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डायनामिक ई-व्हीकल वायरलेस चार्जिंग तकनीक: ई-हाईवे (Dynamic e-vehicle wireless charging technology: e-highway)

Samsul Ansari January 25, 2024 04:12 214 0

संदर्भ

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता के चार मेट्रो शहरों को जोड़ने वाले राजमार्गों के एक नेटवर्क, स्वर्णिम चतुर्भुज को विद्युतीकृत करने पर चर्चा चल रही है। विजन 2030: पीएम सार्वजनिक परिवहन सेवा सरकार (Vision 2030: PM Public Transport Sewa Govt) के हिस्से के रूप में प्रस्तावित इस पहल को ई-मोबिलिटी को अपनाने और ई-बसों की तैनाती को बढ़ावा देने के लिए अगले सात वर्षों में क्रियान्वित करने की योजना है।

संबंधित तथ्य 

  • ‘इंडक्शन आधारित वायरलेस ईवी चार्जिंग’ संबंधी बुनियादी ढाँचे का कार्यान्वयन भारत के परिवहन परिदृश्य को स्थिरता की दिशा में बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • इसका उद्देश्य EV बाजार के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और भावी पीढ़ियों के लिए हरित वातावरण को बढ़ावा देना है।
  • यह वर्ष 2030 तक देश के परिवहन क्षेत्र में 30% इलेक्ट्रिक वाहन प्रवेश के लक्ष्य की प्राप्ति को बढ़ावा देगा।

‘डायनामिक EV वायरलेस चार्जिंग तकनीक’ के बारे में

रेजोनेंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन का उपयोग: वायरलेस चार्जिंग ऊर्जा के इनडक्टिव ट्रांसफर पर आधारित है, जहाँ सड़क पर खड़े वाहन को बिना किसी तार और कनेक्टर की आवश्यकता के सड़क की सतह के नीचे लगे बेस पैड की मदद से चार्ज किया जा सकता है।

रेजोनेंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन

  • वायरलेस EV चार्जिंग विद्युत धारा संचारित करने के लिए विद्युत चुंबकीय प्रेरण का उपयोग करती है, जिसे इनडक्टिव चार्जिंग कहा जाता है।

फारेन ऑब्जेक्ट डिटेक्शन (FOD) 

FOD प्रणाली बेस पैड और वाहन पैड के बीच किसी भी धातु की वस्तु की पहचान करती है, जब विद्युत हस्तांतरण होता है तो उस वस्तु के गर्म होकर जलने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

लिविंग ऑब्जेक्ट प्रोटेक्शन (LOP)

एक LOP प्रणाली विद्युत हस्तांतरण प्रणाली के निकट मनुष्यों या जानवरों की उपस्थिति की पहचान करती है, जहाँ चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव अधिक होता है। 

        

  • चार्जर में एक चुंबकीय कुंडली होती है जो कार के नीचे लगी एक चुंबकीय कुंडली में विद्युत धारा को प्रवाहित करती है। जब यह दोनों कुंडलियाँ आपस में संरेखित हो जाती हैं तो चार्जिंग शुरू हो जाती है।

वायरलेस चार्जिंग प्रौद्योगिकी के लाभ

  • EV के लिए वायरलेस चार्जिंग को प्लग से चार्ज करने की तरह ही प्रभावी एवं तेज माना जाता है। 
    • उदाहरण के लिए, इंस्टिट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (IEEE) द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि अधिकांश EV प्लग में 80-95 प्रतिशत दक्षता रेटिंग होती है, जबकि वायरलेस EV चार्जर 90-93 प्रतिशत दक्षता हासिल कर सकते हैं।
  • EV के लिए वायरलेस चार्जिंग 20 किलोवाट तक की चार्जिंग पॉवर भी प्रदान कर सकती है, जो अनिवार्य रूप से लेवल 2 चार्जिंग स्पीड है।
  • इसके तहत सुरक्षा को फॉरेन ऑब्जेक्ट डिटेक्शन (Foreign Object Detection- FOD) और लिविंग ऑब्जेक्ट प्रोटेक्शन (Living Object Protection- LOP) को कवर करने वाली सहायक प्रणालियों में शामिल किया गया है।      

इस पहल का संभावित महत्त्व क्या होगा?   

  • सुविधा: इसमें ‘प्लग इन’ करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और एक निर्बाध चार्जिंग सुविधा प्रदान होती है। 
    • यह पारंपरिक प्लग-इन चार्जिंग के बुनियादी ढाँचे से जुड़ी चुनौतियों को कम करेगा, जिसमें सीमित चार्जिंग स्टेशन और रेंज की चिंता शामिल होती है।
  • कार्यक्षमता: आधुनिक प्रौद्योगिकियाँ प्लग-इन प्रणाली की तुलना में 90% अधिक दक्ष होती हैं।  
  • कम लागत वाली EV: चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध होने से वाहनों में छोटी बैटरी का उपयोग किया जाता है, जिससे वाहनों की लागत में कमी आती है। 
  • गतिशील चार्जिंग: भविष्य में वाहन चलाते समय चार्जिंग की सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी, जिससे वाहन एवं चार्जिंग स्टेशन संबंधी रेंज की चिंता दूर हो जाएगी।   
  • ग्रिड एकीकरण: वाहन-से-ग्रिड तकनीक दिन-प्रतिदिन के टैरिफ के माध्यम से लागत बचत को सक्षम बनाती है।
  • तीव्र विद्युतीकरण: व्यापक चार्जिंग विकल्प सभी वाहन खंडों में अपनाने में तेजी ला सकते हैं। 
  • डीकार्बोनाइजेशन: परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाएगी। यह वायरलेस चार्जिंग को पॉवर देने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण की सुविधा प्रदान करेगा।

ई-राजमार्गों पर ई-मोबिलिटी के लिए रोडमैप  

  • ई-राजमार्ग से विद्युत ई-गतिशीलता में वृद्धि: प्रस्तावित ‘विजन 2030: पीएम सार्वजनिक परिवहन सेवा सरकार’ के हिस्से के रूप में, सरकार हरित ऊर्जा-सक्षम चार्जिंग बुनियादी ढाँचे से सुसज्जित इलेक्ट्रिक वाहन वाले राजमार्गों के निर्माण की कल्पना करती है। 
    • यह पहल वर्ष 2030 तक 8,00,000 पुरानी, ​​प्रदूषण फैलाने वाली डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।
  • EV संबंधी पारिस्थितिकी तंत्र विकास को उत्प्रेरित करना: यह चार्जिंग बुनियादी ढाँचे के विकास को उत्प्रेरित करेगा, जिससे अधिक-से-अधिक व्यक्तियों को दैनिक आवागमन के लिए इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए 2,00,000 इलेक्ट्रिक बसें, निजी ऑपरेटरों के लिए 5,50,000 और स्कूलों एवं कर्मचारी परिवहन के लिए 50,000 इलेक्ट्रिक बसें तैनात करने के लक्ष्य के साथ, सरकार भारत में EV के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।
  • लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देना और उत्सर्जन पर अंकुश लगाना: प्रमुख शहरों और औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने वाला स्वर्णिम चतुर्भुज, ई-राजमार्ग विकास का केंद्रबिंदु बनने के लिए तैयार है। इस कदम का उद्देश्य सरकार की लॉजिस्टिक लागत में कमी के उद्देश्य को बढ़ाना है और उत्सर्जन में कमी के लिए COP-28 दिशा-निर्देशों के साथ संरेखित करना है।
  • BOT मॉडल पर विद्युतीकृत राजमार्गों को पुरस्कृत करना: निजी बोलीदाता, निर्माण संचालन और स्थानांतरण (BOT) मॉडल पर विद्युतीकृत राजमार्ग विकसित करेंगे। इस रणनीति में इलेक्ट्रिक बसों के लिए पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन स्थापित करके, लागत प्रभावी हरित इंटरसिटी सार्वजनिक परिवहन की सुविधा प्रदान करके मौजूदा राजमार्गों की पहचान करना और उन्हें ई-राजमार्गों में परिवर्तित करना शामिल है।
  • विद्युत राजमार्गों के लिए सरकार का दृष्टिकोण: सरकार सड़कों को इलेक्ट्रिक वाहन राजमार्गों में बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसका लक्ष्य हरित गतिशीलता को अपनाकर रसद लागत को काफी हद तक कम करना और प्रदूषण से निपटना है। इस परियोजना से बर्लिन (जर्मनी) में 109 किमी. तक फैले दुनिया के सबसे लंबे परिचालन ई-राजमार्ग के सफल मॉडल का अनुसरण करने की उम्मीद है।
  • आर्थिक रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण के अनुकूल: उनकी आर्थिक व्यवहार्यता का हवाला देते हुए एक इलेक्ट्रिक वाहन राजमार्ग विकसित करना। ऊर्जा मंत्रालय रियायती बिजली प्रदान कर सकता है, निजी निवेशक विद्युत लाइनें बना सकते हैं और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India- NHAI) विद्युत टैरिफ प्रणाली लागू कर सकता है। 

निष्कर्ष

राजमार्गों का विद्युतीकरण टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और भारत में हरित गतिशीलता के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए एक रणनीतिक कदम है।

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