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भारत में इथेनॉल-मिश्रित ईंधन

Lokesh Pal August 13, 2025 03:49 4 0

संदर्भ

भारत में E20 (20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल) को अपनाने से वाहनों की तकनीकी अनुकूलता तथा असंगत ईंधन मिश्रण के उपयोग से संभावित इंजन क्षति पर बीमा दावों के अस्वीकरण को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

इथेनॉल (C2H5OH) क्या है?

  • इथेनॉल एक नवीकरणीय, जैव-आधारित अल्कोहल ईंधन है जो गन्ना, मक्का और चावल जैसी फसलों में पाई जाने वाली शर्करा के किण्वन से उत्पन्न होता है।
  • यह जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और आयातित तेल पर निर्भरता को कम करना है।

इथेनॉल उत्पादन के स्रोत

  • प्रथम पीढ़ी (1G): गन्ना, मक्का और चावल।
  • द्वितीय पीढ़ी (2G): कृषि अवशेष, जैसे-चावल की भूसी और मक्के के भुट्टे।
  • तृतीय पीढ़ी (3G): शैवाल और अन्य उन्नत जैव ईंधन।

इथेनॉल का उत्पादन कैसे होता है?

  • किण्वन: फीडस्टॉक से शर्करा को खमीर द्वारा किण्वित करके इथेनॉल बनाया जाता है।
  • आसवन: किण्वित मिश्रण को आसुत करके इथेनॉल को अन्य घटकों से अलग किया जाता है।
  • निर्जलीकरण: आसुत इथेनॉल को जल निष्कर्षण के लिए निर्जलित किया जाता है, जिससे पेट्रोल के साथ मिश्रण हेतु उपयुक्त निर्जल इथेनॉल का उत्पादन होता है।

भारत में इथेनॉल उत्पादन की वर्तमान स्थिति

  • उत्पादन क्षमता: इथेनॉल उत्पादन क्षमता चार वर्षों में दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 16,230 मिलियन लीटर हो गई है।
  • मिश्रण उपलब्धियाँ: पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण वर्ष 2013-14 में 1.53% से बढ़कर वर्ष 2025 में 20% हो गया है।
  • आर्थिक प्रभाव: तेल आयात में कमी के कारण विदेशी मुद्रा में लगभग ₹1.36 लाख करोड़ की बचत हुई है।
  • ग्रामीण विकास: किसानों को ₹1.18 लाख करोड़ और डिस्टिलरी को ₹1.96 लाख करोड़ का वितरण, जिससे ग्रामीण आय में वृद्धि हुई।

भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण का इतिहास

  • 1970-2000 के दशक: तेल संकट के जवाब में भारत में इथेनॉल मिश्रण की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य आयातित तेल पर निर्भरता कम करना था।
    • वर्ष 2003 में, सरकार ने 5% इथेनॉल मिश्रण के प्रारंभिक लक्ष्य के साथ इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम शुरू किया।
  • 2010 का दशक: लक्ष्य को बढ़ाकर 10% कर दिया गया, लेकिन इथेनॉल उत्पादन और वितरण संबंधी अनियमितताओं जैसी चुनौतियों के कारण प्रगति धीमी रही।
  • 2020 का दशक: वर्ष 2018 में, भारत ने वर्ष 2030 तक 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा, जिसे बाद में वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया।
    • वर्ष 2025 तक, भारत ने निर्धारित समय से पाँच वर्ष पहले ही 20% इथेनॉल मिश्रण हासिल कर लिया।

प्रगति और उपलब्धियाँ

  • मिश्रण स्तर: जुलाई 2025 के महीने में, 19.93% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त कर लिया गया है; वर्ष 2025 तक 20% तक पहुँचने का लक्ष्य है।
  • उत्पादन क्षमता: इथेनॉल उत्पादन क्षमता चार वर्षों में दोगुनी से अधिक बढ़कर 16,230 मिलियन लीटर तक पहुँच गई है।
  • बुनियादी ढाँचा निवेश: इथेनॉल डिस्टिलरी स्थापित करने के लिए वर्ष 2014 से अब तक ₹40,000 करोड़ का निवेश किया गया है।
  • नीतिगत समर्थन: सरकार ने उत्पादन बढ़ाने के लिए इथेनॉल उत्पादकों को आपूर्ति किए जाने वाले चावल के लिए कम कीमत अधिसूचित की है।
    • इथेनॉल उत्पादन के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के 52 लाख मीट्रिक टन (LMT) अधिशेष चावल के आवंटन को सरकार द्वारा स्वीकृति दी गई है।
    • वर्ष 2024-25 के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु 40 लाख मीट्रिक टन चीनी के उपयोग की अनुमति देगा।
  • E27 इथेनॉल मिश्रण: सरकार अगस्त 2025 तक पेट्रोल में 27% इथेनॉल मिश्रण (E27) के लिए दिशा-निर्देश प्रस्तुत करने की योजना बना रही है

इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ और महत्त्व

  • ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि: इथेनॉल मिश्रण आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करता है, जिससे राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होती है।
    • 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने से प्रतिवर्ष लगभग 4 बिलियन डॉलर (₹30,000 करोड़) विदेशी मुद्रा की बचत होने का अनुमान है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: इथेनॉल का गैसोलीन की तुलना में अधिक स्वच्छ तरीके से दहन होता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन कम होता है।
    • E20 ईंधन को अपनाने से CO₂ उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 69.8 मिलियन टन की कमी आने की उम्मीद है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों के लिए समर्थन: इथेनॉल की बढ़ती माँग किसानों, विशेषकर अतिरिक्त फसल उगाने वाले किसानों की आय को बढ़ाती है।
    • सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को ₹1.18 लाख करोड़ से अधिक वितरित किए हैं।
  • सतत् कृषि को बढ़ावा: इथेनॉल उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों और अधिशेष अनाज का उपयोग सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है।
    • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का, टूटे चावल और गन्ने के रस जैसे कच्चे माल के उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
  • ऑटोमोटिव क्षेत्र में तकनीकी प्रगति: उच्च इथेनॉल मिश्रणों पर आधारित ‘फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स’ की शुरूआत ऑटोमोटिव उद्योग में नवाचार को बढ़ावा देती है।
    • वाहन निर्माता वैश्विक मानकों के अनुरूप, E85 तक के इथेनॉल मिश्रणों के अनुकूल वाहन विकसित कर रहे हैं।
  • वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखण: इथेनॉल मिश्रण कार्बन उत्सर्जन को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
    • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में भारत की भागीदारी, स्थायी ऊर्जा प्रथाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

वाहन संगतता और प्रदर्शन

  • सामग्री स्थायित्व संबंधी समस्याएँ: इथेनॉल ईंधन प्रणालियों को संक्षारित कर सकता है और सामग्री स्थायित्व को प्रभावित कर सकता है, हालाँकि इसे कम करने के लिए इंजीनियरिंग समाधान मौजूद हैं।
  • पुराने वाहनों के साथ अनुकूलता: अध्ययनों से पता चलता है कि यूरो 2, अमेरिकी टियर 1 और भारत के BS 2 मानकों (वर्ष 2001 से) के अनुसार निर्मित वाहन E15 तक इथेनॉल का प्रबंधन कर सकते हैं।
  • BS 2 और BS 6 मानदंड: BS-2 के अंतर्गत आने वाले वाहनों में ईंधन नियंत्रण प्रणालियाँ होती हैं जो इथेनॉल को अधिक कुशलता से प्रबंधित कर सकती हैं।
  • नए मानक (E20): वर्ष 2023 के बाद निर्मित वाहन E20 के प्रबंधन हेतु डिजाइन किए गए हैं। हालाँकि, पुराने वाहनों (E5 मॉडल) के संबंध में कोई स्पष्ट नीति नहीं है।

इथेनॉल मिश्रण के मुद्दे और चिंताएँ

  • खाद्य सुरक्षा जोखिम: मक्का और चावल जैसे खाद्यान्नों का इथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग खाद्य उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
    • मक्का की खेती की ओर रुझान के कारण तिलहन के रकबे में 4% की कमी आई है, जिससे खाद्य तेल उत्पादन पर संभावित रूप से असर पड़ सकता है।
  • जल संसाधनों का ह्रास: गन्ना और चावल जैसी अधिक जल खपत वाली फसलों से इथेनॉल उत्पादन के कारण जल संसाधनों पर दबाव पड़ता है।
    • गन्ने की खेती में उत्पादित चीनी के प्रति किलोग्राम के लिए लगभग 2,500 लीटर जल की आवश्यकता होती है, जिससे भूजल स्तर में कमी आती है।
  • खाद्य तेल आत्मनिर्भरता पर प्रभाव: इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के की खेती में वृद्धि से तिलहनों का क्षेत्रफल कम हो सकता है।
    • तिलहन के घटते रकबे के कारण वर्ष 2030-31 तक 72% खाद्य तेल आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का भारत का लक्ष्य खतरे में है।
  • वाहन अनुकूलता को लेकर उपभोक्ताओं की चिंताएँ: पुराने वाहनों में उच्च इथेनॉल मिश्रणों का उपयोग करने पर प्रदर्शन संबंधी समस्याएँ आ सकती हैं।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि E20 ईंधन का उपयोग करने पर E10 के लिए डिजाइन किए गए वाहनों की ईंधन दक्षता में 1-2% की कमी आती है।
    • कई वाहन मालिक अभी भी अपने वाहनों की इथेनॉल मिश्रणों के साथ अनुकूलता के बारे में अनभिज्ञ हैं, जिसके कारण सरकार द्वारा इसे बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद, इथेनॉल-मिश्रित ईंधन के उपयोग के प्रति संदेह और अनिच्छा उत्पन्न होती है।
  • बीमा दावों का अस्वीकार: कुछ बीमा कंपनियाँ असंगत इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के उपयोग के कारण इंजन क्षति के दावों को अस्वीकार कर देती हैं।
    • ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहाँ बीमा कंपनियों ने दावे को अस्वीकार करने का आधार ‘ईंधन के गलत उपयोग’ को बताया है।
  • उपभोक्ता जागरूकता का अभाव: इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के बारे में अपर्याप्त जानकारी के कारण दुरुपयोग और वाहन क्षति हो सकती है।
    • इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के लाभों और अनुकूलता के बारे में उपभोक्ताओं को व्यापक रूप से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ: इथेनॉल उत्पादन और वितरण के लिए सीमित बुनियादी ढाँचा मिश्रण प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है।
    • इथेनॉल मिश्रण पहलों को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचे में निवेश महत्त्वपूर्ण है।

अन्य वैकल्पिक ईंधनों के साथ तुलना

ईंधन प्रकार इथेनॉल इलेक्ट्रिक वाहन (EV) संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG)
उत्पादन स्रोत नवीकरणीय जैव ईंधन, मुख्यतः गन्ना, मक्का और कृषि अवशेषों से। बिजली (जीवाश्म ईंधन का उपयोग करना)। जीवाश्म ईंधन (प्राकृतिक गैस) से व्युत्पन्न।
उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन की तुलना में CO₂ उत्सर्जन कम करता है। शून्य टेलपाइप उत्सर्जन। पेट्रोल की तुलना में अधिक स्वच्छ दहन होता है, लेकिन यह फिर भी जीवाश्म आधारित है।
आधारभूत संरचना मौजूदा ईंधन अवसंरचना के साथ संगत। व्यापक चार्जिंग बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है। CNG अवसंरचना की आवश्यकता है।
प्रौद्योगिकी  ‘फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स’ सहित मौजूदा पेट्रोल वाहनों के साथ संगत। नई प्रौद्योगिकी और वाहन डिजाइन की आवश्यकता है। मौजूदा वाहनों के साथ संगत।
वहनीयता नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं और कृषि को समर्थन देने में मदद करती है। बिजली ग्रिड और संसाधन-गहन बैटरियों पर निर्भर। गैर-नवीकरणीय, प्राकृतिक गैस भंडार पर निर्भर।
लागत आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों या हाइड्रोजन की तुलना में कम। उच्च प्रारंभिक लागत, बैटरी प्रौद्योगिकी पर निर्भर। आम तौर पर पेट्रोल या डीजल से सस्ता।

इथेनॉल उत्पादन और सम्मिश्रण पर प्रमुख सरकारी पहल

  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 (वर्ष 2022 में संशोधित)
    • उद्देश्य: भारत में इथेनॉल सहित जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना।
    • लक्ष्य: वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल और वर्ष 2030 तक 5% बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित करना।
    • स्थायित्व पर ध्यान: खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए इथेनॉल के लिए गैर-खाद्य फीडस्टॉक्स के उपयोग को प्रोत्साहित करना।

  • इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम, 2003
    • उद्देश्य: आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करना और सतत् कृषि को बढ़ावा देना।
    • लक्ष्य: वर्ष 2023-24 तक पेट्रोल में 14.6% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना, वर्ष 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य।
  • प्रधानमंत्री जीवन योजना में संशोधन
    • संशोधित योजना के तहत योजना के कार्यान्वयन की समय-सीमा 5 वर्ष अर्थात वर्ष 2028-29 तक बढ़ा दी गई है।
    • लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करने वाली उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इथेनॉल सम्मिश्रण में वैश्विक सफलता

ब्राजील: इथेनॉल सम्मिश्रण में अग्रणी

  • प्रोआल्कूल कार्यक्रम (Proálcool Program) (1975): ब्राजील ने गन्ने से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देकर तेल आयात को कम करने के लिए 1970 के दशक में ‘प्रोआल्कूल’ कार्यक्रम शुरू किया था।
  • ब्लूमबर्ग की वर्ष 2023 और 2025 की रिपोर्टों के अनुसार, ‘फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल’ ब्राजीलियाई बाजार पर प्रभावी हैं, जो वर्ष 2025 तक कुल वाहन बिक्री का लगभग 84.5 प्रतिशत हिस्सा होगा।

संयुक्त राज्य अमेरिका: इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि

  • अमेरिका ने वर्ष 2005 से अपने नवीकरणीय ईंधन मानक के अंतर्गत E10 (10 प्रतिशत इथेनॉल) को मुख्यधारा में शामिल किया, जिसमें मक्का इथेनॉल का प्राथमिक स्रोत है।
  • E10, जो 10 प्रतिशत इथेनॉल और 90 प्रतिशत गैसोलीन का मिश्रण है, यह देश भर के अधिकांश ईंधन स्टेशनों पर व्यापक रूप से उपलब्ध है।
  • E85 या फ्लेक्स ईंधन उपलब्ध है, जिसमें 51 प्रतिशत से 83 प्रतिशत इथेनॉल होता है, जो क्षेत्र और मौसम के अनुसार अलग-अलग होता है।

यूरोपीय संघ: इथेनॉल मिश्रण के विविध दृष्टिकोण

  • मिश्रण अधिदेश: नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया जैसे देशों ने बाजार की स्थितियों के आधार पर 18% से 27.5% तक इथेनॉल मिश्रण अधिदेश लागू किया है।

आगे की राह

  • फीडस्टॉक्स का विविधीकरण: खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं को कम करने के लिए गैर-खाद्य फीडस्टॉक्स के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, इथेनॉल उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों और गैर-खाद्य फसलों के उपयोग को बढ़ावा देती है।
  • तकनीकी नवाचार: इथेनॉल उत्पादन दक्षता और वाहन अनुकूलता में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश करना।
    • सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जैव ईंधन प्रौद्योगिकियों में नवाचार का समर्थन कर रही है।
  • बुनियादी ढाँचे में वृद्धि: इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिए मजबूत बुनियादी ढाँचा विकसित करना।
    • सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियाँ (OMCs) इथेनॉल मिश्रण का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढाँचे का विस्तार कर रही हैं।
  • नीतिगत सामंजस्य स्थापित करना: इथेनॉल मिश्रण के लिए अनुकूल वातावरण बनाने हेतु नीतियों और विनियमों को संरेखित करना।
    • इथेनॉल मिश्रण के लिए एक स्पष्ट ढाँचा प्रदान करने हेतु जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति में संशोधन किया गया है।
  • जन सहभागिता: उपभोक्ताओं को इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के लाभों और सुरक्षा के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान संचालित करना।
    • सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से इथेनॉल-मिश्रित ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
  • बीमा सुधार: इथेनॉल-मिश्रित ईंधन से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए बीमा कंपनियों के साथ सहयोग करना।
    • यह सुनिश्चित करने के संबंध में चर्चा चल रही है कि बीमा पॉलिसी इथेनॉल-मिश्रित ईंधन से संबंधित नुकसानों को शामिल करें।
  • निगरानी और मूल्यांकन: विभिन्न क्षेत्रों पर इथेनॉल मिश्रण के प्रभाव की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित करना और आवश्यक समायोजन करना।
    • सरकार इथेनॉल मिश्रण के प्रभाव का आकलन करने और निर्णय लेने के लिए अध्ययन कर रही है।

निष्कर्ष

भारत की इथेनॉल मिश्रण पहल ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, उत्सर्जन कम करने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने का एक अवसर प्रस्तुत करती है। हालाँकि, फीडस्टॉक की उपलब्धता, बुनियादी ढाँचे और जनधारणा से जुड़ी चुनौतियों का समाधान इस कार्यक्रम की स्थायी सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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