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क्षमादान शक्ति में नैतिक दुविधा: बाइडेन द्वारा क्षमादान शक्ति का प्रयोग

Lokesh Pal January 22, 2025 03:25 9 0

संदर्भ

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संबंधियों को माफ करने के लिए अपनी राष्ट्रपति पद की क्षमादान शक्तियों का प्रयोग किया, जिससे अमेरिका में सत्ता के दुरुपयोग और नैतिक शासन पर बहस छिड़ गई।

संबंधित तथ्य

  • इस अधिनियम ने क्षमादान प्रणाली की निष्पक्षता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न की हैं, विशेषकर जब इसका प्रयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जाता है।
  • यह क्षमादान उनके बेटे हंटर बाइडेन से जुड़े कर चोरी के आरोपों से संबंधित इसी तरह के विवादों के साथ मेल खाता है।
  • यह मुद्दा लोकतंत्र में राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा और दुरुपयोग को उजागर करता है।
  • यह अध्यक्षीय लोकतंत्र में संवैधानिक विशेषाधिकारों का जिम्मेदारी से प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • आलोचकों का तर्क है कि क्षमादान का समय और लाभार्थी, पक्षपात तथा  हितों के टकराव का संकेत देते हैं।

क्षमादान द्वारा सत्ता के दुरुपयोग के कारण चुनौतियाँ

  • कानून के शासन को कमजोर करता है: रिश्तेदारों या करीबी सहयोगियों को माफ करना कानूनी प्रणाली की विश्वसनीयता को कम करता है और न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
    • अमेरिका में भी इसी तरह के विवाद हुए हैं, जैसे कि ट्रंप द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान अपने सहयोगियों को माफ करना।
  • सार्वजनिक विश्वास में कमी: इस तरह की कार्रवाइयों से लोकतांत्रिक संस्थाओं और कार्यकारी ईमानदारी में लोगों का विश्वास कम होता है।
  • हितों का टकराव: परिवार के सदस्यों को माफ करना व्यक्तिगत लाभ के लिए सत्ता के स्पष्ट दुरुपयोग को दर्शाता है, जो एक नकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • न्यायिक जवाबदेही का अंतर: न्यायालयों के विपरीत, कार्यकारी क्षमा संबंधी निगरानी में कमी होती है, जिससे बिना किसी उपाय के संभावित दुरुपयोग होता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान का उद्देश्य न्यायिक त्रुटियों का निवारण करना है, लेकिन इसका दुरुपयोग न्याय और समानता के बारे में संदेह उत्पन्न करता है।
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: यह प्रथा पक्षपातपूर्ण विभाजन को बढ़ाती है, क्योंकि विरोधी इसका उपयोग सत्तारूढ़ पार्टी को बदनाम करने के लिए करते हैं।

व्यक्तिगत लाभ के लिए पद के दुरुपयोग के नैतिक पहलू

  • शपथ का उल्लंघन: निर्वाचित अधिकारी सार्वजनिक हित की सेवा करने की प्रतिज्ञा करते हैं, और व्यक्तिगत लाभ के लिए शक्ति का उपयोग करना इस विश्वास का उल्लंघन करता है।
  • जवाबदेही का अंतर: कोई भी स्थापित कानूनी या नैतिक ढाँचा क्षमादान में हितों के ऐसे टकराव को रोक नहीं सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय छवि: क्षमादान शक्तियों का दुरुपयोग लोकतांत्रिक मूल्यों एवं शासन मानकों की वैश्विक धारणा को अप्रभावी करता है।
  • नैतिक जोखिम: इस तरह की कार्रवाइयाँ भविष्य के नेताओं के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं, जिससे नैतिक शासन प्रणाली कमजोर होती है।
  • लोकतांत्रिक आदर्शों के साथ विरोधाभास: लोकतंत्र का आधार जवाबदेही है; क्षमादान शक्तियों का दुरुपयोग इस सिद्धांत के विपरीत है।

प्रयुक्त नैतिक शब्दों की परिभाषाएँ

  • हितों का टकराव: ऐसी स्थिति, जिसमें किसी व्यक्ति के निजी हित निष्पक्ष पेशेवर निर्णय लेने की उसकी क्षमता में बाधा डाल सकते हैं।
  • नैतिक दुविधा: ऐसी स्थिति, जिसमें किसी व्यक्ति को दो परस्पर विरोधी नैतिक सिद्धांतों के बीच चयन करना होता है, जिसमें कोई स्पष्ट सही या गलत समाधान नहीं होता है।
  • शपथ का उल्लंघन: शपथ के तहत किए गए वादों या प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन, अक्सर सार्वजनिक कार्यालय अथवा व्यक्तिगत ईमानदारी में विश्वास को कम करता है।
  • सार्वजनिक विश्वास का क्षरण: अनुमानित कदाचार, भ्रष्टाचार या अक्षमता के कारण संस्थानों अथवा अधिकारियों में नागरिकों के विश्वास में गिरावट।
  • नैतिक जोखिम: ऐसी स्थिति, जिसमें व्यक्ति जोखिम भरे कदम उठाते हैं क्योंकि वे अपने व्यवहार के पूर्ण परिणामों का सामना नहीं कर पाते हैं, अक्सर सुरक्षा या बीमा के कारण।
  • निष्पक्षतावाद (Objectivity): व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों या भावनाओं को हस्तक्षेप करने की अनुमति दिए बिना, तथ्यों, साक्ष्यों और निष्पक्षता के आधार पर निर्णय या फैसले लेने की प्रथा।

अमेरिका बनाम भारत में राष्ट्रपति की शक्तियों की तुलना

  • अमेरिका
    • राष्ट्रपति द्वारा दी गई क्षमा पूर्ण होती है और किसी भी संस्था द्वारा इसे बदला नहीं जा सकता है।
    • केवल संघीय अपराधों को शामिल करता है; राज्य के गवर्नर राज्य-स्तरीय क्षमादान को सँभालते हैं।
    • न्यायिक या विधायी निगरानी का अभाव।
  • भारत
    • भारत के राष्ट्रपति अनुच्छेद-72 के तहत क्षमादान शक्तियों का प्रयोग करते हैं, लेकिन केवल कैबिनेट की सलाह पर।
    • मृत्युदंड, सैन्य अदालत की सजा और संघ कानून के तहत अपराधों से जुड़े मामलों पर लागू होता है।
    • निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक समीक्षा के अधीन।
  • भारत में अमेरिका की तुलना में अधिक संतुलित प्रणाली है, जिससे दुरुपयोग की संभावना सीमित है।

भारत में क्षमादान के प्रकार

  • क्षमा (Pardon): पूर्ण क्षमा, दोषसिद्धि और दंड दोनों को हटाना।
  • लघुकरण (Commutation): दंड की गंभीरता को कम करना (जैसे, मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलना)।
  • परिहार (Remission): किसी सजा की प्रकृति को बदले बिना उसकी अवधि को कम करना।
  • विराम (Respite): गर्भावस्था या दिव्यांगता जैसी विशेष परिस्थितियों के कारण कम सजा देना।
  • प्रविलंबन (Reprieve): किसी सजा का अस्थायी निलंबन, विशेष रूप से मृत्युदंड।

वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • यूनाइटेड किंगडम: क्षमादान क्राउन द्वारा दिया जाता है, लेकिन निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सलाहकार बोर्डों द्वारा गहन समीक्षा की आवश्यकता होती है।
  • कनाडा: क्षमादान की समीक्षा पैरोल बोर्ड द्वारा की जाती है तथा दुरुपयोग से बचने के लिए कठोर जाँच की जाती है।
  • जर्मनी: क्षमादान मामले-दर-मामले आधार पर दिया जाता है, जिसमें पारदर्शिता और सार्वजनिक औचित्य पर जोर दिया जाता है।
  • दक्षिण अफ्रीका: क्षमादान के लिए कानूनी विशेषज्ञों और पीड़ित समूहों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता होती है।
  • ऑस्ट्रेलिया: गवर्नर-जनरल न्यायपालिका की सिफारिश के बाद ही क्षमादान देते हैं।

आगे की राह 

  • न्यायिक निरीक्षण: दुरुपयोग को रोकने के लिए क्षमादान की न्यायिक समीक्षा की अनुमति देने के लिए कानूनी ढाँचे का निर्माण करना।
  • नैतिक समितियाँ: क्षमा अनुरोधों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र सलाहकार निकाय स्थापित करना।
  • पारदर्शिता तंत्र: जवाबदेही बढ़ाने के लिए क्षमा के औचित्य का सार्वजनिक प्रकटीकरण अनिवार्य करना।
  • जागरूकता अभियान: दुरुपयोग को रोकने के लिए नेताओं को उनकी शक्तियों के नैतिक आयामों के बारे में शिक्षित करना।
  • दिशा-निर्देशों को संहिताबद्ध करना: न्याय और समानता सुनिश्चित करते हुए योग्य मामलों तक क्षमा को सीमित करने के लिए स्पष्ट वैधानिक नियम बनाना।

निष्कर्ष

बाइडेन के मामले में राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों का दुरुपयोग, लोकतंत्र में मजबूत उत्तरदायी तंत्र की आवश्यकता को उजागर करता है। हालाँकि संयुक्त राज्य अमेरिका की क्षमादान प्रणाली में पर्याप्त जाँच का अभाव है, भारत जैसे देश कानूनी निगरानी के साथ कार्यकारी शक्ति को संतुलित करने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। पारदर्शिता, नैतिक शासन और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देकर, राष्ट्र यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि क्षमादान शक्तियाँ व्यक्तिगत हितों की पूर्ति के स्थान पर न्यायिक मानकों एवं सिद्धांतों के दायरे में हों।

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