चीन ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों की 70वीं वर्षगाँठ के अवसर पर एक यादगार कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस समारोह का विषय है:- ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों से लेकर मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय का निर्माण करना’ (From the Five Principles of Peaceful Coexistence to Building a Community with a Shared Future for Mankind)।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारतीय स्वतंत्रता: भारत ने एक लंबे राष्ट्रवादी संघर्ष के बाद वर्ष 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की।
‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ की स्थापना: वर्ष 1949 में, चीनी कम्युनिस्टों ने गृह युद्ध जीता, जिसके परिणामस्वरूप माओत्से तुंग ने ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ की स्थापना की।
नेहरू का कूटनीतिक दृष्टिकोण: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का लक्ष्य चीन के साथ मजबूत, विश्वास आधारित संबंध विकसित करना था।
शुरू में, चीन ने नेहरू के आपसी सम्मान और सहयोग के दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों/पंचशील के बारे में पृष्ठभूमि
उत्पत्ति: यह एक विदेश नीति है, जिसे पहली बार वर्ष 1954 के चीन-भारत समझौते (Sino-Indian Agreement of 1954) में प्रस्तावित किया गया था।
अन्य नाम: इसे चीन में ‘पाँच सिद्धांत’ (Five Principles) के रूप में जाना जाता है और भारत में इसे ‘पंचशील’ (Panchsheel) कहा जाता है।
पंचशील की उत्पत्ति: ‘पंचशील’ शब्द की उत्पत्ति बौद्ध धर्म की ‘पंचशील अवधारणा’ से हुई है। पंचशील बौद्ध धर्म में पाँच नैतिक व्रतों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है:
हत्या न करना (Abstinence from Murder)
चोरी न करना (Abstinence from Theft)
यौन दुराचार न करना (Abstinence from Sexual Misconduct)
झूठ न बोलना (Abstinence from Lying)
नशीले पदार्थों का सेवन न करना (Abstinence from Intoxicants)
वर्ष 1954 की द्विपक्षीय वार्ता का उद्घाटन
तिब्बत पर वार्ता: तिब्बत को लेकर, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्ता वर्ष 1954 में शुरू हुई।
पंचशील का प्रस्ताव: चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई (Zhou Enlai) ने इन वार्ताओं के दौरान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री नेहरू ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
पंचशील: पाँच सिद्धांत
परिचय: पंचशील समझौते, जिसे औपचारिक रूप से तिब्बत क्षेत्र के साथ व्यापार और संबंध पर समझौते के रूप में जाना जाता है, पर 29 अप्रैल, 1954 को चीन में भारतीय राजदूत एन. राघवन और चीन के विदेश मंत्री झांग हान-फू ने हस्ताक्षर किए थे।
पाँच मार्गदर्शक सिद्धांत: पंचशील संधि की प्रस्तावना में पाँच मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं:
एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान।
परस्पर अनाक्रमण।
परस्पर हस्तक्षेप न करना।
समानता और परस्पर लाभ।
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
समझौते का उद्देश्य
दोनों देशों के बीच व्यापार और सहयोग बढ़ाना।
प्रत्येक देश द्वारा दूसरे देश के प्रमुख शहरों में अपने व्यापार केंद्र स्थापित करना।
व्यापार के लिए एक रूपरेखा तैयार करना।
समझौते में महत्त्वपूर्ण धार्मिक तीर्थयात्राओं, तीर्थयात्रियों के लिए प्रावधानों तथा उनके लिए उपलब्ध स्वीकार्य मार्गों एवं दर्रों की भी सूची दी गई।
समझौते का महत्त्व: भारत ने पहली बार तिब्बत को चीन के तिब्बत क्षेत्र के रूप में मान्यता दी।
पंचशील से गुटनिरपेक्षता तक
वर्ष 1955 के बांडुंग सम्मेलन (Bandung Conference) में पंचशील के सिद्धांतों को शामिल करने से गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी गई, जो शीतयुद्ध के प्रमुख वैश्विक शक्ति ब्लॉकों से स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध देशों के सामूहिक रुख के रूप में उभरा।
पंचशील और बांडुंग सम्मेलन
चीन-भारत समझौते के एक वर्ष बाद, इंडोनेशिया के बांडुंग में आयोजित प्रथम अफ्रीकी-एशियाई सम्मेलन में पाँच सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया।
बांडुंग सम्मेलन अप्रैल 1955 में हुआ, जिसमें 29 एशियाई और अफ्रीकी देशों ने भाग लिया।
भाग लेने वाले देशों ने 10 सूत्री घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें पंचशील के पाँच सिद्धांतों को शामिल किया गया।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का अग्रदूत
बांडुंग सम्मेलन गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के अग्रदूत के रूप में कार्य करता है।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन उन राष्ट्रों द्वारा किया गया था, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के नेतृत्व वाले दो वैश्विक शक्ति गुटों में से किसी के साथ गठबंधन न करने का निर्णय लिया था।
NAM की स्थापना 19 जुलाई, 1956 को ब्रियोनी (बृजुनि) घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
घोषणा-पत्र पर भारत के प्रधानमंत्री नेहरू, मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर (Gamal Abdel Nasser) और यूगोस्लाविया के प्रधानमंत्री जोसिप ब्रोज टीटो (Josip Broz Tito) ने हस्ताक्षर किए।
ब्रियोनी द्वीप (Brioni Islands) उत्तरी एड्रियाटिक सागर (North Adriatic Sea) में हैं और अब क्रोएशिया (Croatia) का हिस्सा है।
बेलग्रेड में गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन
बेलग्रेड में आयोजित प्रथम गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में पंचशील को गुटनिरपेक्ष आंदोलन के ‘सिद्धांत मूल’ (Principled Core) के रूप में स्वीकार किया गया।
चीन की वर्तमान विदेश नीति
वर्ष 1962 का भारत-चीन युद्ध: पंचशील की परिकल्पना भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। हालाँकि, वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध ने इस समझौते को काफी हद तक कमजोर कर दिया।
आलोचकों का तर्क है कि नेहरू उदार प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और उन्होंने चीन के उद्देश्य को गलत समझा तथा बीजिंग के साथ मतभेदों को ठीक से नहीं सँभाला।
चीन की आर्थिक वृद्धि: पिछले तीन दशकों में चीन ने उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि का अनुभव किया है।
चीन की आक्रामक विदेश नीति: राष्ट्रपति शी के नेतृत्व में चीन ने तेजी से आक्रामक विदेश नीति अपनाई है।
चीन ने दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय दावे किए हैं।
इसने अपने पूर्व और दक्षिण-पूर्व में स्थित छोटे पड़ोसी देशों के साथ शत्रुतापूर्ण परिस्थितियाँ पैदा की हैं।
चीन का संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध
शत्रुतापूर्ण संबंध: चीन के संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध शत्रुतापूर्ण रहे हैं और चीन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अमेरिकी प्रभुत्व के लिए व्यापारिक और कूटनीतिक चुनौती प्रस्तुत की है।
भारत और चीन
LAC पर गतिरोध: वर्ष 2020 की गर्मियों से ही भारतीय और चीनी सेनाओं के मध्य लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध जारी है।
विफल वार्ता: कई स्तरों पर बार-बार की गई बैठकों से गतिरोध को हल करने में कोई ठोस सफलता नहीं मिली है।
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