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FATF सूचीकरण

Lokesh Pal May 05, 2025 02:57 7 0

संदर्भ

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत, पाकिस्तान को FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में वापस लाने का प्रयास  कर रहा है।

पहलगाम हमले के बाद भारत की वर्तमान FATF रणनीति

  • पाकिस्तान को पुनः सूची में शामिल करने की पहल: भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण और अवैध धन प्रवाह के साक्ष्य प्रस्तुत करके पाकिस्तान को FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में पुनः सूचीबद्ध करने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है।
  • सदस्य देशों से समर्थन: भारत को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी और खाड़ी देशों सहित 23 FATF सदस्य देशों से आतंकी हमले के विरुद्ध संवेदनाएँ प्राप्त हुई हैं, जो संभावित समर्थन का संकेत देते हैं।
  • IMF में प्रयास: भारत आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन के दुरुपयोग का हवाला देते हुए पाकिस्तान के वर्तमान 7 बिलियन डॉलर के IMF सहायता पैकेज पर आपत्ति जताने की भी योजना बना रहा है।

PW OnlyIAS विशेष

FATF मानकों का समर्थन करने वाला भारत का कानूनी ढाँचा 

  • गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA): यह आतंकवादी वित्तपोषण से निपटता है और संपत्ति को फ्रीज करने के लिए तंत्र प्रदान करता है।
  • विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976: दुरुपयोग को रोकने के लिए विदेशी दान और योगदान को विनियमित करता है।
  • धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): धनशोधन को रोकने और उसका पता लगाने के लिए कानूनी ढाँचे को मजबूत करता है।
  • वित्तीय आसूचना इकाई – भारत (FIU-IND): वित्त मंत्रालय के तहत एक खुफिया निकाय, जो आतंकवाद से जुड़े वित्तीय लेन-देन को प्राप्त करने, संसाधित करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार है।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में

  • स्थापना और उद्देश्य: FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1989 में पेरिस में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मनी लॉण्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक नीतियों को विकसित करने के लिए की गई थी।
  • सचिवालय और सदस्यता: इसका सचिवालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है। वर्तमान में इसके 39 सदस्य हैं, जिनमें दो क्षेत्रीय संगठन- यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद भी शामिल हैं।
  • भारत की सदस्यता: भारत वर्ष 2006 में पर्यवेक्षक बना एवं 25 जून, 2010 को उसे पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई।
    • यह क्षेत्रीय भागीदारों, एशिया प्रशांत समूह (APG) और यूरेशियन समूह (EAG) का भी सदस्य है।
  • शासन और निर्णय लेना: FATF प्लेनरी, मुख्य निर्णय लेने वाली संस्था, वर्ष में तीन बार (फरवरी, जून और अक्टूबर) बैठक करती है और निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। कोई भी तीन सदस्य “वीटो” का प्रयोग कर सकते हैं।
  • FATF का कार्य तंत्र: FATF के पास मनी लॉण्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण, पारदर्शिता, निवारक उपाय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे क्षेत्रों को शामिल करने वाले 40 मानक हैं।
  • देश एंटी-मनी लॉण्ड्रिंग और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण ढाँचों में उनके अनुपालन और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए समय-समय पर सहकर्मी-समीक्षा मूल्यांकन से गुजरते हैं।

FATF ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट

  • ग्रे लिस्ट परिभाषा: निगरानी में रखे गए वे देश, जो मनी लॉण्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को पर्याप्त रूप से रोकने में विफल रहते हैं, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में रखा जाता है।
    • वर्तमान में ग्रे लिस्ट में सूचीबद्ध देशों में नेपाल, माली, सीरिया, यमन आदि शामिल हैं।
  • ब्लैकलिस्ट परिभाषा: गंभीर रणनीतिक कमियों वाले उच्च जोखिम वाले देशों को FATF की ब्लैकलिस्ट में रखा जाता है और उन पर कार्रवाई की जाती है
    • डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ईरान और म्याँमार वर्तमान में ब्लैक लिस्ट में सूचीबद्ध हैं।

FATF लिस्टिंग के निहितार्थ

  • आर्थिक प्रतिबंध: ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को IMF, विश्व बैंक और ADB जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थानों से आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
  • वित्तीय पहुँच में कमी: इन देशों के लिए विदेशी ऋण और पूँजी बाजारों तक पहुँच पाना कठिन हो जाता है।
  • कम FDI और व्यापार: लिस्टिंग के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी आती है, पोर्टफोलियो प्रवाह सीमित होता है और कुल मिलाकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार में व्यवधान होता है।
  • बढ़ी हुई वित्तीय जाँच: देशों को बढ़ी हुई सावधानी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों को आर्थिक रूप से जुड़ने से हतोत्साहित किया जाता है।

पाकिस्तान का FATF ग्रे लिस्टिंग इतिहास

  • ग्रे लिस्ट अवधि: पाकिस्तान जून 2018 से अक्टूबर 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण पर प्रभाव: ग्रे लिस्ट की स्थिति ने पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने और भारत, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में अवैध वित्तीय प्रवाह को कम करने के लिए मजबूर किया।
  • डीलिस्टिंग पर भारत का दृष्टिकोण: भारत ने कहा था कि डीलिस्टिंग पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने पर निर्भर होनी चाहिए।

FATF कार्यान्वयन की चुनौतियाँ

  • स्वैच्छिक प्रकृति: FATF स्वैच्छिक कार्यान्वयन पर निर्भर करता है, क्योंकि इसके पास कोई प्रवर्तन प्राधिकरण नहीं है।
  • पारदर्शिता के मुद्दे: निर्णय लेने की प्रक्रिया गोपनीय होती है और कार्यवाही सार्वजनिक नहीं की जाती है।
  • राजनीतिक प्रभाव: राजनीतिक एजेंडा निर्णयों को प्रभावित कर सकता है, जैसा कि चीन जैसे देशों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कदमों का विरोध करने से देखा जा सकता है।
  • विकसित हो रही आपराधिक रणनीति: FATF को वित्तीय अपराध में नवाचारों के साथ बने रहना चाहिए, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग, AI, और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए वन्यजीव तस्करी।

आगे की राह 

  • मानकों की आवधिक समीक्षा: FATF को उभरते वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए अपने मानकों को लगातार अद्यतित करना चाहिए।
  • विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण: वैश्विक अनुपालन में सुधार के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: FATF को क्रिप्टोकरेंसी, AI और साइबर आतंकवाद से होने वाले खतरों से निपटने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल करना चाहिए।
  • वैश्विक समन्वय को मजबूत करना: व्यापक आतंकवाद वित्तपोषण प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र और इंटरपोल जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ बढ़ी हुई भागीदारी की आवश्यकता है।
  • मूल्यांकन में पारदर्शिता: स्पष्ट, सार्वजनिक कार्यप्रणाली और आकलन FATF की कार्रवाइयों की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता में सुधार कर सकते हैं।

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