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Lokesh Pal
January 04, 2025 03:16
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय एक ऐसा मामले में, जो वर्ष 2018 से पहले दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, यह निर्धारित करने वाला है कि क्या रिश्वत की पेशकश करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA), 1988 के अंतर्गत दंडनीय है, भले ही सार्वजनिक अधिकारी इस पेशकश को अस्वीकार कर दे।
रिश्वतखोरी विश्वास, योग्यता और नैतिक शासन को कमजोर करती है, असमानता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। सर्वोच्च न्यायालय का लंबित निर्णय कि क्या रिश्वत देने से इनकार करने पर भी रिश्वत देना वर्ष 2018 से पहले के PCA के तहत अपराध माना जाएगा, भ्रष्टाचार कानूनों में अस्पष्टता को स्पष्ट करेगा, भारत में रिश्वतखोरी के विरुद्ध कानूनी ढाँचे एवं प्रवर्तन को मजबूत करेगा।
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