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शत्रु संपत्ति

Lokesh Pal January 27, 2025 03:17 99 0

संदर्भ 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अभिनेता सैफ अली खान को केंद्र सरकार द्वारा भोपाल में पटौदी परिवार की ऐतिहासिक संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित करने के संबंध में अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क करने का निर्देश दिया है।

सैफ अली खान शत्रु संपत्ति मामले की पृष्ठभूमि

  • संपत्तियाँ: विवादित संपत्तियाँ भोपाल में स्थित हैं, जिनकी कीमत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है, इसमें शामिल हैं:-
    • फ्लैग स्टाफ हाउस, शानदार नूर-उस-सबा पैलेस होटल, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस और कोहेफिजा प्रॉपर्टी।
  • आधार: वर्ष 1950 में आबिदा सुल्तान (भोपाल के तत्कालीन शासक, नवाब हमीदुल्लाह खान की सबसे बड़ी बेटी) का पाकिस्तान चले जाना सरकार द्वारा इन संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में दावा करने का आधार बन गया।
    • सैफ अली खान, साजिदा सुल्तान (नवाब हमीदुल्लाह खान की दूसरी बेटी) के परपोते हैं, जिन्होंने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की थी।
      • इस प्रकार सैफ अली खान भोपाल की संपत्तियों के उत्तराधिकारी हैं।
  • कानूनी विवाद
    • वर्ष 2014: शत्रु संपत्ति विभाग के संरक्षक ने भोपाल में पटौदी परिवार की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया।
      • सैफ अली खान ने इस नोटिस का विरोध किया और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में संपत्तियों पर अपने कानूनी अधिकारों का दावा किया।
    • वर्ष 2016: भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि उत्तराधिकारियों को शत्रु संपत्तियों पर अधिकार नहीं होगा।
    • हाल ही में केंद्र सरकार ने न्यायालय को शत्रु संपत्तियों से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए एक अपीलीय प्राधिकरण के गठन के बारे में सूचित किया है।
    • इसलिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सैफ अली खान को अग्रिम निर्णय के लिए नव स्थापित अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क करने की सलाह दी।

शत्रु संपत्ति 

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में शत्रु संपत्ति को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “वह संपत्ति जो वर्तमान में किसी शत्रु, शत्रु विषय या शत्रु फर्म की ओर से धारित या प्रबंधित है।
    • यह उन व्यक्तियों द्वारा भारत में छोड़ी गई परिसंपत्तियों (चल एवं अचल) को संदर्भित करता है, जो संघर्ष के समय “शत्रु राष्ट्र” के रूप में नामित देशों में चले गए थे।
  • शत्रु की परिभाषा: वर्ष 1968 के अधिनियम में ‘शत्रु’ की परिभाषा ऐसे देश (और उसके नागरिकों) के रूप में की गई है, जिसने भारत के विरुद्ध बाह्य आक्रमण (अर्थात् पाकिस्तान एवं चीन) किया हो।
    • केंद्र सरकार ने वर्ष 1962, वर्ष 1965 और वर्ष 1971 के संघर्षों के दौरान पाकिस्तान और चीन के नागरिकों की कुछ संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में नामित किया था।
    • वर्ष 1966 की ताशकंद घोषणा: यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच किया गया था और इसमें ऐसी संपत्तियों की वापसी के बारे में चर्चा की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने वर्ष 1971 में इन संपत्तियों का निपटान कर दिया था।
  • इसके अंतर्गत तैयार किया गया: यह अधिनियम भारत रक्षा अधिनियम, 1962 के अंतर्गत तैयार किया गया है।
  • अधिकार: केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत ‘भारत के लिए शत्रु संपत्ति के संरक्षक’ की नियुक्ति करके केंद्र सरकार द्वारा इन संपत्तियों को अपने अधिकार में ले लिया जाता है।
    • संरक्षक को भारत सरकार की ओर से इन संपत्तियों के प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है।
  • भारत में शत्रु संपत्तियाँ: लोकसभा में सरकार के जवाब के अनुसार, पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा कुल 9,280 शत्रु संपत्तियाँ छोड़ी गई हैं और चीनी नागरिकों द्वारा 126 संपत्तियाँ छोड़ी गई हैं, जिनकी कीमत लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है।
    • शत्रु शेयर: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शत्रु शेयरों को बेचने की प्रक्रिया को भी मंजूरी दे दी है। 20,232 शेयरधारकों से संबंधित 996 कंपनियों के कुल 6,50,75,877 शेयरों की पहचान की गई।
  • उत्तराधिकार: इस अधिनियम के तहत, जिन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाता है, वे स्थायी रूप से शत्रु संपत्ति के संरक्षक के पास रहती हैं तथा उनमें उत्तराधिकार या हस्तांतरण की कोई संभावना नहीं होती है।
  • शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं मान्यता) अधिनियम, 2017: संशोधनों ने ‘शत्रु विषय’ और ‘शत्रु फर्म’ की परिभाषा को व्यापक बनाया है। 
    • शत्रु विषय
      • इनमें अब शत्रुओं के कानूनी उत्तराधिकारी भी शामिल हैं, भले ही वे भारत के नागरिक हों या किसी अन्य देश के नागरिक हों, जो शत्रु नहीं है।
      • किसी शत्रु देश के नागरिक जिन्होंने बाद में अपनी राष्ट्रीयता बदलकर किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली हो आदि।
    • शत्रु फर्म: शत्रु संपत्ति उन मामलों में भी संरक्षक के पास रहेगी, जहाँ शत्रु व्यक्ति या फर्म की मृत्यु, विलुप्ति या व्यवसाय बंद होने के कारण अस्तित्व समाप्त हो गया हो, भले ही कानूनी उत्तराधिकारी भारतीय नागरिक हो या किसी मित्र देश का नागरिक हो।
  • शत्रु संपत्तियों का निपटान
    • वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों वाली शत्रु संपत्ति निपटान समिति इस बारे में सिफारिशें देती है कि संपत्तियों को बेचा जाए, हस्तांतरित किया जाए या उनका रखरखाव किया जाए।
    • शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए दिशा-निर्देश, 2018: यह भारत के लिए शत्रु संपत्ति के संरक्षक में निहित संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया को रेखांकित करता है।
    • आय: बिक्री से प्राप्त आय भारत की समेकित निधि में जमा की जाती है।

भारत संघ बनाम राजा मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान मामला, 2005

  • पृष्ठभूमि: उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद के राजा की संपत्ति जिसमें हजरतगंज (लखनऊ), सीतापुर एवं नैनीताल की संपत्तियाँ शामिल हैं, को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया।
    • राजा वर्ष 1957 में पाकिस्तान चले गए और उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त कर ली, लेकिन उनकी पत्नी एवं पुत्र नागरिक के रूप में भारत में ही रहे।
  • राजा के बेटे मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान ने इस पदनाम को चुनौती दी और संपत्तियों पर स्वामित्व माँगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय का वर्ष 2005 का निर्णय: वर्ष 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया और संपत्तियों पर उसके अधिकार को मान्यता दी।
    • यह माना गया कि संपत्तियाँ अब शत्रु संपत्ति नहीं रहीं, क्योंकि अब उनका स्वामित्व भारतीय नागरिक के पास है।

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