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अत्यधिक गर्मी से श्रमिकों की सुरक्षा को खतरा

Lokesh Pal August 25, 2025 03:03 7 0

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक गर्मी एक बड़ा व्यावसायिक खतरा है, जो संपूर्ण विश्व में अरबों श्रमिकों को खतरे में डाल रही है, साथ ही उत्पादकता को कम कर आजीविका को भी खतरे में डाल रही है।

वेट-बल्ब ग्लोब टेंपरेचर (Wet-Bulb Globe Temperature-WBGT) और हीट इंडेक्स के मध्य अंतर

  • वेट-बल्ब ग्लोब टेंपरेचर (WBGT) प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश में ‘हीट स्ट्रेस’ की एक माप है, जो तापमान, आर्द्रता, वायु की गति, सूर्य के कोण और बादलों के आवरण (सौर विकिरण) को ध्यान में रखता है। यह हीट इंडेक्स से भिन्न है, जो तापमान और आर्द्रता पर आधारित होता है और छायादार क्षेत्रों के लिए गणना करता है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • उत्पादकता और वेट-बल्ब ग्लोब टेंपरेचर (Wet-Bulb Globe Temperature- WBGT) प्रभाव: वेट-बल्ब ग्लोब टेंपरेचर (WBGT) में 20 °C से अधिक प्रत्येक 1 °C की वृद्धि वैश्विक श्रमिक उत्पादकता को 2-3% तक समाप्त कर देती है, जबकि शारीरिक तनाव और अस्वस्थता का जोखिम बढ़ जाता है।
    • छाया में काम करने की तुलना में सूर्य के संपर्क में कार्य करने से ‘वेट-बल्ब ग्लोब टेंपरेचर’ (WBGT) 2-3 °C बढ़ जाता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
  • परिभाषा और शारीरिक प्रभाव: कार्यस्थल पर होने वाले ‘हीट स्ट्रेस’ का अर्थ है- चयापचयी ऊष्मा, पर्यावरणीय कारकों और कपड़ों से शरीर पर पड़ने वाला उष्मीय प्रभाव।
    • हीट स्ट्रेस, थकावट, बेहोशी, किडनी डिसफंक्शन, निर्जलीकरण, तंत्रिका संबंधी विकार, हाइपरथर्मिया और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
    • शरीर का मुख्य तापमान 38°C (विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 1969 के दिशा-निर्देश) से अधिक नहीं होना चाहिए।

  • जोखिम और बोझ: 2.4 बिलियन श्रमिक (वैश्विक कार्यबल का लगभग 71%) अत्यधिक गर्मी से प्रभावित हैं।
    • कार्यस्थल पर गर्मी से संबंधित जोखिमों के कारण प्रतिवर्ष लगभग 22.85 मिलियन व्यावसायिक चोटें, 18,970 मौतें और 2.09 मिलियन ‘विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष’ का नुकसान होता है।
    • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO, 2020) डेटा: कार्यस्थल पर गर्मी के तनाव के कारण क्रोनिक किडनी रोग के 26.2 मिलियन मामले।
  • उच्च जोखिम वाले क्षेत्र
    • बाह्य: निर्माण, कृषि और मत्स्यपालन को जमीन/मशीनों से सीधे सौर विकिरण और ऊष्मीय विकिरण के कारण सबसे अधिक खतरा होता है।

    • आंतरिक: कारखानों, ईंट भट्टों, टेक्सटाइल उद्योग और धातु कार्यशालाओं में वेंटिलेशन की कमी होती है, जिससे कार्यस्थल “तप्त स्थलों” में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे लंबे समय तक थकान होती है और अंगों पर निरंतर दबाव पड़ता है।
  • जलवायु संदर्भ
    • वर्ष 2024: रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष, वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से +1.45°C अधिक।
    • 2015–2024 दशक: रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक के रूप में दर्ज, गर्मी की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं।
    • उच्च तापमान: दिन के समय 40-50°C का तापमान सामान्य होता जा रहा है, जिससे जोखिम भूमध्यरेखीय क्षेत्रों से आगे भी बढ़ रहा है।
    • हीट स्ट्रेस का प्रभाव: ‘हीट स्ट्रेस’ अब मौसमी या दैनिक रूप से वैश्विक जनसंख्या के 30% को प्रभावित करता है।
  • क्षेत्रीय संवेदनशीलता (Regional Vulnerability)
    • कई सघन आबादी वाले क्षेत्र विश्व के सबसे गर्म हिस्सों से आच्छादित हैं।
    • नगरीय ऊष्मण द्वीप (Urban Heat Island- UHI) प्रभाव और ‘हीटवेब्स’ शहरी श्रमिकों के लिए जोखिम बढ़ाती हैं।
    • भारत का मामला: कारखानों, ईंट भट्टों, टेक्सटाइल उद्योग और धातु कार्यशालाओं  में अनौपचारिक श्रमिकों को वेतन में कमी, निर्जलीकरण, किडनी डिसफंक्शन और मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
  • सामाजिक-आर्थिक आयाम (Socioeconomic Dimensions): 
    • ‘हीट स्ट्रेस’ से कार्य के घंटे कम हो जाते हैं, जिससे वेतन में कमी आती है और उत्पादकता और भी कम हो जाती है।
    • यह कम आय वाले और न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा वाले अनौपचारिक श्रमिकों को असमान रूप से नुकसान पहुँचाता है।
    • यह विशेषतः विकासशील देशों में गरीबी, असमानता और स्वास्थ्य संबंधी बोझ को बढ़ाता है।

WHO–WMO की सिफारिशें

  • व्यावसायिक ऊष्मा कार्य योजनाएँ (Occupational Heat Action Plans): उद्योगों/क्षेत्रों के अनुरूप, श्रमिकों, नियोक्ताओं, यूनियनों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर विकसित।
  • कार्यस्थल अनुकूलन (Workplace Adaptations): छायादार निर्माण, कार्य-आराम चक्र, जलयोजन निगरानी, ​​वेंटिलेशन, पुनः डिजाइन की गई यूनीफॉर्म, शीतलन स्थान।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय (Health Safeguards): स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं को तापजन्य बीमारियों का पता लगाने और उनका उपचार करने के लिए प्रशिक्षण।
    • यूरिन कलर चार्ट और शरीर के वजन की जाँच के माध्यम से निर्जलीकरण की निगरानी।
  • कानूनी एवं नीतिगत उपाय
    • अधिकतम स्वीकार्य कार्य तापमान निर्धारित करना (संदर्भ-विशिष्ट)।
    • समानता, लचीलेपन और स्थायी आजीविका के लिए सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
  • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार
    • मापनीय, लागत-प्रभावी शीतलन और निगरानी प्रणालियाँ।
    • कार्य-सूची के मार्गदर्शन के लिए स्थानीय मौसम संबंधी सलाह का एकीकरण

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हीटवेब के बारे में

  • हीटवेब: ‘हीटवेब’ अत्यधिक उच्च तापमान की लंबी अवधि होती है, जिसका मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। भारत एक उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण ‘हीटवेब’ की स्थिति के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है।
  • हीटवेब की घोषणा: IMD के अनुसार, हीटवेब की परिभाषा क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है।
  • ‘हीटवेब’ घोषणाओं के लिए निम्नलिखित मानदंड प्रदान किए गए हैं:
    • ‘हीटवेब’ की घोषणा तब की जाती है, जब किसी क्षेत्र का अधिकतम तापमान
      • मैदानी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम 40°C या उससे अधिक,
      • तटीय क्षेत्रों के लिए 37°C या उससे अधिक और
      • पहाड़ी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम 30°C या उससे अधिक हो।
    • ‘हीटवेब’ की गंभीरता उसके सामान्य तापमान के विचलन से निर्धारित होती है।
      • सामान्य ‘हीटवेब: जब सामान्य विचलन 4.5-6.4 डिग्री सेल्सियस हो और
      • गंभीर ‘हीटवेब: जब सामान्य विचलन 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो।
    • वास्तविक अधिकतम तापमान पर आधारित (केवल मैदानी क्षेत्रों के लिए):
      • ‘हीटवेब’: जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45°C हो
      • गंभीर ‘हीटवेब’: जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47°C हो।
    • IMD “सामान्य तापमान से विचलन” और “वास्तविक अधिकतम तापमान” के मानदंडों पर तभी विचार करता है, जब किसी मौसम विज्ञान उप-विभाग में कम-से-कम दो स्टेशन ऐसे उच्च अधिकतम तापमान की रिपोर्ट करते हैं या जब एक स्टेशन ने कम-से-कम दो लगातार दिनों के लिए सामान्य से संगत विचलन दर्ज किया हो।

हीटवेब के संबंध में सरकारी पहल

  • भारत का जलवायु संकट और सुभेद्यता एटलस (Climate Hazards and  Vulnerability Atlas of India): यह एटलस प्रमुख मौसम संबंधी घटनाओं के संबंध में प्रत्येक भारतीय जिले के लिए शून्य, निम्न, मध्यम, उच्च और अत्यंत उच्च श्रेणियों के जोखिमों के साथ सुभेद्यता की एक शृंखला प्रदान करता है।
  • भारत की शीतलन कार्य योजना: यह विभिन्न क्षेत्रों की शीतलन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
  • आदर्श ताप कार्य योजना: इसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा अति-स्थानीय चेतावनी प्रणालियाँ, शहरों का सुभेद्यता मानचित्रण और जलवायु-प्रतिरोधी आवास नीतियाँ प्रदान करने के लिए जारी किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के बारे में

  • यह एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जो विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।
  • स्थापना: विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 (विश्व स्वास्थ्य दिवस) को हुई थी।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त राष्ट्र संघ के स्वास्थ्य संगठन के साथ विलय के बाद वर्ष 1951 में कार्य करना शुरू किया।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य 
    • मानक निर्धारण: सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मानक निर्धारित करता है।
    • तकनीकी सहायता: देशों को तकनीकी सहायता और समर्थन प्रदान करता है।
    • रोग के प्रकोप को रोकने और उसका सामना करने में मदद: स्वास्थ्य आपात स्थितियों का पता लगाने, उन्हें रोकने और उनका सामना करने में मदद करता है।
    • भागीदारों के साथ सहयोग करना: सरकारों, नागरिक समाज संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ कार्य करता है।
    • स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाना: देशों के साथ मिलकर उनकी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करता है।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की वित्त पोषण संरचना
    • मूल्यांकित योगदान: सदस्य देशों से अनिवार्य योगदान, जिसकी गणना किसी देश की संपत्ति और जनसंख्या के आधार पर की जाती है।
      • यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के कुल बजट के 20% से कम को शामिल करता है।
    • स्वैच्छिक योगदान: सदस्य देशों, निजी संगठनों, परोपकारी संस्थाओं और अन्य दाताओं से प्राप्त योगदान।
      • यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के कुल बजट का लगभग 80% है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) के बारे में

  • संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, जो वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान और भू-भौतिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी है।
  • स्थापना: वर्ष 1950 में स्थापित, अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (वर्ष 1873 में स्थापित) का उत्तराधिकारी।
    • वर्ष 1951 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी बन गई।
    • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।
  • सदस्यता: विश्व मौसम विज्ञान संगठन के 193 सदस्य देश और क्षेत्र हैं, जो वैश्विक मौसम संबंधी पहलों पर सामूहिक रूप से कार्य करते हैं।
    • भारत वर्ष 1950 से विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य है।
  • प्रमुख प्रकाशन: वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट, ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन और वैश्विक वार्षिक से दशकीय जलवायु अद्यतन जारी करता है।
    • IPCC और वैश्विक जलवायु ढाँचों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करता है।
  • महत्व: विश्व मौसम विज्ञान संगठन मौसम, जलवायु और जल संबंधी सूचनाओं का विश्वसनीय आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है, जिससे वैश्विक सतत् विकास और सुरक्षा में सहायता प्राप्त होती है।

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