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डायनासोर का विकास

Lokesh Pal January 28, 2025 03:42 30 0

संदर्भ 

डायनासोरों ने लाखों वर्षों तक पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ सामंजस्य स्थापित किया, जिनमें अर्जेंटीनोसॉरस (Argentinosaurus) जैसे पौधे खाने वाले विशालकाय जीव से लेकर टायरानोसॉरस (Tyrannosaurus) जैसे खतरनाक शिकारी एवं लंबे पंजे वाले थेरिजिनोसॉरस (Therizinosaurus) जैसे विचित्र जीव शामिल थे।

भारत में डायनासोर का इतिहास

  • भारत, भू-गर्भिक ‘इंडियन प्लेट’ पर अवस्थित है, जो एक प्रमुख टेक्टॉनिक प्लेट है, जो गोंडवानालैंड (पैंजिया का दक्षिणी भाग) से पृथक हुई थी।
  • भारत में पहला डायनासोर जीवाश्म वर्ष 1828 में मध्य प्रदेश के जबलपुर के पास पाया गया था।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी के कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमन द्वारा होलोटाइप कशेरुक (Holotype Vertebrae), को बारा शिमला हिल पर खोजा गया था।
    • वर्ष 1877 में, जीवाश्म का नाम टाइटेनोसॉरस इंडिकस (Titanosaurus Indicus) रखा गया, जो उत्तर क्रेटेशियस काल (145-65 mya) का एक शाकाहारी डायनासोर था।
    • भारत में लामेटा फॉर्मेशन (Lameta Formation) (मध्य भारत की नर्मदा घाटी का एक क्षेत्र) में अधिक डायनासोर के अवशेष पाए गए।
      • स क्षेत्र में डायनासोर के आवास, अंडे और कंकाल पाए गए हैं।
  • भारत में महत्त्वपूर्ण जीवाश्म खोजें
    • बारापासॉरस (Barapasaurus)
      • प्रकार: सॉरोपोड (Sauropod)
    • आइसिसॉरस (Isisaurus)
      • प्रकार: सॉरोपोड (Sauropod)
    • इंडोसचस (Indosuchus)
      • प्रकार: बड़ा थेरोपोड (Theropod)
    • राजासॉरस (Rajasaurus)
      • प्रकार: बड़ा थेरोपोड (Theropod)

डायनासोर के बारे में

  • डायनासोर, डायनासोरिया (Dinosauria) वंशावली से संबंधित सरीसृपों का एक विविध समूह है।
  • वे पहली बार ट्राइसिक काल (Triassic Period), लगभग 243-233 मिलियन वर्ष पूर्व (mya) के दौरान अस्तित्व में थे।
  • वे लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले विलुप्त हो गए।

डायनासोर की उत्पत्ति

  • प्रस्तावित उत्पत्ति
    • डायनासोर संभवतः सबसे पहले उन क्षेत्रों में दिखाई दिए, जो अब सहारा रेगिस्तान एवं अमेजन वर्षावन हैं।
    • उस समय, पृथ्वी के सभी महाद्वीप विशाल सुपरकॉन्टिनेंट पैंजिया (Supercontinent Pangaea) का हिस्सा थे।
    • ट्राइसिक काल (Triassic Period) के दौरान, ये क्षेत्र गोंडवाना नामक विशाल भू-भाग के दक्षिणी भाग का हिस्सा थे।
      • पृथ्वी पर सबसे पहले डायनासोर के जीवाश्म वर्ष 1819 में ब्रिटिश जीवाश्म खोजकर्ता विलियम बकलैंड द्वारा खोजे गए थे।
  • सबसे पुराने जीवाश्म पाए गए
    • उदाहरणों में शामिल हैं:
      • इओराप्टर और हेरेरासॉरस (Eoraptor and Herrerasaurus) (अर्जेंटीना)।
      • सैटर्नलिया (Saturnalia) (ब्राजील)।
      • एमबिरेसॉरस (Mbiresaurus) (जिम्बाब्वे)।
    • ये जीवाश्म लगभग 230 मिलियन वर्ष प्राचीन हैं, जिससे पता चलता है कि डायनासोर उस समय तक विकसित हो चुके थे।

डायनासोर का विकास कैसे हुआ?

  • सामूहिक विलुप्ति की घटना: लगभग 252 मिलियन वर्ष पूर्व पर्मियन काल (Permian Period) के अंत में ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण हुई सामूहिक विलुप्ति की घटना के बाद आदिम सरीसृपों से डायनासोर का विकास हुआ।
  • प्रारंभिक समय
    • डायनासोर छोटे आकार के थे और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कम महत्त्वपूर्ण थे।
    • इससे पहले, मगरमच्छ जैसे बड़े जानवर और स्तनपायी जीव ही प्रमुख थे।
      • लगभग 201 मिलियन वर्ष पूर्व, एक सामूहिक विलुप्ति ने उनके कई प्रतिस्पर्द्धियों को नष्ट कर दिया।
        • डायनासोर ने स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूलन किया और प्रमुख स्थलीय प्राणी बन गए।
  • अनन्य विशेषताएँ
    • डायनासोर सीधे खड़े होते थे, उनके शरीर के नीचे पैर होते थे ताकि वे कुशलतापूर्वक चल सकें।
    • उनकी एक विशेष श्रोणी थी, शरीर गति और चपलता के अनुरूप विकसित था और उनके दाँत उनके आहार के अनुकूल थे।
    • प्रारंभिक डायनासोर के उदाहरण
      • हेरेरासॉरस (Herrerasaurus): 6 मीटर लंबा शिकारी।
      • ईराप्टर (Eoraptor): एक छोटा, कुत्ते के आकार का सर्वाहारी।
  • ये विशेष गुण रातों-रात विकसित नहीं हुए। ये पुराने, अत्यधिक आदिम सरीसृपों से लाखों वर्षों में धीरे-धीरे विकसित हुए हैं।

डायनासोर की उत्पत्ति का पता लगाने में चुनौतियाँ

  • प्रतिकूल ट्राइसिक काल (Triassic Period) वातावरण (Triassic Environment)
    • चरम जलवायु स्थिति: लगभग 245-230 मिलियन वर्ष पूर्व, भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में अत्यधिक गर्म एवं शुष्क परिस्थितियाँ थीं।
      • इन क्षेत्रों की विशेषता विशाल रेगिस्तान, सवाना और प्रायः घटित होने वाली वनाग्नि थी, जिससे जीवन के लिए चुनौतीपूर्ण वातावरण उत्पन्न हो गया था।
    • अस्तित्व संबंधी मान्यताएँ: पहले यह माना जाता था कि ऐसी कठोर परिस्थितियाँ डायनासोर को जीवित रहने और पनपने से रोकती हैं।
      • हालाँकि, साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती डायनासोर एवं उनके संबंधी इन चरम वातावरणों के अनुकूल होने में सक्षम थे।
  • दुर्लभ जीवाश्म
    • खराब संरक्षण की स्थिति: ट्राइसिक काल के दौरान स्थितियाँ जीवाश्म संरक्षण के लिए आदर्श नहीं थीं। उच्च तापमान, शुष्कता और कटाव ने कार्बनिक पदार्थों के दबे होने और जीवाश्म बनने की संभावनाओं को कम कर दिया।
    • कठिन अन्वेषण: घने जंगल और विशाल रेगिस्तान, जैसे कि अमेजन और सहारा में, जीवाश्म अन्वेषण को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
      • ये क्षेत्र प्रायः सुदूर होते हैं तथा उन तक पहुँचना कठिन होता है, जिससे जीवाश्म विज्ञान संबंधी अनुसंधान में बाधा उत्पन्न होती है।
    • खंडित साक्ष्य: इस अवधि के जीवाश्म दुर्लभ और अक्सर खंडित हैं, जिससे प्रारंभिक डायनासोर के विकास के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य को एक साथ जोड़ना मुश्किल हो जाता है।

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