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इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG)

Lokesh Pal July 17, 2024 03:25 143 0

संदर्भ 

इस वर्ष मानव चिकित्सा में इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (Electroencephalography- EEG) के 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं।

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) क्या है? 

  • EEG का मतलब इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी है।
  • यह विद्युत आवेशित कणों (आयनों) की गति पर नजर रखकर मस्तिष्क में विद्युतीय गतिविधियों को मापता है। 
    • यह वोल्टेज परिवर्तन (माइक्रोवोल्ट में) और परिवर्तन की आवृत्ति (हर्ट्ज में) को मापता है। 

  • अनुप्रयोग
    • मिर्गी का निदान (Diagnosing Epilepsy)
    • एनेस्थीसिया के प्रभावों की निगरानी (Monitoring Anaesthesia Effects)
    • नींद के पैटर्न का अध्ययन (Studying Sleep Patterns)
    • कोमा के दौरान तंत्रिका संबंधी गतिविधि का आकलन (Assessing Neurological Activity During a Coma)
    • ब्रेन डेड की पुष्टि (Confirming Brain Death)

EEG परीक्षण कैसे कार्य करता है?

  • प्रक्रिया: EEG परीक्षण के दौरान, इलेक्ट्रोड को मानव खोपड़ी पर रखा जाता है।
  • खोपड़ी पर लगाए गए इलेक्ट्रोड, न्यूरॉनल गतिविधियों के कारण होने वाले वोल्टेज परिवर्तन का पता लगाते हैं। 
    • विद्युत गतिविधियों का मार्ग (Path of Electrical Activity): तंत्रिका संबंधी विद्युत गतिविधियाँ त्वचा, द्रव और अस्थि परतों से होकर गुजरती है तथा परावर्तन, अपवर्तन और प्रकीर्णन से गुजरती है। 
    • दूरी संबंधी कारक: विद्युत गतिविधियाँ एक स्थान पर उत्पन्न होती हैं, लेकिन इसका पता दूरी पर स्थित इलेक्ट्रोडों द्वारा लगाया जाता है। 
      • इन परिवर्तनों को इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (Electroencephalogram) के रूप में रिकॉर्ड एवं प्रदर्शित किया जाता है। 
  • इलेक्ट्रोड प्लेसमेंट: सिर पर मानकीकृत इलेक्ट्रोड प्लेसमेंट के लिए अंतरराष्ट्रीय 10-20 प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
    • इलेक्ट्रोड को दूरी के आधार पर रखा जाता है। दो आपसी इलेक्ट्रोड के बीच की जगह सिर पर दो विशिष्ट बिंदुओं के बीच की कुल दूरी का 10% या 20% होती है। 

EEG विकास का इतिहास

  • वर्ष 1875: ब्रिटिश चिकित्सक रिचर्ड कैटन (Richard Caton) ने बंदर और खरगोश के मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों का पता लगाया। 
  • वर्ष 1890: पोलिश वैज्ञानिक एडोल्फ बेक (Adolf Beck) ने कुत्तों और खरगोशों में मस्तिष्क की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव देखा। 
  • वर्ष 1912: व्लादिमीर प्रवीदिच-नेमिंस्की (Vladimir Pravdich-Neminsky) ने स्तनधारियों में पहला EEG कुत्ते के मस्तिष्क पर किया था।
  • वर्ष 1924: हैंस बर्जर (Hans Berger) ने पहला मानव EEG रिकॉर्ड किया, उसका नामकरण किया और उसके नैदानिक ​​उपयोग का प्रदर्शन किया। 

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) के लाभ 

  • गैर-आक्रामक और दर्दरहित प्रक्रिया (Non-invasive and painless procedure:): EEG मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियाँ को रिकॉर्ड करने के लिए खोपड़ी पर लगाए गए इलेक्ट्रोड का उपयोग करता है। यह दर्द रहित प्रक्रिया है।
  • अनुप्रयोगों की विस्तृत शृंखला (Wide range of applications): EEG का उपयोग मिर्गी, निद्रा विकार, सिर की चोट और मस्तिष्क ट्यूमर सहित विभिन्न स्थितियों के निदान में किया जाता है। 
    • इसका उपयोग मस्तिष्क की निष्क्रियता के प्रभावों का आकलन करने के लिए भी किया जाता है।
  • अपेक्षाकृत सरल और लागत प्रभावी: EEG उपकरण अपेक्षाकृत सस्ता है और इसके लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है। यह परीक्षण पोर्टेबल है और इसमें विकिरण का उपयोग नहीं होता है। 
  • तीव्र विद्युत गतिविधियों को मापना (Measures rapid electrical activity): EEG मस्तिष्क में मिलीसेकंड में होने वाली विद्युत गतिविधियों को ट्रैक करने में प्रभावी है। 
  • विशिष्ट प्रयोजनों के लिए अन्य नैदानिक ​​उपकरणों से बेहतर: मिर्गी के निदान के लिए EEG सर्वोत्तम उपलब्ध परीक्षण है। 
  • पोर्टेबल: EEG केवल अस्पतालों में ही नहीं, बल्कि विभिन्न स्थानों पर किया जा सकता है।

इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) के नुकसान 

  • कम स्थानिक विभेदन (Low spatial resolution): EEG खोपड़ी की सतह पर विद्युतीय गतिविधि को मापता है, जिससे मस्तिष्क के भीतर गतिविधि के सटीक स्थान को निर्धारित करना कठिन हो जाता है। 
    • यह कॉर्टेक्स की सतह के करीब उत्पन्न विद्युत संकेतों की ओर झुकाव रखता है। 
  • डेटा की व्याख्या करने में कठिनाई: EEG रीडिंग, वॉल्यूम कंडक्शन से प्रभावित हो सकती है, जो सिर के माध्यम से विद्युत गतिविधि को मापती है। 
    • अन्य शारीरिक गतिविधियाँ, जैसे पलक झपकाना या मांसपेशियों की हलचल, भी डेटा में शोर उत्पन्न कर सकती हैं। 
  • गहरी मस्तिष्क गतिविधि का पता लगाने की सीमित क्षमता (Limited ability to detect deep brain activity): EEG मस्तिष्क की सतह द्वारा उत्पन्न विद्युत संकेतों के प्रति गहरी संरचनाओं द्वारा उत्पन्न संकेतों की तुलना में अधिक संवेदनशील है। 
  • घने बालों की समस्या और समय लगना: घने बाल EEG सिग्नल में बाधा डाल सकते हैं। 
    • इस परीक्षण में जेल लगाने और सिर की त्वचा पर इलेक्ट्रोड को सटीक रूप से रखने की आवश्यकता होती है, जो काफी समय लेने वाला हो सकता है।

वॉल्यूम कंडक्शन (Volume Conduction)

यह सिर की विभिन्न परतों (त्वचा, तरल पदार्थ, हड्डी) के माध्यम से न्यूरॉन्स द्वारा उत्पन्न विद्युत गतिविधियों की गति को संदर्भित करता है, जो खोपड़ी पर रखे इलेक्ट्रोड तक पहुँचती हैं।

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