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प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE)

Lokesh Pal May 31, 2025 02:23 23 0

संदर्भ

बचपन की प्रारंभिक परिस्थितियाँ बच्चे के विकास को आकार देती हैं। हालाँकि प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education-ECCE) सुविधा सभी बच्चों को समान अवसर देकर विषमता संबंधी चक्र को तोड़ सकती है।

भारत में ECCE संबंधी अग्रणी शिक्षक

भारत के प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) आंदोलन का श्रेय डॉ. ताराबाई मोदक और गिजुभाई बधेका को दिया जा सकता है, जो प्रारंभिक शिक्षा में क्रांति लाने वाले दो दिग्गज थे।

  • डॉ. ताराबाई मोदक का योगदान
    • बालवाड़ी आंदोलन (Balwadi Movement): इस आंदोलन के तहत ग्रामीण बच्चों के लिए समुदाय-आधारित प्रारंभिक विद्यालय शुरू किए गए।
    • मोंटेसरी (Montessori) पद्धतियों को अपनाया गया: भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप मोंटेसरी पद्धतियों को संशोधित किया गया।
  • गिजुभाई बधेका का योगदान
    • बाल-केंद्रित स्कूली शिक्षा: जॉयफुल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1922 में दक्षिणामूर्ति बाल मंदिर की स्थापना की।
    • शैक्षणिक साहित्य: उन्होंने विनोदशील, सार्थक शिक्षा की वकालत करते हुए, दिवास्वप्न (Divaswapna) सहित व्यापक रूप से लिखा।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) के बारे में

  • ECCE जन्म से आठ वर्ष तक के बच्चों के समग्र विकास को संदर्भित करता है, जिसमें स्वास्थ्य, पोषण, प्रारंभिक शिक्षा और मनोसामाजिक कल्याण शामिल है।

ECCE के घटक

  • स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए नियमित स्वास्थ्य जाँच, टीकाकरण और स्वच्छता संबंधी पद्धतियों को अपनाना।
  • पोषण: मस्तिष्क विकास को समर्थन देने के लिए पर्याप्त एवं संतुलित पोषण को बढ़ावा देना।
    • NFHS-5 में पाया गया कि 2 वर्ष से कम आयु के केवल 11.3% बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है।
  • प्रारंभिक शिक्षा: आयु के अनुसार, जिज्ञासा और संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ावा देने के लिए खेल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।
    • उदाहरण: आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-FS) अनुभवात्मक अधिगम पर जोर देती है।
  • मनोसामाजिक देखभाल: भावनात्मक और सामाजिक विकास का समर्थन करने वाले सुरक्षित, पोषण करने वाले वातावरण सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) के तहत, आंगनवाड़ी केंद्र न केवल पोषण और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि मनोसामाजिक देखभाल भी प्रदान करते हैं।
    • 31 दिसंबर, 2023 तक के सरकारी आँकड़ों के अनुसार, देश में 13,48,135 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 10,23,068 आंगनवाड़ी सहायक थे।
  • माता-पिता की भागीदारी: बच्चे के प्रारंभिक विकास में माता-पिता और देखभाल करने वालों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: माता-पिता की शिक्षा में आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं की भागीदारी को बढ़ाना।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) तथा सतत् विकास लक्ष्य (SDGs): ECCE निम्नलिखित सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अभिन्न अंग है:

  • सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 4.2: गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • SDG 1 (गरीबी उन्मूलन): गुणवत्तापूर्ण ECCE वंचित बच्चों को जीवन में बेहतर शुरुआत देकर गरीबी के चक्र को तोड़ने में मदद करता है।
  • SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य एवं कल्याण): ECCE एकीकृत स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा हस्तक्षेपों के माध्यम से शारीरिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देता है।
  • SDG 10 (असमानताओं में कमी): ECCE सुनिश्चित करता है कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले, दिव्यांग एवं वंचित वर्ग के बच्चों को समान अवसर मिले।

ECCE का महत्त्व

  • संज्ञानात्मक और मस्तिष्क विकास: 90% मस्तिष्क विकास पाँच वर्ष की आयु तक हो जाता है, जिससे संज्ञानात्मक विकास के लिए प्रारंभिक चरण महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • सामाजिक विकास: ECCE सामाजिक कौशल, भावनात्मक विनियमन का निर्माण करता है, जिससे व्यवहारिक समस्याएँ कम होती हैं।
  • आर्थिक लाभ: ECCE में निवेश करने से बेहतर शिक्षा, रोजगार और सामाजिक परिणाम प्राप्त होते हैं, साथ ही हेकमैन वक्र (Heckman Curve) के अनुसार, सबसे अधिक आर्थिक लाभ मिलता है।

हेकमैन वक्र (Heckman Curve)

  • हेकमैन वक्र दर्शाता है कि आर्थिक लाभ की उच्चतम दर बच्चों में किए गए प्रारंभिक निवेश से आती है।
  • हेकमैन के निष्कर्ष: हेकमैन के अनुसार, बचपन की प्रारंभिक शिक्षा में निवेश किए गए प्रत्येक डॉलर से $7 से $12 तक का रिटर्न मिलता है।
    • गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा वाले बच्चों के अधिक कमाने की संभावना 4 गुना अधिक होती है और उनके पास घर होने की संभावना 3 गुना अधिक होती है।
    • 5 वर्ष की आयु तक, आय क्षमता और जीवन के परिणामों में महत्त्वपूर्ण अंतराल पहले से ही दिखाई देने लगते हैं।

भारत में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education-ECE) परिदृश्य में चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त शिक्षण समय: 5.5 करोड़ से अधिक बच्चे (3-6 वर्ष की आयु) 14 लाख आंगनवाड़ियों और 56,000 सरकारी प्री-प्राइमरी स्कूलों में नामांकित हैं।
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रारंभिक विद्यालय शिक्षा पर प्रतिदिन केवल 38 मिनट ही खर्च करते हैं (अनुशंसित 2 घंटे से काफी कम)।
  • संसाधनों की अपर्याप्त उपलब्धता: केवल 9% प्री-प्राइमरी स्कूलों में एक समर्पित ECE शिक्षक है।
    • प्रत्येक 282 आंगनवाड़ियों के लिए एक पर्यवेक्षक जिम्मेदार है, जिससे गुणवत्ता निगरानी प्रभावित होती है।
  • आधारभूत शिक्षण के खराब परिणाम: भारत प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रभाव अध्ययन के अनुसार, केवल 15% बच्चे ही बुनियादी वस्तुओं (साक्षरता के लिए महत्त्वपूर्ण) को मिला सकते हैं, तथा केवल 30% ही बड़ी एवं छोटी संख्याओं (अंकगणित के लिए आवश्यक) की पहचान कर सकते हैं।
  • नामांकन में अंतर: 3-वर्षीय बच्चों में से केवल 2%, 4-वर्षीय बच्चों में से 5.1%।
    • 5 वर्ष की आयु के लगभग 25% बच्चे सीधे कक्षा एक में नामांकित होते हैं तथा आयु-उपयुक्त कौशल के बिना स्कूल जाना शुरू करते हैं।
  • सार्वजनिक व्यय में कमी: सरकार ECE पर प्रति बच्चे केवल ₹1,263 व्यय करती है, जबकि स्कूली शिक्षा पर ₹37,000 खर्च होते हैं।
  • माता-पिता की सीमित जागरूकता और सहभागिता: अधिकांश माता-पिता ध्यान देना चाहते हैं, लेकिन घर-आधारित शिक्षा को समर्थन देने के लिए उनमें जागरूकता एवं साधनों का अभाव होता है।
  • वित्तीय बाधाएँ: ECCE के लिए अपर्याप्त बजट आवंटन (शिक्षा व्यय का केवल लगभग 3%)।

ECCE के लिए वैश्विक पहल

  • यूनेस्को (UNESCO) की ECCE के लिए वैश्विक भागीदारी रणनीति (2021-2030): समावेशी एवं न्यायसंगत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • यूनिसेफ का प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास (ECD) कार्यक्रम: स्वास्थ्य, पोषण, प्रारंभिक शिक्षा और सुरक्षा के माध्यम से पोषण संबंधी देखभाल को बढ़ावा देता है, विशेषकर वंचित बच्चों के लिए।
  • विश्व बैंक की प्रारंभिक शिक्षा भागीदारी (ELP): निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रारंभिक शिक्षा परिणामों को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • ECCE के लिए ‘ताशकंद घोषणा’: इसे नवंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में ECCE पर विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।
    • इसका उद्देश्य दुनिया भर में ECCE प्रणालियों को मजबूत, विस्तारित और रूपांतरित करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक बच्चे को जीवन में सर्वोत्तम शुरुआत मिले।

ECCE के विकास के लिए भारत में पहल

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: वर्ष 2030 तक ECCE तक सार्वभौमिक पहुँच की अनुशंसा करता है।
    • ECCE को औपचारिक स्कूली शिक्षा में एकीकृत करते हुए 5+3+3+4 पाठ्यचर्या संरचना प्रस्तुत करता है।
    • NEP, 3-8 वर्ष की आयु को आधारभूत चरण के रूप में मान्यता देता है और आजीवन अधिगम एवं विकास को सुनिश्चित करने के लिए सार्वभौमिक, खेल-आधारित और समग्र प्रारंभिक शिक्षा का समर्थन करता है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS): आंगनवाड़ी आधारित ECCE, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।
  • मैजिकल किट: मैजिकल किट, जिसका अर्थ है ‘जादुई बक्सा’, एक आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-FS) संरेखित ECCE किट है, जिसमें खिलौने, पहेलियाँ, कहानी की किताबें और शिक्षण सहायक सामग्री होती है, जो जॉयफुल लर्निंग, गतिविधि-आधारित और आयु-उपयुक्त अधिगम के लिए डिजाइन की गई है।
    • राज्य इसे स्थानीय भाषाओं एवं संस्कृतियों को प्रतिबिंबित करने के लिए अनुकूलित कर रहे हैं।
  • ई-मैजिकल किट: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भौतिक बॉक्स को पूरक बनाने और कई चैनलों: कंप्यूटर, स्मार्ट और फीचर-फोन, टेलीविजन और रेडियो के माध्यम से पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए ‘ई-मैजिकल किट’ लॉन्च किया है।
  • राज्यों की पहल: उत्तर प्रदेश सभी जिलों में बालवाटिका के लिए लगभग 11,000 ECCE शिक्षकों को नियुक्त कर रहा है।
    • राज्य ने ECE शिक्षाशास्त्र पर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए 13 जिलों के 50 मास्टर प्रशिक्षकों के लिए छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया है।
    • बालवाटिका 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाएँ हैं, जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत स्कूलों में खेल-आधारित शिक्षा के माध्यम से बुनियादी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।
  • ओडिशा सरकार पाँच से छह वर्ष की आयु के बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने हेतु सभी सरकारी स्कूलों में शिशु वाटिकाएँ खोल रही है।
    • शिशु वाटिकाएँ छोटे बच्चों के समग्र विकास का समर्थन करने के लिए आँगनवाड़ियों में प्रारंभिक शिक्षा केंद्र हैं, विशेषतः ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में।
  • मध्य प्रदेश की ‘बाल चौपाल’: ये खेल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मासिक सामुदायिक कार्यक्रम हैं।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर वैश्विक रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें

  • स्कूल की तैयारी को बढ़ावा देना: शिक्षा के बेहतर परिणामों के लिए साक्षरता, अंकगणित और सामाजिक-भावनात्मक विकास जैसे बुनियादी कौशल पर ध्यान केंद्रित करना।
  • कमजोर बच्चों को प्राथमिकता देना: वंचित समूहों के लिए गुणवत्तापूर्ण ECCE तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • माता-पिता और देखभाल करने वालों का समर्थन करना: सरकारों को पूरे समाज के दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए और बच्चों के प्रारंभिक सीखने के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए माता-पिता के समर्थन कार्यक्रम एवं परिवार के अनुकूल नीतियों को शामिल करना चाहिए।
  • ECCE कर्मियों को महत्त्व देना: सुरक्षित, स्वस्थ प्रारंभिक अधिगम संबंधी वातावरण निर्माण के लिए कौशल समूह बनाए रखने हेतु ECCE कर्मियों की भर्ती एवं व्यावसायिक विकास में निवेश करना।
  • डेटा में निवेश करना: अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ECCE क्षेत्र के विकास को बेहतर ढंग से समर्थन एवं निगरानी करने के लिए नए संकेतक एवं तंत्र विकसित करने चाहिए, विशेषतः 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए।

आगे की राह

  • आंगनवाड़ी का लाभ उठाना: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसे सरकारी कार्यक्रमों का लाभ आंगनवाड़ी प्रणाली को उन्नत बनाने में उठाया जा सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का विस्तार करना: निजी हितधारकों, नागरिक समाज और परोपकारी संगठनों के साथ भागीदारी के माध्यम से अभिनव ECCE मॉडल को बढ़ावा देना।
  • गुणवत्ता और प्रशिक्षण बढ़ाना: ECCE पाठ्यक्रम को मानकीकृत करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षक तैयार करने के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा संस्थान जैसे समर्पित संस्थानों की स्थापना करना।
  • डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाना: सुलभ डिजिटल सामग्री और प्रशिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और प्री-प्राइमरी शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए दीक्षा पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करना।
  • सामुदायिक लामबंदी और जागरूकता: घर पर प्रारंभिक शिक्षा प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से अभिभावक शिक्षण संबंधी पहल को लागू करना।
    • व्हाट्सऐप या एडटेक ऐप के माध्यम से अभिभावकों की भागीदारी को और मजबूत किया जा सकता है।
  • विकेंद्रीकृत निगरानी और सहायता: बेहतर जवाबदेही और स्थानीय समस्या समाधान के लिए ECCE केंद्रों की देख-रेख और सहायता के लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना।

निष्कर्ष 

ECCE एवं अभिभावकों की भागीदारी में निवेश करना प्रत्येक बच्चे की क्षमता को उजागर करने, अंतर-पीढ़ीगत नुकसान को समाप्त करने और मानव पूँजी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह भारत के लिए वर्ष 2047 तक वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरने और एक सच्चे विश्व गुरु बनने के भारत के सपने को साकार करने की नींव रखता है।

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