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इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम

Lokesh Pal August 21, 2024 05:49 71 0

संदर्भ

यह लेख वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने के इसके उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करता है। इस लक्ष्य को वर्ष 2025 तक E20 (पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण) कहा जाता है।

इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य की दिशा में प्रगति

  • वर्तमान स्थिति: इथेनॉल मिश्रण वर्ष 2021 में 8% से बढ़कर अब तक 13-15% हो गया है। 
  • उत्पादन क्षमता: भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,380 करोड़ लीटर तक पहुँच गई है, जो वर्ष 2025-26 के लक्ष्य को लगभग पूरा कर रही है।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम

  • लॉन्च तिथि: EBP कार्यक्रम जनवरी 2003 में शुरू हुआ।
  • उद्देश्य: पारंपरिक पेट्रोल के विकल्प के रूप में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • मिश्रण लक्ष्य: प्रारंभिक लक्ष्य 5% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना था, जिसे उत्तरोत्तर बढ़ाया गया है। वर्तमान लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रण (E20) प्राप्त करना है। 
    • नीति समर्थन: सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतियों और प्रोत्साहनों की शुरुआत की है, जिसमें ‘डिस्टिलरी’ स्थापित करने के लिए ब्याज अनुदान और इथेनॉल पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को कम करना शामिल है। 
    • कच्चा माल: इथेनॉल का उत्पादन कई फीडस्टॉक्स से किया जा सकता है, जिसमें गन्ना रस, गुड़, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न और कृषि अवशेष शामिल हैं।

इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ

  • स्वच्छ ईंधन: इथेनॉल पेट्रोल की तुलना में अधिक स्वच्छ तरीके से जलता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलती है।
  • संधारणीय ईंधन: इथेनॉल गन्ने और मकई जैसी नवीकरणीय सामग्रियों से बनाया जाता है, जो इसे जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक संधारणीय विकल्प बनाता है।
  • किसानों के लिए बढ़ावा: इथेनॉल का उत्पादन गन्ना जैसी फसल उगाने वाले किसानों के लिए अतिरिक्त आय प्रदान करता है, जिससे ग्रामीण समुदायों को सहायता मिलती है।
  • रोजगार के अवसर: नए इथेनॉल उत्पादन संयंत्र और बुनियादी ढाँचा ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करते हैं।
  • उच्च ऑक्टेन: इथेनॉल की ऑक्टेन रेटिंग पेट्रोल की तुलना में अधिक होती है, जो इंजन के प्रदर्शन और दक्षता को बढ़ा सकती है।
  • तेल पर निर्भरता में कमी: ऊर्जा मिश्रण में इथेनॉल को शामिल करने से तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति संबंधी समस्याओं से होने वाले जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।

इथेनॉल सम्मिश्रण की प्रमुख चुनौतियाँ

  • भोजन बनाम ईंधन बहस
    • मक्के का आयात: इथेनॉल उत्पादन में इसके उपयोग के कारण मक्के के आयात में वृद्धि देखी गई है। 
    • खाद्य सुरक्षा: खाद्य सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं क्योंकि मक्का और अन्य अनाज इथेनॉल के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन विशेषज्ञ आश्वासन देते हैं कि पर्याप्त अधिशेष है।
  • उत्पादन क्षमता संबंधी मुद्दे
    • बुनियादी ढाँचा: क्षमता में उल्लेखनीय विस्तार की आवश्यकता है, विशेष रूप से अनाज आधारित भट्टियों के लिए।
    • गन्ने पर प्रभाव: गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है, जिससे स्थिरता प्रभावित होती है।
  • आर्थिक एवं पर्यावरणीय चिंताएँ
    • मक्के की कीमतें: इथेनॉल के लिए मक्के की बढ़ती माँग से कीमतें बढ़ सकती हैं और पोल्ट्री फीड जैसे इसके प्रमुख उपयोग प्रभावित हो सकते हैं।
    • जल का उपयोग: गन्ने की खेती के लिए अधिक जल का उपयोग अन्य फसलों और समग्र कृषि स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।

  • राज्य-स्तरीय विविधताएँ
    • उत्तर प्रदेश: इथेनॉल उत्पादन में प्रमुख योगदानकर्ता, जिसका एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा गन्ने से आता है। 
    • तमिलनाडु: अपने आकर्षक शराब बाजार और जल के उपयोग की चिंताओं के कारण इथेनॉल पर कम ध्यान। 
    • महाराष्ट्र: अधिक लाभप्रदता के कारण औद्योगिक अनुप्रयोगों जैसे अन्य उपयोगों के लिए इथेनॉल का उत्पादन करना पसंद करता है।

इथेनॉल (Ethanol) 

  • इथेनॉल निर्जल एथिल अल्कोहल होता है, जिसका रासायनिक सूत्र C₂H₅OH है।
  • स्रोत: इसे उच्च स्टार्च सामग्री वाले पौधों से बनाया जा सकता है, जैसे कि गन्ना, मक्का और गेहूँ।
  • भारत में उत्पादन: भारत में, इथेनॉल मुख्य रूप से किण्वन के माध्यम से गन्ने के गुड़ से बनाया जाता है।
    • इथेनॉल के उत्पादन के अन्य स्रोत मक्का, चावल और जौ हैं।

इथेनॉल के लाभ

  • पर्यावरणीय प्रभाव
    • कम उत्सर्जन: इथेनॉल इंजन को ईंधन को पूरी तरह से जलाने में मदद करता है, जिससे उत्सर्जन और प्रदूषण कम होता है। 
    • नवीकरणीय संसाधन: चूँकि इथेनॉल पौधों से बनाया जाता है, इसलिए इसे नवीकरणीय ईंधन माना जाता है।
  • इथेनॉल सम्मिश्रण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
    • विभेदक इथेनॉल मूल्य निर्धारण: इस रणनीति का उद्देश्य गन्ने के रस, गुड़ जैसे विभिन्न स्रोतों से इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। 
    • ब्याज अनुदान योजना: यह एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य ऋण पर रियायती ब्याज दर प्रदान करके राहत प्रदान करना है।
      • यह किसानों को शोषणकारी ऋण प्रथाओं से बचाता है और उन्हें कृषि गतिविधियों में निवेश करने में सक्षम बनाता है, जिससे उत्पादकता बढ़ती है। 
    • विनियामक संशोधन: सरकार ने उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन करके भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इथेनॉल की मुक्त आवाजाही की अनुमति दी।

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