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चुनावी उम्मीदवारों को निजता का अधिकार

Lokesh Pal April 15, 2024 06:31 148 0

संदर्भ

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि चुनाव उम्मीदवारों को निजता का अधिकार है एवं उन्हें मतदाताओं को अपने व्यक्तिगत जीवन तथा अपनी संपत्ति के बारे में प्रत्येक  विवरण का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।

संबंधित तथ्य

  • मतदाताओं को उस उम्मीदवार को चुनने के लिए आवश्यक जानकारी तक पहुँचने का अधिकार है, जिसे वे वोट देना चाहते हैं।

उच्चतम न्यायालय  के निर्णय के मुख्य बिंदु

  • विधिक स्पष्टीकरण: मतदाताओं या उनकी उम्मीदवारी के लिए अप्रासंगिक मामलों पर गोपनीयता बनाए रखने के उम्मीदवार के निर्णय को लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ नहीं माना जाता है।

लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951

  • यह चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
  • यह सदनों का सदस्य बनने के लिए आवश्यकताओं एवं प्रतिबंधों की रूपरेखा देता है।
  • इसमें भ्रष्ट आचरण एवं अन्य अपराधों को रोकने के उपाय शामिल हैं।
  • यह चुनावों से उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं एवं विवादों को हल करने की प्रक्रिया स्थापित करता है।
  • महत्त्व: यह चुनावों की निष्पक्षता एवं अखंडता सुनिश्चित करने के लिए बूथ कैप्चरिंग, रिश्वतखोरी या दुश्मनी भड़काने जैसे भ्रष्ट व्यवहारों पर रोक लगाता है।

  • गैर-प्रकटीकरण कोई महत्त्वपूर्ण दोष नहीं: न्यायालय ने कहा कि इस तरह का गैर-प्रकटीकरण अधिनियम के तहत ‘पर्याप्त प्रकृति का दोष’ (Defect of a Substantial Nature) नहीं बनता है।
  • सभी जानकारी का खुलासा करने की कोई बाध्यता नहीं: चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति की घोषणा करते समय उम्मीदवारों को मतदाताओं की जाँच हेतु अपने जीवन के हर पहलू का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है।
    • उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों को कपड़े, जूते या अन्य स्टेशनरी जैसी चल संपत्ति की प्रत्येक छोटी वस्तु का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे महत्त्वपूर्ण मूल्य न रखें या उम्मीदवार की जीवनशैली एवं उम्मीदवारी को प्रतिबिंबित न करें।

निजता का अधिकार (Right to Privacy)

  • संविधान में इस अधिकार के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
  • हालाँकि, अनुच्छेद-21 (जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार) का विस्तार इन सभी क्षेत्रों को कवर करता है।
    • यह राज्य और गैर-राज्य दोनों हितधारकों से व्यक्ति के व्यक्तिगत स्थान की सुरक्षा करता है।
    • यह व्यक्ति को बाहरी हस्तक्षेप के बिना जीवन के निर्णय लेने की अनुमति देता है।

  • संपत्ति के प्रकटीकरण का आकलन: न्यायालय ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए प्रत्येक मामले का व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि महत्त्वपूर्ण संपत्तियों का गैर-प्रकटीकरण एक दोष है या नहीं।
    • महँगी घड़ियों जैसी विलासितापूर्ण वस्तुओं का खुलासा न करना: विलासितापूर्ण वस्तुओं के बारे में विवरण साझा न करना एक बड़ा दोष माना जाएगा।
    • गैर-प्रकटीकरण सस्ती वस्तुएँ: यदि किसी उम्मीदवार एवं उनके परिवार के पास साधारण घड़ियाँ जैसी साधारण, सस्ती संपत्ति है, तो उनके मूल्य को छोड़ना कोई समस्या नहीं मानी जा सकती है।
  • संपत्ति के प्रकटीकरण का उद्देश्य: उच्चतम न्यायालय  के फैसले के अनुसार, उम्मीदवारों की संपत्ति की घोषणा का उद्देश्य नागरिकों के बीच लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देना एवं मतदाताओं को सूचित तथा विचारशील मतदान निर्णय लेने के लिए जानकारी के साथ सशक्त बनाना है।

RPA अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) 

  • धारा 123(2) अनुचित प्रभाव से संबंधित है, जो तब होता है जब कोई उम्मीदवार मतदाताओं की उनके चुनावी अधिकारों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने की क्षमता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करता है।
  • इस हस्तक्षेप में नुकसान की धमकी, सामाजिक अलगाव, या किसी जाति अथवा समुदाय से निष्कासन शामिल हो सकता है।

RPA, 1951 के तहत अन्य भ्रष्ट आचरण

  • अधिनियम की धारा 123: यह रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव, झूठी सूचना फैलाना एवं शत्रुता भड़काने सहित भ्रष्ट प्रथाओं को रेखांकित करती है।
  • धारा 123(3): यह उम्मीदवारों को वोट हासिल करने के लिए अपनी जाति, समुदाय या भाषा का उपयोग करने से रोकती है।
  • धारा 123(4): यह जानबूझकर फैलाए गए झूठे बयानों को शामिल करने के लिए भ्रष्ट आचरण की परिभाषा का विस्तार करती है, जो चुनाव के नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं।

अधिनियम के अनुसार, एक निर्वाचित प्रतिनिधि अपना पद खो सकता है यदि वह- 

  • कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाता है।
  • भ्रष्ट आचरण में संलिप्त पाया जाता है।
  • चुनाव खर्च घोषित करने में असफल होता है।

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