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भारत में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा

Lokesh Pal September 13, 2024 03:06 43 0

संदर्भ 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम ई-ड्राइव योजना (PM E-Drive Scheme) और पीएम-ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र [PM-eBus Sewa-Payment Security Mechanism (PSM) Scheme] योजना को मंजूरी दी है।

पीएम ई-ड्राइव योजना का अवलोकन

  • पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एनहांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना [PM Electric Drive Revolution in Innovative Vehicle Enhancement (PM E-DRIVE) Scheme]: इस योजना को दो वर्षों की अवधि में 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ स्वीकृत किया गया है।
  • पिछली योजना का प्रतिस्थापन: यह इलेक्ट्रिक वाहनों (हाइब्रिड एवं) के तीव्र अंगीकरण एवं विनिर्माण (FAME) योजना का स्थान लेगी। 
    • FAME योजना मार्च 2024 तक 9 वर्षों तक चलेगी और ग्राहक सब्सिडी के माध्यम से स्थानीय विनिर्माण एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देगी।
  • पीएम ई-ड्राइव योजना की मुख्य विशेषताएँ 
    • ई-वाउचर (E-Vouchers): EV खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को सरल बनाना।

पीएम-ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (PSM) योजना का अवलोकन

  • उद्देश्य: 3,435 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय के साथ 38,000 से अधिक ई-बसें लॉन्च करना।
  • भुगतान सुरक्षा तंत्र: भुगतान चूक के जोखिम को कम करने के लिए, इस योजना में कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) द्वारा प्रबंधित एक समर्पित फंड शामिल है।

    • इलेक्ट्रिक एंबुलेंस: स्वास्थ्य क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।
    • ई-ट्रकों के लिए प्रोत्साहन: पुराने ट्रकों को स्क्रैप करने के बाद इलेक्ट्रिक ट्रक खरीदने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन।
    • वाहन परीक्षण अवसंरचना: वाहन परीक्षण एजेंसियों को विकसित करने और बढ़ाने पर केंद्रित ₹780 करोड़ का समर्पित कोष।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Electric Mobility) के बारे में 

  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी: इसका तात्पर्य परिवहन के लिए विद्युत से चलने वाले वाहनों (EV) के उपयोग से है।
  • ई-मोबिलिटी के लिए प्रेरक कारक: पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine- ICE) वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर यह बदलाव ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की आवश्यकता से प्रेरित है।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रमुख घटक

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
    • बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (Battery Electric Vehicles- BEV): रिचार्जेबल बैटरी द्वारा संचालित पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारें (जैसे, टेस्ला, निसान लीफ)।
    • प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (Plug-in Hybrid Electric Vehicles- PHEV): बैटरी को पारंपरिक दहन इंजन (जैसे, टोयोटा प्रियस) के साथ जोड़ता है।
    • हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (HEV): प्लग-इन चार्जिंग के बिना आंतरिक दहन इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों द्वारा संचालित (जैसे, होंडा इनसाइट)।
  • बैटरी प्रौद्योगिकी (Battery Technology)
    • लीथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Batteries): लीथियम-आयन बैटरी अपने उच्च ऊर्जा घनत्व एवं स्थायित्व के कारण EV में इनका प्रयोग अब अधिक किया जा रहा है।
    • सॉलिड-स्टेट बैटरी (Solid-State Batteries): इसे ‘भविष्य की तकनीक’ कहा जा रहा है क्योंकि यह बेहतर प्रदर्शन और सुरक्षित भंडारण के उद्देश्य को पूरा करती है।
    • बैटरी रीसाइक्लिंग और निपटान: बैटरी अपशिष्ट से संबंधित पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (Charging Infrastructure)
    • होम चार्जिंग स्टेशन: ये आमतौर पर धीमी गति से बैटरी चार्ज (AC चार्जिंग यूनिट) करते हैं।
    • सार्वजनिक चार्जिंग नेटवर्क (Public Charging Networks): ये चार्जिंग स्टेशन लंबी यात्राओं के लिए रणनीतिक बिंदुओं पर स्थापित किए जाते हैं, ये बैटरी को तेजी से चार्ज (DC चार्जिंग यूनिट) करते हैं।
    • वायरलेस चार्जिंग: एक उभरती हुई तकनीक जो कारों को पार्क किए जाने के दौरान वायरलेस तरीके से चार्ज करने में सक्षम बनाती है।

भारत में ई-मोबिलिटी की वर्तमान स्थिति

  • EV बिक्री में वृद्धि: वर्ष 2021 में 330k यूनिट्स का EV पंजीकरण किया गया, जो वर्ष 2020 की कुल संख्या से 168% की वृद्धि को दर्शाता है।
    • यह वृद्धि दो और तीन पहिया वाहनों की बिक्री (क्रमशः 48% और 47%) में प्रमुखता से देखी गई है।
  • EV अपनाने को बढ़ावा देने वाले कारक: तेल की बढ़ती कीमतें और पर्यावरण जागरूकता के कारण लोगों के बीच EV को तेजी से अपनाया जा रहा है।
  • भौगोलिक वितरण (Geographical Distribution): EV पंजीकरण में उत्तर प्रदेश सबसे आगे (20%) है। 
    • दो पहिया: कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान।
    • तीन पहिया वाहन: उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, दिल्ली (बिक्री का 75%)।
  • EV वृद्धि अनुमान: वर्ष 2027 तक, EV की हिस्सेदारी कुल वाहन बिक्री का 39% तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • सीमित चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: वर्ष 2021 तक 1,742 चार्जिंग स्टेशन थे, जिनकी संख्या वर्ष 2027 तक 100,000 अनुमानित की गई है।
  • निवेश और रोजगार: EV उद्योग में वर्ष 2021 में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया था, जबकि वर्ष 2030 तक 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का अनुमान लगाया गया है।
    • EV उद्योग द्वारा वर्ष 2030 तक 1 करोड़ प्रत्यक्ष और 5 करोड़ अप्रत्यक्ष नौकरियाँ सृजित करने की संभावना जताई गई है।

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने का महत्त्व

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्रमुख आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता है।

  • वायु प्रदूषण में कमी: ‘विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023’ (World Air Quality Report 2023) के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत को बांग्लादेश एवं पाकिस्तान के बाद तीसरा सबसे प्रदूषित देश घोषित किया गया।
    • इलेक्ट्रिक वाहन ‘शून्य टेलपाइप उत्सर्जन’ (Zero Tailpipe Emissions) उत्पन्न करते हैं, जिससे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) जैसे प्रदूषकों में उल्लेखनीय कमी आती है तथा वायु की गुणवत्ता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (Petroleum Planning and Analysis Cell- PPAC) के अनुसार, भारत की आयात निर्भरता वर्ष 2023-24 में 87.4% से बढ़कर 87.7% हो गई।
    • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से EV चार्जिंग के लिए सौर एवं पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के घरेलू स्रोतों का उपयोग करके आयातित तेल पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटना: भारत पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। परिवहन क्षेत्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है।
    • EV की ओर बदलाव भारत के वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है, क्योंकि पारंपरिक वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में जीवनचक्र उत्सर्जन कम होता है, विशेषकर जब वे नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित होते हैं।
  • आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: EV क्षेत्र विनिर्माण, बैटरी उत्पादन और EV घटकों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बना रहा है, जिससे नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा मिल रहा है।
  • घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना: इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके घटकों के स्थानीय विनिर्माण के लिए सरकार का फोकस, विशेष रूप से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत, वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत कर सकता है।

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में परिवर्तन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:

  • इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च अग्रिम लागत: इलेक्ट्रिक वाहनों, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक कारों की लागत पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में अधिक रहती है। यह मुख्य रूप से महंगी बैटरी तकनीक के कारण है।
    • बैटरी की लागत में गिरावट के बावजूद, उच्च प्रारंभिक लागत मध्यम वर्ग और निम्न आय वाले उपभोक्ताओं को हतोत्साहित करती है।
  • अपर्याप्त चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क सीमित है, जो लंबी दूरी की यात्रा में बाधा डालता है और EV स्वामित्व को कम सुविधाजनक बनाता है।
    • भारत सरकार के अनुसार, भारत के शीर्ष 9 शहरों को वर्ष 2030 तक 18,000 सार्वजनिक EV चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होगी।
  • बैटरी प्रौद्योगिकी: भारत अपनी अधिकांश EV बैटरियाँ और कच्चे माल (जैसे-लीथियम, कोबाल्ट) का आयात करता है, जिससे देश विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर हो जाता है और वैश्विक बाजारों में मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
  • ऊर्जा मिश्रण: भारत की विद्युत का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कोयले से उत्पन्न होता है, जो EV के पर्यावरणीय लाभों को कम करता है, जब तक कि नवीकरणीय ऊर्जा को चार्जिंग बुनियादी ढाँचे में एकीकृत नहीं किया जाता है।
  • बिक्री के बाद सहायता की कमी: EV पारिस्थितिकी तंत्र अभी भी विकसित हो रहा है और कई सेवा केंद्रों के पास इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए विशेषज्ञता या बुनियादी ढाँचा नहीं है। इससे वाहन के दीर्घकालिक रखरखाव को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों का पुनर्विक्रय मूल्य अनिश्चित बना हुआ है, क्योंकि सेकेंड-हैंड इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं है।
  • रीसाइकिलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: भारत में बैटरी रीसाइकिलिंग के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं नीतियों का अभाव है। इस्तेमाल की गई लीथियम-आयन बैटरियों का सुरक्षित एवं टिकाऊ तरीके से निपटान और रीसाइकिलिंग करना एक चुनौती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: हालाँकि EV संचालन के दौरान उत्सर्जन को कम करते हैं, बैटरी के लिए खनन सामग्री का पर्यावरणीय प्रभाव और पुरानी बैटरियों का अनुचित निपटान कुछ पर्यावरणीय लाभों को कम कर सकता है।

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए की गई प्रमुख पहल

भारत ने स्थिरता, प्रदूषण नियंत्रण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के अपने व्यापक लक्ष्यों के हिस्से के रूप में विद्युत गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख पहल की हैं।

  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive- PLI) योजना: ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए 25,938 करोड़ रुपये की PLI योजना इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) और संबंधित घटकों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बिक्री का 18% तक प्रोत्साहन देती है।
    • 18,100 करोड़ रुपये की उन्नत रसायन सेल PLI योजना गीगा-स्केल बैटरी विनिर्माण को बढ़ावा देती है, जो उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकी के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक रूप से अपनाने में सहायता करती है।
  • कर में कमी: इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जर/चार्जिंग स्टेशनों पर GST 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
    • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (भारत सरकार) ने एक अधिसूचना जारी कर राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रारंभिक लागत कम करने में मदद मिलेगी।
  • ग्रीन लाइसेंस प्लेट (Green License Plates): सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (भारत सरकार) ने घोषणा की है कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को ग्रीन लाइसेंस प्लेट दी जाएँगी और यात्रियों या माल को ले जाने के लिए परमिट की आवश्यकता से छूट दी जाएगी।

  • राज्य सरकारों द्वारा EV नीतियाँ
    • दिल्ली EV नीति (Delhi EV Policy): खरीद प्रोत्साहन प्रदान करती है और शहरभर में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने को बढ़ावा देती है।
    • तमिलनाडु EV नीति (Tamil Nadu EV Policy): इस नीति में तमिलनाडु में EV पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
      • EV और EV घटकों के लिए विनिर्माण केंद्र, EV निर्माताओं को सब्सिडी और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • परिवर्तनकारी गतिशीलता और बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Transformative Mobility and Battery Storage): यह चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (Phased Manufacturing Program- PMP) के लिए रूपरेखा के रूप में कार्य करता है, जो भारत के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) तथा उनके घटकों के उत्पादन को स्थानीय बनाने पर केंद्रित है।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देना: फास्ट चार्जर और वायरलेस चार्जिंग सुविधाओं सहित सार्वजनिक और निजी चार्जिंग स्टेशनों की शुरुआत में तेजी लाना, ताकि रेंज की चिंता कम हो और लंबी दूरी की यात्रा को आसानी से सुगम बनाया जा सके।
  • बैटरी निर्माण को बढ़ावा देना: आयात निर्भरता को कम करने और लागत कम करने के लिए उन्नत रसायन सेल (Advanced Chemistry Cells- ACCs) और EV घटकों के घरेलू विनिर्माण का विस्तार करना, जैसा कि PLI योजनाओं द्वारा समर्थित है।
    • बैटरी के आवधिक समय के अंत में प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए व्यापक बैटरी रीसाइक्लिंग और निपटान प्रणाली स्थापित करना।
  • नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करना: EV अपनाने के लिए एक सुसंगत और सहायक नीतिगत माहौल बनाए रखना, जिसमें सब्सिडी, प्रोत्साहन और बुनियादी ढाँचे के विकास पर स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल हों।
  • नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण: इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के पर्यावरणीय लाभों को पूरी तरह से सुनिश्चित करने के लिए सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण आवश्यक है।
    • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuel Alliance- GBA) और पीएम-कुसुम (PM-KUSUM) जैसी सरकारी पहलों का उद्देश्य भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को मजबूत करना है।

निष्कर्ष

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देना स्थायित्व, प्रदूषण में कमी लाने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जिसके लिए निरंतर निवेश, नीति समर्थन और बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता है।

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