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अल-नीनो के कारण मलावी में सूखे की घोषणा

Lokesh Pal March 26, 2024 05:41 234 0

संदर्भ

दक्षिणी अफ्रीकी देश मलावी ने अपने 28 में से 23 जिलों में सूखे के कारण आपदा की स्थिति घोषित कर दी है।

संबंधित तथ्य

  • संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, जाम्बिया और जिम्बाब्वे में भी पिछला महीना 40 वर्षों में सबसे शुष्क था।

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम

  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1961 में ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) तथा ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) द्वारा अपने मुख्यालय रोम, इटली में की गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (UNSDG) का सदस्य: यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (UNSDG) का सदस्य भी है, जो सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों का एक गठबंधन है।
  • उद्देश्य: WFP आपातकालीन सहायता के साथ-साथ पुनर्वास एवं विकास सहायता पर भी केंद्रित है।
  • यह रोम स्थित दो अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य करता है:
    • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO): यह संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को नीतियों के निर्माण एवं धारणीय कृषि का समर्थन करने हेतु योजना बनाने एवं कानूनों में परिवर्तन करने में मदद करता है।
    • कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष (IFAD): इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब जनता हेतु बनाई गई परियोजनाओं का वित्तपोषण किया जाता है।

  • मलावी को तत्काल 200 मिलियन डॉलर से अधिक की मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
  • दक्षिणी अफ्रीका के अन्य देश भी प्रभावित: वर्ष 2023 के अंत में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) द्वारा उठाई गई चिंताएँ रेखांकित करती हैं कि दक्षिणी अफ्रीका के कई देश सूखे के कगार पर हैं।
    • दक्षिणी और मध्य अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दशकों में सर्वाधिक शुष्क दौर आने से पहले ही लगभग 50 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे।
  • जलवायु परिवर्तन से प्रभावित: वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन अल-नीनो को मजबूत बना रहा है और उनके प्रभाव अधिक गंभीर हो रहे हैं।
  • खाद्यान्न की कमी: जाम्बिया और मलावी में 6 मिलियन से अधिक लोग अब खाद्यान्न की गंभीर कमी और कुपोषण का सामना कर रहे हैं, जबकि अगली फसल उगाने का मौसम एक वर्ष दूर है।

मलावी

  • परिचय
    • मलावी दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश है।
    • इसकी सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में जाम्बिया, उत्तर-पूर्व में तंजानिया और पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में मोजाम्बिक से लगती हैं।
  • भूगोल और पर्यावरण
    • इसकी विशेषता इसके विविध परिदृश्य हैं, जिनमें पठार, पहाड़ और अफ्रीका की महान झीलों में से एक मलावी झील जैसे बड़े ताजे पानी के निकाय शामिल हैं।
    • मलावी झील एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है और यह दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाने वाली अनोखी मछली प्रजातियों का घर है।

  • जनसांख्यिकी और संस्कृति
    • मलावी की जनसंख्या मुख्यतः ‘बंटू’ मूल की है , जिसमें ‘चेवा’ सबसे बड़ा जातीय समूह है।
    • आधिकारिक भाषाएँ अंग्रेजी और चिचेवा (चेवा) हैं , साथ ही विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं।
  • अर्थव्यवस्था
    • मलावी की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें अधिकांश आबादी निर्वाह खेती में लगी हुई है।
    • मुख्य कृषि उत्पादों में तंबाकू, चाय, गन्ना, कॉफी और मक्का शामिल हैं।
    • देश को खाद्य सुरक्षा और गरीबी की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और आजीविका में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।

अल-नीनो

  • स्पेनिश भाषा में अल-नीनो का मतलब छोटा लड़का होता है। 
  • दक्षिण अमेरिकी मछुआरों ने पहली बार 1600 के दशक में प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म जल की अवधि का अवलोकन किया। उन्होंने तब इसके लिए ‘अल-नीनो डी नविदाद’ (El Nino de Navidad) था, क्योंकि अल-नीनो आमतौर पर दिसंबर के आसपास चरम पर होता है।
  • अल-नीनो (El-Nino), एक गर्म समुद्री जलधारा है। यह पश्चिमी प्रशांत महासागर में पेरू के समुद्र तट के समीप प्रतिवर्ष दिसंबर के महीने के आस-पास उत्पन्न होती है।
  • पेरू के तट पर पेरू की ठंडी जलधारा के कारण सतह पर सामान्यतः ठंडा पानी रहता है, परंतु अल-नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का जल असामान्य रूप से गर्म होता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली पवनें कमजोर हो जाती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म सतह वाला जल भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है।
  • इस गर्म जलधारा के उत्पन्न होने से न सिर्फ दक्षिण अमेरिका के पश्चिम तट का मौसम प्रभावित होता है बल्कि इसका प्रभाव विश्वव्यापी होता है।
  • आमतौर पर, पूर्वी व्यापारिक पवनें अमेरिका से एशिया की ओर प्रवाहित होती हैं। अल-नीनो के कारण, इनकी दिशा बदलकर पछुआ पवनों की ओर हो जाती है।

भारत पर अल-नीनो का प्रभाव

भारतीय मानसून पर भी अल-नीनो का प्रभाव पड़ता है। अल-नीनो मजबूत होने से भारतीय मानसून की स्थिति कमजोर हो जाती है और भारत में कम वर्ष के कारण सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है।

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