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बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 100% तक बढ़ाया गया

Lokesh Pal February 04, 2025 01:05 7 0

संदर्भ

केंद्रीय वित्त मंत्री ने हाल ही में घोषणा की कि बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% कर दिया जाएगा।

बीमा क्षेत्र में FDI वृद्धि

  • उद्देश्य: वर्ष 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ का लक्ष्य प्राप्त करना।
    • भारत में बीमा क्षेत्र को बढ़ावा देना (वर्तमान में 2023-24 में 3.7% है, जबकि वैश्विक औसत 7% है)।
    • विदेशी निवेश आकर्षित करना, प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि करना और बीमा तक पहुँच में सुधार करना।
  • अपेक्षित लाभ
    • विदेशी निवेश: भारतीय बीमा क्षेत्र में पर्याप्त पूँजी प्रवाह।
    • वैश्विक दिग्गज: वैश्विक बीमा कंपनियों का प्रवेश (दुनिया की शीर्ष 25 बीमा कंपनियों में से 20 भारत में मौजूद नहीं हैं)।
    • स्वायत्तता: विदेशी बीमा कंपनियों को भारत में परिचालन की पूर्ण स्वायत्तता होगी।
    • नवाचार: उन्नत प्रौद्योगिकी, परिष्कृत जोखिम प्रबंधन प्रथाओं और नवीन उत्पादों की शुरुआत।
    • नौकरी सृजन: क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर।
    • उपभोक्ताओं को लाभ: उपभोक्ताओं के लिए संभावित रूप से कम प्रीमियम और बेहतर उत्पाद/सेवाएँ।
  • विनियामक परिवर्तन
    • बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 तथा बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन की आवश्यकता है।
    • मसौदा विधेयक जल्द ही संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।

भारत में बीमा क्षेत्र का वर्तमान परिदृश्य

  • मार्च 2024 तक, भारत में 73 पंजीकृत बीमाकर्ता तथा पुनर्बीमाकर्ता (26 जीवन बीमाकर्ता, 25 सामान्य बीमाकर्ता और 7 स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमाकर्ता) हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान सेवा क्षेत्र में $5.7 बिलियन इक्विटी प्रवाह (FDI) में बीमा क्षेत्र का हिस्सा 62% से अधिक था।

भारत का बीमा बाजार

  • प्रीमियम में वृद्धि: वित्त वर्ष 2024 में कुल बीमा प्रीमियम 7.7% बढ़कर ₹11.2 लाख करोड़ पर पहुँच गया।
    • जीवन बीमा प्रीमियम आय: वित्त वर्ष 2024 में ₹8.3 लाख करोड़ (वार्षिक आधार पर 6.1% की वृद्धि)।
    • गैर-जीवन बीमा सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम: वित्त वर्ष 2024 में ₹2.9 लाख करोड़ (वार्षिक आधार पर 7.7% की वृद्धि), स्वास्थ्य और मोटर सेगमेंट द्वारा संचालित।
  • बीमा प्रवेश तथा घनत्व
    • प्रवेश: वित्त वर्ष 2023 में 4% से थोड़ा कम होकर वित्त वर्ष 2024 में 3.7% हो (वैश्विक औसत: 7%) गया।
      • जीवन बीमा तक पहुँच: वित्त वर्ष 2024 में 2.8% (वित्त वर्ष 2023 में 3% से कम)।
      • गैर-जीवन बीमा तक पहुँच: 1% पर स्थिर।
    • घनत्व: वित्त वर्ष 2023 में 92 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 95 अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • गैर-जीवन बीमा घनत्व: वित्त वर्ष 2024 में 25 अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 23 में 22 अमेरिकी डॉलर से ऊपर)।
      • जीवन बीमा घनत्व: 70 अमेरिकी डॉलर पर स्थिर।
      • भारत में बीमा घनत्व वैश्विक मानकों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
  • दावे एवं लाभ
    • जीवन बीमा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 में ₹5.8 लाख करोड़ का लाभ दिया, जिसमें मृत्यु दावों के लिए ₹42,284 करोड़ शामिल हैं।
    • गैर-जीवन बीमा कंपनियों के शुद्ध व्यय दावे: वित्त वर्ष 2024 में ₹1.72 लाख करोड़।

वैश्विक बीमा बाजार की प्रवृत्ति

  • विकास तथा परिवर्तन: स्थिर आर्थिक विस्तार, मजबूत श्रम बाजार तथा बढ़ती वास्तविक आय के कारण वैश्विक बीमा बाजार बढ़ रहा है।
    • वर्ष 2023 में उच्च मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियों के बावजूद, इस क्षेत्र में 2.8% की वृद्धि हुई।
  • परिवर्तन के कारक: परिवर्तित व्यापक आर्थिक वातावरण, जलवायु में उतार-चढ़ाव, तकनीकी प्रगति और ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताएँ।
    • वैश्विक बीमाकर्ता नवीन तकनीकों को अपना रहे हैं, बाजार की पहुँच का विस्तार कर रहे हैं और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

विकास के अवसर

  • अप्रयुक्त बाजार: भारत में बीमा तक पहुँच (3.7%) वैश्विक औसत (7%) से कम है, जो महत्त्वपूर्ण विकास क्षमता को दर्शाता है।
    • टियर-2 और 3 शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, जहाँ जागरूकता और पहुँच सीमित है।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना, जैसे:
    • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY): जीवन बीमा।
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): फसल बीमा।
    • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY): स्वास्थ्य बीमा।
    • नवीन वितरण मॉडल अल्प बीमित ग्राहकों को शामिल करने में मदद कर सकते हैं।

अनुमान एवं रुझान

  • विकास अनुमान: भारत के बीमा क्षेत्र में वार्षिक रूप से 11.1% (वर्ष 2024-2028) की वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे यह G20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला बाजार बन जाएगा।
    • मध्यम वर्ग का विस्तार, तकनीकी प्रगति और सहायक विनियामक उपाय विकास को गति देंगे।
  • जीवन बीमा रुझान: सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न बचत उत्पादों की ओर परिवर्तन।
    • 40% परिवार अब बीमाकृत हैं, जिसका मुख्य कारण LIC का व्यापक नेटवर्क है।
  • गैर-जीवन बीमा प्रवृत्ति: अगले दो दशकों में इसके प्रीमियम-से-जीडीपी अनुपात के दोगुना होने की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक औसत से नीचे रहेगा।

चुनौतियाँ तथा जोखिम

  • उभरते जोखिम: जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और बढ़ती जीवन प्रत्याशा।
    • दीर्घायु और पेंशन अंतराल में वृद्धि से संबंधित जोखिम।
  • गैर-वित्तीय जोखिम:, विलंबित दावा निपटान, AI, साइबर सुरक्षा और तृतीय पक्ष का अंतर्संबंध।
    • जोखिम उठाने की क्षमता की स्पष्ट तथा मात्रात्मक समझ की आवश्यकता।
  • नवाचार और दक्षता: बीमाकर्ताओं को तेजी से नवाचार के माध्यम से उभरते जोखिमों से निपटने के लिए मजबूत क्षमताएँ विकसित करनी चाहिए।
    • दक्षता तथा उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए सरलीकरण, मानकीकरण और डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करना।

भारत में बीमा क्षेत्र के लिए आगे की राह

  • ग्रामीण तथा टियर 2/3 शहरों में बीमा की पहुँच बढ़ाना: ग्रामीण तथा अर्द्ध-शहरी आबादी को बीमा के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए लक्षित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
    • निम्न आय वर्ग की आवश्यकताओं के अनुरूप सरल, वहनीय और समझने में आसान बीमा उत्पाद विकसित करना।
  • व्यापक कवरेज के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना: कवरेज का विस्तार करने और निर्बाध दावा निपटान सुनिश्चित करने के लिए PMJJBY, PMFBY तथा PMJAY जैसी सरकारी योजनाओं के साथ सहयोग करना।
    • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए निजी बीमा कंपनियों तथा सरकारी एजेंसियों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
  • दक्षता तथा नवाचार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाना: जोखिम मूल्यांकन, धोखाधड़ी का पता लगाने और व्यक्तिगत उत्पाद की प्रस्तुति के लिए AI का उपयोग करना।
    • पारदर्शी एवं सुरक्षित दावा निपटान के लिए ब्लॉकचेन को लागू करना।
  • उभरते जोखिमों और चुनौतियों का समाधान करना: जलवायु संबंधी जोखिमों के लिए पैरामीट्रिक बीमा (जैसे- किसानों के लिए फसल बीमा) जैसे अभिनव उत्पाद विकसित करना।
    • संवेदनशील ग्राहक डेटा की सुरक्षा और धोखाधड़ी को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना।
  • विनियामक ढाँचे और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करना: नवाचार तथा प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने के लिए विनियामक प्रक्रियाओं को सरल और मानकीकृत करना।
    • उपभोक्ता शिकायतों के समय पर समाधान के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करना, विशेष रूप से गलत बिक्री और विलंबित दावों से संबंधित।

निष्कर्ष

FDI में 100% की वृद्धि और बीमा क्षेत्र में लक्षित सुधार भारत में पहुँच, नवाचार और वित्तीय समावेशन को अत्यधिक बढ़ावा दे सकते हैं। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, ग्रामीण पहुँच का विस्तार करके और उभरते जोखिमों को संबोधित करके, भारत वर्ष 2047 तक “सभी के लिए बीमा” के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

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