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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल

Lokesh Pal November 04, 2024 03:39 96 0

संदर्भ 

संयुक्त राज्य अमेरिका 5 नवंबर, 2024 को होने वाले अपने वर्ष 2024 के आम चुनाव में देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव करेगा।

  • अमेरिकी कांग्रेस आधिकारिक तौर पर जनवरी 2025 के शुरू में चुनावी वोटों की गिनती करेगी तथा निर्वाचित राष्ट्रपति 20 जनवरी, 2025 को चार वर्ष के कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करेंगे।

अमेरिकी चुनाव के बारे में 

  • अद्वितीय प्रणाली: संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र ऐसा लोकतंत्र है, जहाँ कोई उम्मीदवार लोकप्रिय वोट हासिल करने के बावजूद राष्ट्रपति पद तक नहीं पहुँच सकता है, जो कि कई बार हुआ है, जिसमें वर्ष 2000 और वर्ष 2016 के चुनाव भी शामिल हैं।
  • निर्वाचक मंडल (Electoral College) का कार्य: यह एक मध्यस्थ प्रणाली है, जहाँ मतदाता प्रतिनिधियों या ‘निर्वाचकों’ का चुनाव करते हैं, जो फिर औपचारिक रूप से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं। इस प्रक्रिया ने ऐतिहासिक रूप से ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न की हैं, जहाँ लोकप्रिय वोट जीतने वाले को राष्ट्रपति पद नहीं मिला।

निर्वाचक मंडल प्रणाली के बारे में

  • परिभाषा: निर्वाचक मंडल एक निकाय है, जो किसी विशिष्ट पद के लिए उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए जिम्मेदार होता है।
  • राजनीतिक संदर्भ: इसका उपयोग अक्सर एक संवैधानिक निकाय को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य या सरकार के प्रमुख जैसे प्रमुख पदों की नियुक्ति करता है।
  • उपयोग: कभी-कभी यह संसद के ऊपरी सदन के सदस्यों की नियुक्ति भी करता है।
  • सदस्य: निर्वाचक के रूप में जाने जाने वाले सदस्यों को आम तौर पर प्रत्यक्ष लोकप्रिय वोट (अप्रत्यक्ष चुनाव) या उप-क्षेत्रीय संस्थाओं या सामाजिक संगठनों के माध्यम से चुना जाता है।
  • ऐतिहासिक बहस: संस्थापक सदस्यों ने कांग्रेसी या लोकप्रिय चुनाव मॉडल के बीच बहस की।
    • निर्वाचन मंडल राज्य के प्रतिनिधित्व को संतुलित करने तथा बड़े राज्यों को परिणाम पर बढ़त लेने से रोकने के लिए एक समझौते के रूप में उभरा।
  • संघवादी औचित्य: अलेक्जेंडर हैमिल्टन और अन्य लोगों ने तर्क दिया कि निर्वाचन मंडल अनुपयुक्त उम्मीदवारों को पद ग्रहण करने से रोकेगा, हालाँकि लोकप्रिय इच्छा की भूमिका भी बनी रहेगी।

अमेरिकी निर्वाचन मंडल की संरचना

  • कुल निर्वाचक: 538 निर्वाचक हैं, जिनमें से राष्ट्रपति पद जीतने के लिए 270 मतों का बहुमत आवश्यक है।
  • राज्य का प्रतिनिधित्व: प्रत्येक राज्य के निर्वाचक उसके कांग्रेस सदस्यों (प्रतिनिधि और दो सीनेटर) की संख्या के बराबर होते हैं।
    • कैलिफोर्निया में सबसे अधिक (54 निर्वाचक) मतदाता हैं, जबकि छोटे राज्यों और वाशिंगटन डीसी में न्यूनतम तीन निर्वाचक हैं।

निर्वाचक चयन प्रक्रिया

  • राजनीतिक दलों की संबद्धता: राजनीतिक दल निर्वाचकों को नामित करते हैं, आम तौर पर ऐसे व्यक्ति जिनका पार्टी से मजबूत संबंध होता है या जो लंबे समय से जुड़े होते हैं। जिस पार्टी का उम्मीदवार किसी राज्य में लोकप्रिय वोट जीतता है, वह अपने निर्वाचकों को नियुक्त करता है।
  • पात्रता: संघीय पदाधिकारी, जैसे कि कांग्रेस के सदस्य, निर्वाचक के रूप में कार्य नहीं कर सकते। अमेरिकी संविधान का 14वाँ संशोधन उन व्यक्तियों को भी निर्वाचक बनने से रोकता है, जो विद्रोह में शामिल रहे हैं या देश के दुश्मनों की सहायता की है।

मतदान प्रक्रिया और ‘विनर टेक्स आल’ (Winner-Takes-All) प्रणाली

  • चुनाव दिवस मतदान: चुनाव दिवस पर, मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्वाचकों को चुनते हैं। अधिकांश राज्य ‘विनर टेक्स आल’ (Winner-Takes-All) दृष्टिकोण का उपयोग करते हैं, जहाँ राज्य के चुनावी वोट पूरी तरह से लोकप्रिय रूप से जीतने वाले को जाते हैं। 
  • अपवाद: मैने (Maine) और नेब्रास्का आनुपातिक रूप से निर्वाचकों को आवंटित करते हैं, जिसमें दो वोट राज्य विजेता को और एक वोट प्रत्येक कांग्रेस जिले के विजेता को जाता है। 
  • वोट डालना: दिसंबर में निर्वाचक मंडल वोट देने के लिए संगठित होते हैं, आमतौर पर लोकप्रिय वोट के परिणाम का सम्मान करते हैं। ‘फेथलेस एलेक्ट्रोरल’ कभी-कभी अलग तरीके से वोट करते हैं, लेकिन अधिकांश राज्यों में लोकप्रिय वोट के साथ संरेखण लागू करने के लिए कानून या दंड हैं।
    • वर्ष 2016 में, कुछ मतदाताओं ने अपने उम्मीदवार के विरुद्ध मतदान किया, हालाँकि अक्सर उन्हें बदल दिया गया या दंडित किया गया।

निर्वाचक मंडल प्रणाली की आलोचनाएँ

  • असमान मत मूल्य: बड़े राज्यों में प्रति व्यक्ति मत मूल्य छोटे राज्यों की तुलना में कम होता है। उदाहरण के लिए कैलिफोर्निया बनाम व्योमिंग (California vs. Wyoming)।
  • ‘स्विंग स्टेट’ प्रभाव: ‘विनर टेक्स आल’ दृष्टिकोण स्विंग स्टेट के महत्त्व को बढ़ाता है, हालाँकि कम प्रतिस्पर्द्धी राज्यों के वोटों को कम महत्त्व देता है।
  • आधुनिक प्रासंगिकता: आलोचकों का तर्क है कि निर्वाचक मंडल प्रत्यक्ष लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, बल्कि वे प्रत्यक्ष चुनावों की वकालत करते हैं।

भारतीय और अमेरिकी चुनाव प्रणालियाँ

पहलू भारत संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका संसदीय लोकतंत्र संघीय राष्ट्रपति लोकतंत्र 
सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री राष्ट्रपति 
चुनाव का प्रकार प्रधानमंत्री के लिए अप्रत्यक्ष; 

संसद सदस्यों के लिए प्रत्यक्ष

राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन मंडल के माध्यम से अप्रत्यक्ष; 

कांग्रेस सदस्यों के लिए प्रत्यक्ष

निर्वाचन निकाय भारतीय चुनाव आयोग (ECI) संघीय चुनाव आयोग (FEC), राज्य-विशिष्ट चुनाव प्राधिकारियों के साथ
मतदान पद्धति संसदीय और राज्य चुनावों में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (First-Past-The-Post: FPTP) प्रणाली राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल (538 निर्वाचक); कांग्रेस और सीनेट के लिए प्रथम-पास्ट-द-पोस्ट
प्रतिनिधित्व लोकसभा के लिए जनसंख्या के आधार पर आनुपातिक; राज्यसभा में समान प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधि सभा; प्रत्येक राज्य के लिए समान सीनेट प्रतिनिधित्व
चुनाव आवृत्ति लोकसभा के लिए प्रत्येक 5 वर्ष; राज्य चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष (राज्यों के अनुसार भिन्न-भिन्न) राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्येक 4 वर्ष; कांग्रेस के लिए प्रत्येक 2 वर्ष, सीनेट के लिए प्रत्येक 6 वर्ष
मतदाता पात्रता 18+ वर्ष, भारत का नागरिक 18+ वर्ष, संयुक्त राज्य अमेरिका का नागरिक
राष्ट्रपति चुनाव की पद्धति सीधे तौर पर निर्वाचित नहीं; लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी प्रधानमंत्री का चयन करती है। राष्ट्रपति का चुनाव राज्य के लोकप्रिय मतों के आधार पर निर्वाचन मंडल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
राजनीतिक दल बहुदलीय प्रणाली, जिसमें प्रमुख पार्टियाँ हों (भाजपा, कांग्रेस) मुख्यतः दो-पक्षीय प्रणाली (डेमोक्रेटिक, रिपब्लिकन)
मतगणना प्रक्रिया अधिकांश मामलों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग किया जाता है। राज्य-विशिष्ट विनियमों के साथ कागजी मतपत्र, इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली और डाक-इन मतपत्र
विवाद समाधान सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग द्वारा प्रबंधित राज्य न्यायालयों और अंततः सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रबंधित; कांग्रेस विवादों में हस्तक्षेप कर सकती है।
मतगणना तिथि कोई निश्चित तिथि नहीं; आम तौर पर चुनाव परिणाम के कुछ सप्ताह के भीतर चुनावी वर्ष के बाद 20 जनवरी को।

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