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एक्सपोसोमिक्स (Exposomics)

Lokesh Pal June 07, 2025 02:56 14 0

संदर्भ

जब भारत पर्यावरणीय रोगों के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है, तब स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने और उन्हें कम करने के लिए पारंपरिक ढाँचे से आगे बढ़कर एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण रोग भार (Environment Disease Burden) के बारे में

  • पर्यावरण रोग भार (EDB) वायु एवं जल प्रदूषण, अस्वच्छता तथा विषाक्त जोखिम जैसे हानिकारक पर्यावरणीय कारकों के कारण होने वाली बीमारियों का कुल प्रभाव है।
    • इसे दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALYs) का उपयोग करके मापा जाता है, ताकि बीमारी और समय से पहले मृत्यु दोनों को दर्शाया जा सके।

दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALY)= खोए हुए जीवन के वर्ष (Years of Life Lost (YLL) +दिव्यांगता के साथ व्यतीत वर्ष (Years Lived with Disability-YLD)

एक्सपोसोमिक्स के बारे में

  • एक्सपोसोमिक्स पर्यावरणीय जोखिमों (रासायनिक, भौतिक, सामाजिक, मनो-सामाजिक वातावरण एवं जैविक) की समग्रता का अध्ययन है, जिसका सामना एक व्यक्ति जीवन भर करता है और यह कि ये जोखिम आहार और जीवन शैली और आंतरिक व्यक्तिगत विशेषताओं जैसे कि आनुवंशिकी, शरीर विज्ञान और एपिजेनेटिक्स के साथ मिलकर स्वास्थ्य या बीमारी कैसे उत्पन्न करते हैं।
  • मानव जीनोम परियोजना के प्रभाव के समान, यह रोग में पर्यावरणीय योगदान पर ध्यान केंद्रित करके जीनोमिक्स का पूरक है।
  • इससे जीनोम-वाइड एसोसिएशन (Genome-Wide Associations- GWAS) के पूरक के रूप में एक्सपोजर वाइड एसोसिएशन (Exposure Wide Associations- EWAS) का एटलस तैयार करने एवं स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभावों के खोज आधारित विश्लेषण को सक्षम करने में मदद मिलेगी।
  • पर्यावरणीय रोग भार (EDB) दर्शाता है कि पर्यावरण के कारण कितनी बीमारी होती है, जबकि एक्सपोसोमिक्स बताता है कि विभिन्न पर्यावरणीय जोखिम स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए जीव विज्ञान के साथ कैसे अंतर्संबंधित होता है।

एक्सपोसोमिक्स की आवश्यकता के कारण

  • भारत का भार: वैश्विक पर्यावरणीय रोग भार का लगभग 25% हिस्सा भारत में है।
    • विश्व स्तर पर, व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य (Occupational and Environmental Health – OEH) जोखिमों के कारण प्रति वर्ष लगभग 30 लाख (3 मिलियन) मौतें और 10 करोड़ (100 मिलियन) से अधिक बीमारियाँ या स्वास्थ्य समस्याएँ दर्ज की जाती हैं। 
    • भारत में OEH जोखिम कारक गैर-संचारी रोगों जैसे कि इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज, फेफड़े के कैंसर आदि के लिए जिम्मेदार होने का अनुमान 50% से अधिक है।
    • वैश्विक स्तर पर पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में अनुमानित रूप से कुल खोए गए IQ अंकों में से लगभग 154 मिलियन अंक, जो कुल हानि का 20% हैं, अकेले भारत से संबंधित हैं।
  • GBD की सीमाएँ: वैश्विक रोग बोझ (GBD) रूपरेखा केवल 11 जोखिम श्रेणियों पर विचार करती है।
    • माइक्रोप्लास्टिक, जटिल रासायनिक मिश्रण, पर्यावरणीय ध्वनि प्रदूषण एवं ठोस अपशिष्ट जैसे कई जोखिम बाहर रखे गए हैं। 
  • स्वास्थ्य असमानताएँ: स्वच्छ वातावरण, स्वास्थ्य प्रणालियों एवं पोषण तक पहुँच की कमी के कारण संवेदनशील आबादी असमान रूप से प्रभावित होती है। 
    • अवसाद, चिंता एवं अन्य मानसिक स्वास्थ्य परिणाम, जो पारिस्थितिकी संबंधी चिंताओं तथा जलवायु-संवेदनशील पर्यावरणीय जोखिम कारकों जैसे सूक्ष्म कण, जो पदार्थ के प्रत्यक्ष स्वास्थ्य प्रभावों से प्रेरित हैं, पर भी विचार करना महत्त्वपूर्ण है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य एकीकरण: एक्सपोसोमिक्स को शामिल करने से राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में पर्यावरणीय जोखिम कारकों को प्राथमिकता देने में मदद मिल सकती है, जिससे रोग निवारण रणनीतियों में सुधार हो सकता है।
  • प्रभावी विनियमन: एक्सपोसोमिक्स द्वारा डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदूषण, रसायनों एवं व्यावसायिक जोखिमों पर मजबूत विनियमन की जानकारी दे सकती है।
  • रोग निगरानी: यह जोखिम से संबंधित बीमारियों का शीघ्र पता लगाने में सक्षम बनाता है, कैंसर, श्वसन संबंधी विकार एवं चयापचय संबंधी बीमारियों जैसी स्थितियों के लिए निगरानी प्रणाली को बढ़ाता है।
  • सटीक स्वास्थ्य सेवा: एक्सपोसोमिक्स व्यक्तिगत जोखिमों को स्वास्थ्य परिणामों से जोड़कर सटीक चिकित्सा का समर्थन करता है, जिससे लक्षित हस्तक्षेप होता है।

एक्सपोसोमिक्स के तकनीकी घटक

  • पहनने योग्य सेंसर: वास्तविक समय, सेंसर-आधारित व्यक्तिगत जोखिम निगरानी।
  • गैर-लक्षित रासायनिक विश्लेषण: अज्ञात पर्यावरणीय रसायनों का पता लगाने के लिए मानव जैव-निगरानी नमूनों पर लागू किया गया।
  • माइक्रो-फिजियोलॉजिकल सिस्टम: ‘ऑर्गन-ऑन-ए-चिप’ के रूप में भी जाना जाता है, ये जोखिमों की पहचान के लिए जैविक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने हेतु मानव अंग कार्यों की प्रतिकृति तैयार करते हैं।
  • बिग डेटा एवं AI: कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि उत्पन्न करने के लिए जटिल जोखिम-स्वास्थ्य डेटा को एकीकृत तथा विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है।

एक्सपोसोमिक्स के विकास में चुनौतियाँ 

  • सीमित क्षमताएँ एवं संसाधन: विश्लेषणात्मक, पर्यावरणीय एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में अंतराल के कारण भारत में एक्सपोसोमिक्स डेटा उत्पन्न करने की क्षमता व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है। 
  • कार्यान्वयन बाधाएँ: पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यक्रमों को कई परिचालन एवं संस्थागत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
  • खंडित डेटा पारिस्थितिकी तंत्र: सामंजस्यपूर्ण, निरंतर एवं अंतर-संचालन योग्य डेटा रिपॉजिटरी की कमी महत्त्वपूर्ण जोखिम तथा स्वास्थ्य डेटा के एकीकरण तथा साझाकरण को रोकती है। 
  • धारणा संबंधी बाधाएँ: अंतःविषयक प्रौद्योगिकियों के समन्वय की जटिलता, हितधारकों को वैज्ञानिक रूप से जुड़ने से हतोत्साहित कर सकती है।

आगे की राह 

  • डेटा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण: एक ऐसा डेटा इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है, जिसमें सुसंगत डेटा को निरंतर और अंतर-संचालन योग्य डेटा रिपॉजिटरी के माध्यम से पाया तथा साझा किया जा सके।
  • क्षमता एवं बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: क्षमता निर्माण में निवेश करना तथा विश्लेषणात्मक, पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को संरेखित करना, ताकि एकीकृत, डेटा-संचालित एक्सपोजोमिक्स अनुसंधान और अनुप्रयोग को सक्षम किया जा सके।

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