाल CFC की तुलना में कम होता है तथा ये समताप मंडल में, जहाँ ‘ओजोन परत’ पाई जाती है, कम क्रियाशील क्लोरीन पहुँचाते हैं। 
  • अनुप्रयोग: इनका उपयोग फोम, प्रशीतन और वातानुकूलन क्षेत्रों में किया जाता है। 
  • अंतरराष्ट्रीय कानून: यह HCFCs के लिए उत्पादन सीमा निर्धारित करता है, विकसित देशों में वर्ष 2020 के बाद तथा विकासशील देशों में वर्ष 2030 के बाद उत्पादन प्रतिबंधित है।

  • अन्य HCFCs: HCFCs-141b (दूसरी सबसे प्रचुर) में भी मामूली गिरावट देखी गई, जो वर्ष 2022 में 24.63 ppt से वर्ष 2023 में 24.51 ppt हो गई। 
    • तीसरा सबसे अधिक प्रचलित HCFC-142b, वर्ष 2017 से उत्तरोत्तर कम हो रहा है। 
  • दिसंबर 2023 में दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 28वें सम्मेलन (COP28) के दौरान जारी एक रिपोर्ट में सरकार ने दावा किया कि उत्तरी गोलार्द्ध में भारत भी शामिल है, जो नए उपकरण निर्माण में HCFC को समाप्त करने में आगे है। 
  • HCFCs उत्सर्जन को रोकने में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की भूमिका 
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में कोपेनहेगन (1992) और बीजिंग (1999) संशोधनों में HCFCs उत्पादन और उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का आदेश दिया गया है।
      • चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का लक्ष्य: वर्तमान में HCFCs का उत्पादन विश्व स्तर पर चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है, जिसकी समाप्ति तिथि वर्ष 2040 निर्धारित की गई है। 
    • भूमिका: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने सख्त नियंत्रण लागू किया और ओजोन अनुकूल विकल्पों को अपनाने को बढ़ावा दिया, जिससे वायुमंडल में HCFCs के उत्सर्जन और स्तर पर अंकुश लगा। 

ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (Global-warming potential- GWP)

  • GWP एक शब्द है, जिसका उपयोग ग्रीनहाउस गैस की अणु-दर-अणु सापेक्ष क्षमता का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसमें यह ध्यान रखा जाता है कि यह वायुमंडल में कितनी देर तक सक्रिय रहता है। 
  • उद्देश्य: यह उपाय विभिन्न गैसों के ग्लोबल वार्मिंग प्रभावों की तुलना करने के लिए विकसित किया गया था। किसी गैस का GWP जितना बड़ा होगा, वह उस समय अवधि में CO2 की तुलना में पृथ्वी को उतना ही अधिक गर्म करेगी। 
    • विशेष रूप से, यह माप है कि एक टन गैस का उत्सर्जन, एक निश्चित समयावधि में, 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन के सापेक्ष कितनी ऊर्जा अवशोषित करेगा। 
    • ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) की गणना 100 वर्षों के लिए की जाती है। 
  • कार्बन डाइऑक्साइड को ‘गैस ऑफ रिफरेंस’ के रूप में लिया गया है तथा 100 वर्ष का GWP, 1 दिया गया है। 
  • महत्त्व: GWP माप की एक सामान्य इकाई प्रदान करता है, जो विश्लेषकों को विभिन्न गैसों के उत्सर्जन अनुमानों को जोड़ने की अनुमति देता है (उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय GHG सूची संकलित करने के लिए), और नीति निर्माताओं को विभिन्न क्षेत्रों और गैसों में उत्सर्जन में कमी के अवसरों की तुलना करने की अनुमति देता है।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

  • परिचय: इस समझौते पर वर्ष 1987 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) और हैलोन जैसे ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) के उत्पादन और उपभोग को समाप्त करके ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) के उत्पादन तथा उपभोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करके समतापमंडलीय ओजोन परत की रक्षा के लिए एक वैश्विक समझौता है। 
    • ओजोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) वे पदार्थ हैं, जिनका उपयोग सामान्यतः रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, अग्निशामक यंत्र और एरोसोल जैसे उत्पादों में किया जाता है। 
    • वर्ष 2010 से विश्वभर में CFCs का उत्पादन प्रतिबंधित है। 
  • HCFCs, CFCs का प्रतिस्थापन थे, लेकिन उनमें प्रबल ग्रीनहाउस गैस क्षमता और ODS पाया गया। 
  • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC): ये HCFC का विकल्प बन गए हैं। ये गैर-ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ODS) हैं, लेकिन इनमें ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) बहुत अधिक है। 
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, 2016 में किगाली संशोधन: यह HFCs के विनिर्माण और उपभोग पर कड़े प्रतिबंध लगाता है। 
    • वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा और पेरिस समझौता: HFCs उत्सर्जन में कटौती करने की प्रतिज्ञा की गई है, जिसका विकिरण बल प्रभाव नियंत्रण के बावजूद बढ़ रहा है। 

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