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स्मार्ट सिटी मिशन का मूल्यांकन

Lokesh Pal February 10, 2024 07:19 167 0

संदर्भ

हाल ही में आवास और शहरी मामलों की स्थायी समिति ने लोकसभा मेंस्मार्ट सिटीज मिशन: एक मूल्यांकन शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

संबंधित तथ्य

  • स्मार्ट सिटीज मिशन (SCM) की प्रगति का मूल्यांकन: दिसंबर 2023 तक।
    • कुल परियोजनाएँ और निवेश: ₹1,70,400 करोड़ मूल्य की 7,970 परियोजनाएँ।
    • पूर्ण परियोजनाएँ: ₹1,25,105 करोड़ की 6,419 परियोजनाएँ।
    • वर्क ऑर्डर स्टेज पर परियोजनाएँ : ₹45,295 करोड़ की 1,551 परियोजनाएँ।
  • शहरवार प्रगति रिपोर्ट: दिसंबर 2023 तक:
    • कार्य की स्थिति:
      • मदुरै: 100% परियोजनाएँ पूर्ण हुईं।
      • 56 शहर: 80% से अधिक कार्य पूर्ण।
      • पिछड़े शहर: 14 शहरों में प्रगति 50% या उससे कम थी।
    • पिछड़े शहर: यह शहर मुख्य रूप से पूर्वोत्तर, केंद्रशासित प्रदेशों और पहाड़ी क्षेत्रों से है। उदाहरण के लिए, गंगटोक, अटल नगर, शिलांग, सिलवासा, ईटानगर, पुडुचेरी, सहारनपुर और पोर्ट ब्लेयर का पूर्ण होने का प्रतिशत 16% से 39% के बीच था।
  • SCM का अगला चरण: रिपोर्ट में SCM के अगले चरण को शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है, जिसमें राज्य की राजधानियों के 100 किमी. के दायरे में स्थित टियर-2 शहरों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

स्मार्ट सिटी मिशन के बारे में:

  • शुरूआत : जून 2015 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम उन शहरों को बढ़ावा देता है जो बुनियादी ढाँचे, स्वच्छ और सतत् वातावरण तथा स्मार्ट समाधानों के माध्यम से जीवन की अच्छी गुणवत्ता प्रदान करते हैं।
  • शहर का चयन: जनवरी 2016 से जून 2018 के बीच एक प्रतिस्पर्द्धी प्रक्रिया के माध्यम से 100 शहरों का चयन किया गया था।
  • समय सीमा: शहरों को प्रस्तावित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चयन तिथि से पाँच वर्ष की अवधि दी जाती है।
  • वित्तीय सहायता आवंटन: केंद्र सरकार ने पाँच वर्षों में 100 स्मार्ट शहरों के लिए ₹48,000 करोड़ आवंटित किए है। राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों (ULB) ने केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई राशि के समान योगदान किया है।
    • अपवाद: 13 हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों को केंद्र सरकार से 90% वित्त पोषण प्राप्त हुआ, शेष 10% राज्य और ULB से प्राप्त हुआ है
    • अभिसरण निधि (Convergence Fund):  अभिसरण के माध्यम से जुटाए गए अतिरिक्त संसाधन, ULB के स्वयं के फंड, वित्त आयोग के तहत अनुदान, नगरपालिका बांड जैसे नवीन वित्तीय तंत्र तथा अन्य सरकारी कार्यक्रमों और उधार।

स्मार्ट सिटी मिशन की उपलब्धियाँ:

  • डिजिटल परिवर्तन: कुशल प्रशासन और सेवा वितरण के लिए स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का कार्यान्वयन। उदाहरण के लिए, सभी 100 स्मार्ट शहरों में शहरों की निगरानी और प्रबंधन के लिए स्मार्ट विशेषताओं से युक्त एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (Integrated Command and Control Centres-ICCC) शुरू कर दिए गए हैं।
  • सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goal-SDG) के साथ संरेखण: 70% से अधिक परियोजनाएँ शहरों, स्वच्छ जल, स्वच्छ ऊर्जा और आर्थिक विकास से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के SDG के साथ संरेखित हैं। SCM परियोजनाओं ने 17 SDG में से 15 को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • SDG-11: लगभग 44% परियोजनाएँ शहरों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाने में योगदान देती हैं।
    • अन्य: 13.3% परियोजनाएँ SDG 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता),6% SDG 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) और 6.4% SDG 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) में योगदान करती हैं।
  • आधारभूत संरचना का विकास: सड़क, जल आपूर्ति, सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली जैसे मुख्य बुनियादी ढाँचे का विकास।
    • मेट्रो लाइनों, बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Bus Rapid Tansit System-BRTS) , और पैदल यात्री-अनुकूल मार्गों का निर्माण करके शहरी गतिशीलता में सुधार।

स्मार्ट सिटी मिशन की सफलता की कहानियाँ:

  • अहमदाबाद में परियोजना: सेंसरआधारित निगरानी नेटवर्क ने रिसाव का पता लगाकर प्रतिदिन 50 मिलियन लीटर अतिरिक्त जल की आपूर्ति की।
  • इंदौर में परियोजना: गुरुत्वाकर्षणआधारित नेटवर्क का उपयोग करके 205 मिलियन लीटर अनुपचारित मलजल को कान्ह नदी, सरस्वती नदी और 25 नालियों के नेटवर्क में प्रवेश करने से रोका गया।
  • विशाखापत्तनम में परियोजना: मुदासरलोवा जलाशय फ्लोटिंग सोलर प्लांट से 3,613 मेगावाट बिजली का वार्षिक उत्पादन हुआ और $0.28 मिलियन की बचत हुई। इस परियोजना ने 3,000 टन से अधिक CO₂ के उत्सर्जन को रोका है।

स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • मिशन समय सीमा विस्तार: मूल रूप से मिशन को जून 2023 तक पूरा किया जाना था लेकिन लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इसे जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
  • वित्त पोषण संबंधी चुनौतियाँ : लक्षद्वीप, दमन और दीव, पुदुचेरी और पोर्ट ब्लेयर को केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन का 50% से कम प्राप्त हुआ है। राज्य/ULB योगदान के मामले में, केवल 28 शहरों को राज्यों/ULB से अपने हिस्से का 100% प्राप्त हुआ है , जबकि 14 शहरों में राज्यों/ULB द्वारा 60% से कम धनराशि जारी की गई है।
  • निधि संग्रहण तंत्र की विफलता:
    • सार्वजनिकनिजी भागीदारी (Public-Private Partnerships-PPP): अनुशंसित 21% के बजाय केवल 6% SCM परियोजनाओं को PPP के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है। लगभग 50 शहर PPP के माध्यम से कोई वित्तपोषण नहीं जुटा सके है।
    • ऋण: भोपाल, हुबली-धारवाड़, कोच्चि, विशाखापत्तनम, चंडीगढ़ और श्रीनगर जैसे छह शहरों को छोड़कर प्रस्तावित ऋण के माध्यम से 5% वित्त पोषण हासिल करने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। प्रस्तावित ₹9,844 करोड़ में से शहरों ने ऋण के माध्यम से ₹5,298 करोड़ (54%) का प्रबंधन किया है।
  • निष्पादन चुनौतियाँ: रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान आकर्षित किया गया है कि समन्वय और सुचारू एवं सामंजस्यपूर्ण निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र का अभाव था।
    • उदाहरण के लिए, समिति ने कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (Chief Executive Officers-CEOs) का बार-बार स्थानांतरण और मंत्रालय द्वारा निश्चित कार्यकाल वाले समर्पित CEO के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों का अभाव परियोजनाओं में देरी का एक कारण है।
  • सलाहकार मंच की बैठकों का अप्रभावी होना: समिति ने कहा कि राज्य स्तरीय सलाहकार मंच की बैठकें, जिनमें सांसद, विधायक, महापौर, जिला कलेक्टर और स्मार्ट शहरों के CEO शामिल हैं, नियमित रूप से आयोजित नहीं की जाती हैं।
    • योजना के पहले पाँच वर्षों में औसतन 1-8 बैठकें हुई हैं। इसके अलावा अमरावती और इंफाल में कोई बैठक नहीं हुई थी।
  • मास्टर प्लान का अभाव: शहरी उपयोग के लिए भूमि और बुनियादी ढाँचे की आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए मास्टर प्लान आवश्यक हैं। नीति आयोग कीभारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधारशीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार, 7,933 मान्यता प्राप्त शहरी संस्थाओं में से 65% में मास्टर प्लान अनुपस्थित हैं।

आगे की राह :

  • चरण 2 की आवश्यकता: रिपोर्ट, राज्य की राजधानियों के 100 किमी के दायरे में टियर -2 शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए SCM के अगले चरण को शुरू करने की आवश्यकता पर जोर देती है।
    • शहरी विकास पहलों में विशेष प्रयोजन वाहनों (Special Purpose Vehicles-SPVs) द्वारा प्राप्त अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए।
  • एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (ICCC) की भूमिका का विस्तार: समिति ने सिफारिश की है कि शहरों में ICCC की भूमिका का विस्तार किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें स्वास्थ्य, आंतरिक सुरक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन, यातायात प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, गवर्नेंस आदि क्षेत्रों में विभिन्न सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके।
  • दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित करना: रिपोर्ट में मंत्रालय से PPP के माध्यम से धन जुटाने में विफलता, अंतरशहर परियोजना कार्यान्वयन असमानताओं और शासन संरचना की कमियों जैसे मुद्दों को संबोधित करने का आग्रह किया गया है।
    • समिति ने सरकार से यह विश्लेषण करने को कहा कि यह अभियान धन जुटाने में विफल क्यों रहा और उपचारात्मक उपाय शुरू करने के लिए कहा क्योंकि अकेले सरकारी धन से शहरों में बुनियादी ढाँचे में वृद्धि की लागत को पूरा नहीं किया जा सकता है।
  • छोटे शहरों के लिए अलग योजना: समिति ने पाया कि केंद्रीय वित्त पोषण को 50% से बढ़ाकर 90% करने के बावजूद कोई विशेष परिणाम प्राप्त नहीं हुआ है , इसलिए पूर्वोत्तर जैसे छोटे शहरों को इस योजना का लाभ सुनिश्चित करने के लिए एक अलग योजना बनाने का सुझाव दिया है।
  • आईटी रणनीति और गोपनीय सुरक्षा उपायों की आवश्यकता: ICCC के विभिन्न अनुप्रयोग जैसे सीसीटीवी निगरानी प्रणालियाँ, पूर्व चेतावनी और आपदा प्रतिक्रिया प्रणालियाँ और अन्य कार्य डिजिटल स्रोतों से बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न और उपयोग करेंगे।
    • समिति अनुशंसा करती है कि साइबर हमलों से डिजिटल प्लेटफॉर्मों को सुरक्षित रखने और संवेदनशील सार्वजनिक व निजी डेटा को पर्याप्त रूप से सुरक्षित करने के लिए एक मजबूत प्रणाली लागू की जाए।
    • इसने आजीवन उपयोगिता, बुनियादी ढाँचे/परिसंपत्तियों के मूल्य और उनके समय पर उन्नयन को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक ढाँचे और संचालन तथा रखरखाव रणनीतियों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है।
  • शासन संरचना सुदृढ़ीकरण : समिति ने स्पष्ट जवाबदेही के लिए न्यूनतम निश्चित कार्यकाल वाले समर्पित CEO की नियुक्ति की सिफारिश की है। पारदर्शिता और निर्णय लेने के लिए शहर प्रशासन, स्थानीय स्वशासन, शहरी विकास विशेषज्ञों और हितधारकों को शामिल करने से शासन संरचना और मजबूत होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सतत विकास पर SCM का जोर वैश्विक दक्षिण के लिए सीख प्रदान करता है। भारत अन्य देशों, जैसे भूटान में गेलेफू स्मार्ट सिटी परियोजना का समर्थन और मार्गदर्शन करने के लिए तैयार है।

सतत शहरी विकास के लिए सरकारी कार्यक्रम:

  • सतत आवास के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustainable Habitat-NMSH)
  • कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation-AMRUT)
  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U)
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
  • प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

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