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2,500 वर्ष पहले आए भूकंप से गंगा के जलमार्ग में अचानक बदलाव

Lokesh Pal June 22, 2024 05:15 100 0

संदर्भ

लगभग 2,500 वर्ष पहले आए भूकंप के कारण गंगा नदी का जलमार्ग अचानक बदल गया होगा।

संबंधित तथ्य

  • नेचर कम्यूनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र में कहा गया है कि शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि 7 या 8 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण नदी ने अचानक अपने पूर्ववर्ती मार्ग को छोड़ दिया,  और बांग्लादेश में एक नए जलमार्ग का निर्माण हुआ।

मुख्य निष्कर्ष

  • लगभग 2500 वर्ष पूर्व भूकंप: लगभग 2500 वर्ष पूर्व एक ‘अनाधिकृत’ (Undocumented) भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता संभवतः 7-8 थी, जिसने नदी के मुख्य मार्ग को वर्तमान बांग्लादेश में बदल दिया था, जो बड़े भूकंपीय झटकों के प्रति संवेदनशील देश है।
  • दिशा में परिवर्तन: यह अध्ययन भूकंप के कारण डेल्टाओं में कटाव होने का ‘पहला स्पष्ट उदाहरण’ है, विशेष रूप से गंगा जैसी विशाल नदी के लिए।
    • अपदारण (Avulsions): कई नदी-मार्गों में परिवर्तन होता है, इसे ‘अपदारण’ (Avulsions) कहा जाता है। 
    • सेटेलाइट चित्रों का उपयोग करते हुए, अनुसंधान दल ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में, संभवतः नदी की पूर्व मुख्य धारा की खोज की।
      • यह लगभग 1.5 किलोमीटर चौड़ा एक निचला क्षेत्र है, जो वर्तमान नदी के समानांतर लगभग 100 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
      • कीचड़ से भरे होने के कारण इसमें अक्सर बाढ़ आती रहती है तथा इसका उपयोग मुख्य रूप से चावल की खेती के लिए किया जाता है।
      • वर्ष 2018 में इस क्षेत्र का अन्वेषण करते हुए, शोधकर्ताओं ने भूकंप के परिणामस्वरूप निर्मित संरचनाओं को देखा, जिन्हें सीस्माइट्स (Seismites) कहा जाता है।
    • प्रमुख डेल्टाओं से होकर बहने वाली अन्य नदियों की तरह, गंगा भी नियमित रूप से अपना मार्ग बदलती रहती है।
  • भूकंप के दो संभावित स्रोत हो सकते हैं:-
    • दक्षिण और पूर्व में एक अवतलन क्षेत्र है, जहाँ महासागरीय परत की एक विशाल प्लेट बांग्लादेश, म्याँमार और पूर्वोत्तर भारत के नीचे धकेल रही है।
    • उन्होंने कहा कि दूसरी संभावना यह है कि भूकंपीय झटका उत्तर में हिमालय के निचले भाग में स्थित विशाल दरारों से आया है, जो धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप धीरे-धीरे शेष एशिया से टकरा रहा है।
  • नदियों को अपना मार्ग बदलने में वर्षों या दशकों का समय लग सकता है, लेकिन भूकंप से लगभग शीघ्र ही मार्ग बदल सकता है।

भविष्य में ऐसी ही एक और घटना के जोखिम

  • वर्ष 2016 के एक अध्ययन में बताया गया था कि इस क्षेत्र में इतनी ही तीव्रता का भूकंप दोबारा आ सकता है, जिससे लगभग 140 मिलियन लोग प्रभावित होंगे। बड़े भूकंप विशाल क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं और इनके दीर्घकालिक आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।

तात्कालिक परिणाम

  • बाढ़: अचानक परिवर्तन से नए मार्ग के आस-पास के क्षेत्रों में तत्काल बाढ़ आ सकती है, जिससे व्यापक क्षति और जान-माल की हानि हो सकती है।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया: आपातकालीन प्रतिक्रिया और आपदा राहत की आवश्यकता तत्काल और व्यापक होगी, जिसके लिए महत्त्वपूर्ण संसाधनों और समन्वय की आवश्यकता होगी।

भूकंप (Earthquake)

  • साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जो ऊर्जा के निकलने के कारण होती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो सभी दिशाओं में यात्रा करती हैं।
  • ऊर्जा का उत्सर्जन एक भ्रंश (Fault) के साथ होता है-
    • भ्रंश भूपर्पटी की चट्टानों में एक तीव्र दरार है।
  • भ्रंश के किनारे स्थित चट्टानें विपरीत दिशाओं में गति करती हैं।
    • जैसे ही ऊपर की चट्टानें उन पर दबाव डालती हैं, घर्षण के कारण वे आपस में चिपक जाती हैं।
    • हालाँकि, किसी समय अलग हो जाने की उनकी प्रवृत्ति घर्षण पर नियंत्रण पा लेती है।
    • परिणामस्वरूप, ब्लॉक विकृत हो जाते हैं और अंततः वे एक-दूसरे के ऊपर अचानक फिसल जाते हैं।
    • इससे ऊर्जा मुक्त होती है और ऊर्जा तरंगें सभी दिशाओं में यात्रा करती हैं।

भूकंप से संबंधित प्रमुख शब्द

  • फोकस/हाइपोसेंटर (Focus/Hypocentre): पृथ्वी के अंदर वह बिंदु, जहाँ भूकंप उत्पन्न होता है।
  • अधिकेंद्र (Epicenter): पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु, जो फोकस के ठीक ऊपर है। यह तरंगों को महसूस करने वाला पहला बिंदु है।

आर्थिक प्रभाव

  1. कृषि: कई क्षेत्र सिंचाई के लिए गंगा नदी पर निर्भर हैं। नदी की दिशा बदलने से जल आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे फसलें बर्बाद हो सकती हैं और किसानों की आजीविका समाप्त हो सकती है।
  2. बुनियादी ढाँचे की हानि: मूल मार्ग पर स्थित पुल, बाँध और अन्य बुनियादी ढाँचे अप्रचलित हो जाएँगे या उनमें महत्त्वपूर्ण संशोधन की आवश्यकता होगी और बाढ़ से नुकसान होगा।

पर्यावरणीय प्रभाव

  1. पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान: गंगा कई प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का पोषण करती है। अचानक मार्ग परिवर्तन से आवास नष्ट हो सकते हैं, लुप्तप्राय प्रजातियों को खतरा हो सकता है और पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ सकता है।
  2. जल गुणवत्ता: नया मार्ग प्रदूषण उत्पन्न कर सकता है।

सामाजिक प्रभाव

  • विस्थापन: इस अचानक परिवर्तन से लोगों का बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा। 
  • स्वास्थ्य: जल की उपलब्धता और गुणवत्ता में परिवर्तन से जन स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ स्वच्छ जल पहले से ही दुर्लभ है।

भू-राजनीतिक प्रभाव

  • अंतरराज्यीय संबंध: गंगा भारत के कई राज्यों से होकर बहती है। इसके मार्ग में बदलाव से जल अधिकार और संसाधन आवंटन पर विवाद हो सकता है।

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