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उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2024

Lokesh Pal October 28, 2024 03:16 52 0

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने वर्ष 2024 के लिए अपनी वार्षिक उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक ‘नो मोर हॉट एयर…प्लीज!’ (No More Hot Air… Please) है।

UNEP की वर्ष 2024 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत द्वारा उत्सर्जन और चुनौतियाँ
    • भारत द्वारा उत्सर्जन: वर्ष 2023 में, भारत का ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन लगभग 2.3 बिलियन टन था, जो विश्व के कुल उत्सर्जन का 8% था।
    • प्रति व्यक्ति कम उत्सर्जन: भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन केवल 2.9 टन है, जो वैश्विक औसत 6.6 टन से बहुत कम है।
    • अन्य देशों से तुलना: भारत का ऐतिहासिक उत्सर्जन लगभग 3% है, जबकि अमेरिका जैसे देश 20% तक योगदान करते है।

  • वैश्विक उत्सर्जन असमानता
    • G20 देशों से उच्च उत्सर्जन: G20 देश (अफ्रीकी संघ को छोड़कर) वैश्विक उत्सर्जन का 77% उत्सर्जन करते हैं।
    • सबसे कम विकसित देशों का उत्सर्जन: सबसे कम विकसित देश कुल उत्सर्जन का केवल 3% उत्सर्जन करते हैं, फिर भी उन्हें बृहत जलवायु प्रभावों का सामना करना पड़ता है।
  • वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि 
    • उत्सर्जन में वृद्धि: वैश्विक उत्सर्जन वर्ष 2023 में 1.3% की वृद्धि के साथ एक नए शिखर पर पहुँच गया।
    • पेरिस समझौते के लक्ष्य: 1.5°C लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2030 तक 42% उत्सर्जन में कमी की आवश्यकता है, जबकि 2°C लक्ष्य के लिए 28% की कमी आवश्यक है।
    • सबसे खराब स्थिति: पर्याप्त कटौती के बिना, वर्ष 2100 तक तापमान 2.6°C तक पहुँच सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र के ह्रास और सामाजिक उथल-पुथल का खतरा बन सकता है।
  • उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत
    • विद्युत तथा परिवहन क्षेत्र: वर्ष 2023 में विद्युत क्षेत्र ने 15.1 बिलियन टन CO₂ उत्सर्जित की, जबकि परिवहन क्षेत्र ने इसका 8.4 बिलियन टन उत्सर्जन किया।
    • विमानन उत्सर्जन में वृद्धि: महामारी के बाद से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से उत्सर्जन में 19.5% की वृद्धि हुई है।
  • जलवायु लक्ष्य और पेरिस समझौते के मुद्दे
    • अद्यतन राष्ट्रीय लक्ष्य: लगभग 90% देशों ने अपने जलवायु लक्ष्यों को अद्यतन कर लिया है, लेकिन ये अभी भी वर्ष 2030 के लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए पर्याप्त नहीं है।
    • अनुमानित उत्सर्जन वृद्धि: यदि वर्तमान नीतियाँ बनी रहीं तो वर्ष 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन 57 बिलियन टन तक पहुँच सकता है, जो सुरक्षित जलवायु लक्ष्यों से अधिक है।
  • उत्सर्जन कम करने के अवसर
    • नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि: सौर तथा पवन ऊर्जा वर्ष 2030 तक 27% तथा वर्ष 2035 तक 38% उत्सर्जन कम करने में मदद कर सकती है।
    • उत्सर्जन में कमी लाने में वनों की भूमिका: वनीकरण से कार्बन अवशोषण के माध्यम से वर्ष 2030 और 2035 दोनों में उत्सर्जन में 20% की कमी आ सकती है।
  • अधिक जलवायु वित्तपोषण की आवश्यकता 
    • निवेश में वृद्धि: विकासशील देशों को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में सहायता करने के लिए जलवायु शमन निधि में छह गुना वृद्धि की आवश्यकता है।
    • कमजोर क्षेत्रों के लिए वित्तीय सहायता: जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों को अनुकूलन करने और प्रभावों को कम करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता आवश्यक है।
  • वैश्विक जलवायु कार्रवाई में भारत की भूमिका 
    • विकास और उत्सर्जन में संतुलन: भारत के उत्सर्जन में वृद्धि हुई है, जिससे इसके विकास को समर्थन मिला है, लेकिन प्रति व्यक्ति और ऐतिहासिक तुलना में यह कम बना हुआ है।
    • जलवायु परिवर्तन से जोखिम: भारत की बड़ी कृषि आबादी इसे अप्रत्याशित मानसून जैसे जलवायु जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा प्रयास: भारत के सौर और पवन कार्यक्रम स्वच्छ ऊर्जा के लिए UNEP के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।

उत्सर्जन कम करने के लिए भारत की पहल

भारत ने उत्सर्जन कम करने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पहल दी गई हैं:

  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC)
    • इसका उद्देश्य सतत् विकास को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन से निपटना है।
    • यह सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, सतत् आवास, जल संरक्षण और हरित भारत सहित आठ मिशनों पर केंद्रित है।
  • पंचामृत कार्य योजना (Panchamrit Action Plan)
    • वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
    • प्रमुख लक्ष्यों मे शामिल हैं:
      • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना।
      • वर्ष 2030 तक नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% पूरा करना।
      • वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी करना।
      • वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% की कमी करना।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)
    • सौर ऊर्जा के विकास और अपनाने को बढ़ावा देना। 
    • इसका उद्देश्य भारत को सौर ऊर्जा में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
  • हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना (Green Energy Corridor Project)
    • राष्ट्रीय ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण को सुगम बनाता है। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए ट्रांसमिशन अवसंरचना विकसित करता है।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission)
    • इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है। 
    • हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और एक मजबूत आपूर्ति शृंखला बनाना।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
    • ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन (LPG) उपलब्ध कराती है।
    • घर के अंदर वायु प्रदूषण को कम करती है और स्वास्थ्य में सुधार करती है।
  • हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण की योजना (FAME)
    • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देती है। 
    • सब्सिडी प्रदान करती है, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करती है और ईवी अनुसंधान तथा विकास का समर्थन करती है।
  • उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMEEE)
    • विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता में सुधार करता है।
    • उद्योगों, इमारतों और उपकरणों में ऊर्जा-कुशल उपायों के माध्यम से ऊर्जा की खपत और उत्सर्जन को कम करता है।

आगे की राह

  • नीति और वित्तीय समन्वय: वैश्विक नेताओं को उत्सर्जन कम करने, मजबूत नीतियाँ बनाने और जलवायु समाधानों में अधिक निवेश करने के लिए तेजी से काम करने की आवश्यकता है।
  • COP30 के लिए अपेक्षाएँ: COP30 से पहले, UNEP उत्सर्जन अंतर को कम करने और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकास और स्थिरता लक्ष्यों को जोड़ने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

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