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दिल्ली-NCR में भूकंप

Lokesh Pal February 18, 2025 04:25 34 0

संदर्भ

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Center for Seismology-NCS) के अनुसार, दिल्ली-NCR में 4.0 तीव्रता का हल्का भूकंप (Shallow Earthquake) आया, जिसका केंद्र बिंदु 5 किमी. की गहराई में था।

भूकंप के बारे में

  • भूकंप, पृथ्वी की पर्पटी में अचानक ऊर्जा उत्सर्जन के कारण होने वाला कंपन है। ऊर्जा का उद्गार एक भ्रंश के साथ होता है, जो पृथ्वी की पर्पटीयुक्त चट्टानों में एक दरार है।

भूकंप की उत्पत्ति

  • भूकंप टेक्टॉनिक प्लेटों के संचलन के कारण आते हैं।

  • जब दो टेक्टॉनिक प्लेट एक-दूसरे के पास से खिसकती हैं, तो उनके नुकीले किनारे आपस में फँस जाते हैं और जब वे मुक्त होते हैं, तो ऊर्जा कंपन के रूप में निकलती है।
  • भूकंप मैग्मा के प्रवेश या निष्कासन अथवा रासायनिक या परमाणु उपकरणों के विस्फोट के कारण भी हो सकता है।

शब्दावली

  • भूकंप विज्ञान: भूकंप के अध्ययन से संबंधित ज्ञान की शाखा को भूकंप विज्ञान कहा जाता है।
  • हाइपोसेंटर (फोकस): पृथ्वी की सतह के नीचे वह स्थान, जहाँ भूकंप की शुरुआत होती है।
  • एपीसेंटर: पृथ्वी की सतह पर हाइपोसेंटर के ठीक ऊपर का स्थान एपीसेंटर कहलाता है। 

भूकंप के प्रकार

  • भूकंप की तीव्रता एवं अवधि अलग-अलग हो सकती है, जो सामान्य कंपन से लेकर बड़ी भूकंपीय घटनाओं तक हो सकती है। 
  • भूकंपों को उनकी गहराई के आधार पर उथले, मध्यम और गहरे में वर्गीकृत किया जा सकता है।

उथला भूकंप क्या है?

  • उथले भूकंप सतह से 0 से 70 किलोमीटर नीचे आते हैं।
  • मध्यवर्ती भूकंप 70 से 300 किलोमीटर की गहराई पर आते हैं और गहरे भूकंप 300 से 700 किलोमीटर की गहराई पर आते हैं।
  • भूकंप जितना उथला होगा, उतना ही विनाशकारी होगा, क्योंकि भूकंपीय तरंगें सतह तक पहुँचने से पहले कम ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
    • उदाहरण: इंडोनेशिया में 5.6 तीव्रता के भूकंप (नवंबर 2022) में 160 से अधिक लोग मारे गए।

भूकंप तरंगें

  • भूकंप तरंगें मूलतः दो प्रकार की होती हैं:- भू-गर्भीय तरंगें और सतही तरंगें
    • भू-गर्भीय तरंगें ऊर्जा के फोकस बिंदु पर उत्सर्जित होने के कारण उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के भूगर्भ से होकर सभी दिशाओं में विचरण करती हैं। उदाहरण के लिए P-तरंगें और S-तरंगें।
    • भू-गर्भीय तरंगें सतह की चट्टानों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं और नए तरंग समूह उत्पन्न करती हैं, जिन्हें सतह तरंगें कहा जाता है।
    • सतह तरंगें, जिन्हें L-तरंगें भी कहा जाता है, पृथ्वी की सतह के साथ यात्रा करती हैं और सबसे विनाशकारी होती हैं।

P और S तरंगों के बीच अंतर

प्रकार

P-तरंगें (प्राथमिक तरंगें)

S-तरंगें (द्वितीयक तरंगें, अपरूपण तरंगें)

गति S-तरंगों से भी तेज P-तरंगों से धीमी
विचरण पथ तरल, गैस और ठोस के माध्यम से यात्रा कर सकता है। केवल ठोस माध्यम से यात्रा कर सकते हैं।
कंपन प्रसार की दिशा के समानांतर कंपन होता है। प्रसार की दिशा के लंबवत कंपन होता है।
प्रभाव माध्यम में दाब परिवर्तन का कारण पर्पटी में गर्त और शिखर बनते हैं। 
छाया क्षेत्र P-तरंगों का छाया क्षेत्र S-तरंग की तुलना में बहुत छोटा है। S-तरंग का छाया क्षेत्र P-तरंगों की तुलना में बहुत बड़ा है।
नोट: P-तरंगों और S-तरंगों के बीच विचरण समय के अंतर का उपयोग भूकंप के केंद्र को निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।

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