भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने राजनीतिक दलों के अनुरोध पर उपचुनावों की तिथि 13 नवंबर से बढ़ाकर 20 नवंबर कर दी है।
पुनर्निर्धारण का कारण: भाजपा, कांग्रेस (INC), BSP और RLD सहित राजनीतिक दलों ने सांस्कृतिक एवं धार्मिक त्योहारों का हवाला दिया, जो मतदान को प्रभावित कर सकते हैं।
मध्यावधि चुनाव
भारत में मध्यावधि चुनाव तब होते हैं, जब लोकसभा (संसद का निम्न सदन) या राज्य विधानसभा अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही भंग हो जाती है, जिसके लिए नए राष्ट्रीय चुनाव या राज्य स्तरीय चुनाव की आवश्यकता होती है।
ये सत्तारूढ़ सरकार द्वारा बहुमत खोने, गठबंधन की समाप्ति या अन्य राजनीतिक संकटों के कारण होते हैं।
मध्यावधि चुनाव और उपचुनाव के बीच अंतर: मध्यावधि चुनाव पूरी लोकसभा या राज्य विधानसभा के लिए आयोजित किए जाते हैं, जबकि उपचुनाव केवल विशिष्ट रिक्त सीटों के लिए आयोजित किए जाते हैं, जबकि सदन का बाकी हिस्सा सामान्य रूप से कार्य करना जारी रखता है।
भारत में उपचुनावों के बारे में
परिभाषा और उद्देश्य: उपचुनाव या ‘बाई-इलेक्शन’, संसद अथवा राज्य विधानमंडल जैसे विधायी निकायों में रिक्त सीटों को भरने के लिए आयोजित किए जाने वाले चुनाव हैं।
ये रिक्तियाँ किसी वर्तमान सदस्य की मृत्यु, त्याग-पत्र, अयोग्यता या निष्कासन के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।
कानूनी अधिदेश: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151A के तहत, भारत के चुनाव आयोग (ECI) को इन आकस्मिक रिक्तियों को घटना की तारीख से छह महीने के भीतर भरना आवश्यक है, बशर्ते सीट का शेष कार्यकाल कम-से-कम एक वर्ष का हो।
यदि एक वर्ष से कम समय शेष हो तो उपचुनाव अनिवार्य नहीं हैं।
महत्त्व: उपचुनाव के परिणाम सत्तारूढ़ सरकार की बहुमत की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।
यदि सत्तारूढ़ पार्टी कई उपचुनाव सीटें हार जाती है, तो इससे उसका विधायी बहुमत खतरे में पड़ सकता है, जिसका प्रभाव शासन और नीतिगत निर्णयों पर पड़ सकता है।
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के बारे में
ECI भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत स्थापित एक स्थायी, स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
यह संसद, राज्य विधानसभाओं और भारत के राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के लिए चुनावों की देखरेख करता है।
ECI शहरी स्थानीय निकायों या पंचायतों के चुनावों का प्रबंधन नहीं करता है, जिन्हें राज्य चुनाव आयोगों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
संरचना: प्रारंभ में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के नेतृत्व में एक सदस्यीय निकाय के रूप में कार्यरत ECI को वर्ष 1989 में तीन सदस्यीय निकाय के रूप में विस्तारित किया गया, ताकि मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किए जाने के बाद बढ़ी हुई जिम्मेदारियों का प्रबंधन किया जा सके।
अब चुनाव आयोग तीन सदस्यीय निकाय है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त भी शामिल हैं।
भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं अधिकार क्षेत्र
सलाहकार भूमिका: सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों को सलाह देना, विशेष रूप से भ्रष्ट आचरण के मामलों में।
अर्द्ध-न्यायिक भूमिका: व्यय लेखा प्रस्तुत करने में विफल रहने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है।
पार्टी मान्यता और चुनाव चिह्न आवंटन से संबंधित विवादों का समाधान करना।
प्रशासनिक भूमिका: निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन, मतदाता पंजीकरण और मतदाता सूची अद्यतन का प्रबंधन करता है।
चुनाव की तिथियाँ निर्धारित करना और आदर्श आचार संहिता को लागू करना, चुनाव के दौरान निष्पक्ष प्रचार तथा वित्तीय दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना।
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