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प्लास्टिक अपशिष्ट में अंतःस्रावी विघटनकारी तत्त्व

Lokesh Pal July 05, 2025 02:15 6 0

संदर्भ

प्लास्टिक प्रदूषण एक पर्यावरणीय चिंता से जैविक आक्रमण संबंधी समस्या में परिवर्तित हो गया है, क्योंकि माइक्रोप्लास्टिक और अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायन (Endocrine Disrupting Chemicals- EDC) मानव शरीर में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं।

संबंधित तथ्य

  • व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम द्वारा वर्ष 2022 में किए गए एक अध्ययन में 80% मानव प्रतिभागियों के रक्त में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
  • नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में वर्ष 2024 में किए गए एक अध्ययन में भारत में 89% रक्त नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया, जो औसतन 4.2 पार्टिकल/मिली. था।
  • फूड एंड केमिकल टॉक्सिकोलॉजी में वर्ष 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि पॉलीस्टाइरीन माइक्रोप्लास्टिक के कम खुराक वाले संपर्क से:
    • टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आती है।
    • शुक्राणु उत्पादन घटता है।
    • रक्त-वृषण अवरोध (Blood-Testis Barrier) को क्षति पहुँचती है।

माइक्रोप्लास्टिक्स के बारे में

  • माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे टुकड़े होते हैं, जिनकी लंबाई 5 मिमी. (0.2 इंच) से कम होती है।
  • माइक्रोप्लास्टिक को अब निष्क्रिय नहीं माना जाता है; वे जैविक रूप से सक्रिय हैं।
  • माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों, हृदय, प्लेसेंटा, स्तन ग्रंथियों, डिंबग्रंथि द्रव और वीर्य में भी पाए गए हैं।
  • भारत में वार्षिक रूप से 9.3 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
    • 5.8 मिलियन टन जला दिया जाता है (जिससे विषाक्त पदार्थ निकलते हैं)।
    • 3.5 मिलियन टन पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

अंतःस्रावी विघटनकारी रसायन (EDC) क्या हैं?

  • ये पर्यावरण (वायु, मृदा या जल की आपूर्ति), खाद्य स्रोतों, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और निर्मित उत्पादों में मौजूद पदार्थ हैं, जो आपके शरीर के अंतःस्रावी तंत्र के सामान्य कार्य में बाधा डालते हैं। 
  • प्लास्टिक में सामान्य अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायन (EDCs)
    • बिस्फेनॉल A (BPA) और BPS: बोतलों, कंटेनरों, थर्मल पेपर में पाए जाते हैं।
    • थैलेट्स (जैसे, DEHP, DBP): सौंदर्य प्रसाधनों, खिलौनों, IV ट्यूबिंग में मौजूद होते हैं।
    • ‘पर एंड पॉलीफ्लोरोएल्काइल’ पदार्थ (Per And Polyfluoroalkyl Substances- PFAS): खाद्य पैकेजिंग और ‘नॉन-स्टिक कुकवेयर’ में पाए जाते हैं।
  • ये रसायन हार्मोन (एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, थायरॉयड हार्मोन, कॉर्टिसोल) की नकल करते हैं या उन्हें अवरुद्ध करते हैं तथा जीन अभिव्यक्ति को बाधित करते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एवं कोशिका की समाप्ति होती है।

माइक्रोप्लास्टिक्स के बारे में

  • माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे टुकड़े होते हैं, जिनकी लंबाई 5 मिमी. (0.2 इंच) से कम होती है।
  • माइक्रोप्लास्टिक को अब निष्क्रिय नहीं माना जाता है; वे जैविक रूप से सक्रिय हैं।
  • माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों, हृदय, प्लेसेंटा, स्तन ग्रंथि, डिंबग्रंथि द्रव और वीर्य में भी पाए गए हैं।

माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव

  • बढ़ता प्रजनन संकट
    • भारत में पिछले दो दशकों के अध्ययनों में औसत शुक्राणु संख्या में लगभग 30% की गिरावट दर्ज की गई है।
    • एडवांस इन फार्माकोलॉजी (2021) और फ्रंटियर्स इन सेल एंड डेवलपमेंटल बायोलॉजी (2023) के अनुसार, महिलाओं में, BPA और थैलेट्स (Phthalates) और  पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), एंडोमेट्रियोसिस और सहज गर्भपात से जुड़े हैं।
    • BPA और थैलेट्स कम टेस्टोस्टेरोन और उच्च LH स्तरों से जुड़े हैं।
  • कार्सिनोजेनिक: उच्च DEHP, या di(2-एथिलहेक्सिल) थैलेट्स स्तर वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम लगभग 3 गुना अधिक था (OR = 2.97)। 
    • BPA और थैलेट्स प्रोस्टेट, गर्भाशय और वृषण कैंसर से जुड़े हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य जोखिम
    • EDC कोर्टिसोल की नकल करते हैं और इंसुलिन को प्रभावित करते हैं, जिससे मोटापा और टाइप 2 मधुमेह को बढ़ावा मिलता है।
    • ‘2024 फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ’ अध्ययन के अनुसार, PFAS एक्सपोजर मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हृदय रोग और थायरॉयड डिसफंक्शन से जुड़ा हुआ है।
  • आर्थिक प्रभाव: भारत में, EDC से संबंधित स्वास्थ्य लागत 25,000 करोड़ रुपये/वर्ष से अधिक है, जो स्वास्थ्य देखभाल और उत्पादकता हानि के कारण है।

चुनौती

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों (2016, 2022, 2024) में अद्यतन के बावजूद, प्रवर्तन कमजोर बना हुआ है और ये नियम कम खुराक वाले अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायन (Endocrine Disrupting Chemical- EDC) के प्रभावों को नजरअंदाज करते हैं, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए।

सिफारिशों

  • रक्त, मूत्र, दूध में EDC की बायोमॉनिटरिंग और निगरानी।
  • प्रजनन क्षमता, पुरानी बीमारी और तंत्रिका विकास पर दीर्घकालिक अध्ययनों को निधि देना।
  • जन जागरूकता को बढ़ावा देना
    • प्लास्टिक कंटेनरों में खाना माइक्रोवेव करने से बचें।
    • काँच, स्टेनलेस स्टील, EDC-मुक्त उत्पादों का उपयोग करें।
    • ऑक्सीडेटिव तनाव का मुकाबला करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार को प्रोत्साहित करें।
  • प्लास्टिक पृथक्करण, पुनर्चक्रण, सुरक्षित निपटान को लागू करें।
  • जल उपचार के लिए माइक्रोप्लास्टिक फिल्टर में निवेश करें।
  • बायोडिग्रेडेबल, गैर-विषाक्त सामग्रियों को प्रोत्साहित करें।

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