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जीनोमइंडिया परियोजना के निष्कर्ष

Lokesh Pal April 10, 2025 03:26 37 0

संदर्भ

हाल ही में जीनोमइंडिया परियोजना के प्रारंभिक निष्कर्ष नेचर जेनेटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए, जिसमें भारत की विविध आबादी की आनुवंशिक संरचना के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई।

इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (Indian Biological Data Centre-IBDC)

  • IBDC भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है जो सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान से उत्पन्न जीवन विज्ञान डेटा को संग्रहित करने के लिए समर्पित है।
  • इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा समर्थित, क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (Regional Centre for Biotechnology-RCB), फरीदाबाद में स्थापित किया गया है, और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया गया है।

IBDC के उद्देश्य

  • डेटा संग्रह: IBDC संपूर्ण भारत में उत्पन्न जैविक डेटा को सुरक्षित एवं स्थायी रूप से संग्रहीत करने के लिए एक मजबूत IT प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
  • डेटा प्रबंधन एवं मानक: यह FAIR [खोजने योग्य (Findable), सुलभ (Accessible), अंतर-संचालन योग्य (Interoperable) और पुन: प्रयोज्य (Reusable)] सिद्धांतों का पालन करते हुए डेटा भंडारण और साझा करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • डेटा गुणवत्ता एवं पहुँच: यह केंद्र जैविक डेटा के गुणवत्ता नियंत्रण, संरक्षण, टिप्पणी, भण्डारण और संपूर्ण जीवन चक्र प्रबंधन को सुनिश्चित करता है, साथ ही कुशल डेटा साझाकरण एवं पुनर्प्राप्ति के लिए वेब-आधारित उपकरण एवं API बनाता है।
  • क्षमता निर्माण: IBDC बिग डेटा विश्लेषण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है और डेटा साझाकरण के लाभों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है।

संबंधित तथ्य

जीनोम अनुक्रम डेटा इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (IBDC) में जमा किया जाता है।

जीनोमइंडिया परियोजना

  • जीनोमइंडिया जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की एक पहल है, जिसे 3 जनवरी, 2020 को शुरू किया गया था।
  • सहयोगी प्रयास: इस परियोजना में 20 संस्थानों के बीच सहयोग शामिल है, जिसमें IISc बैंगलोर, CSIR-CCMB हैदराबाद, IGIB दिल्ली, NIBMG कोलकाता और GBRC गांधीनगर जैसे प्रमुख केंद्रों में जीनोम अनुक्रमण किया गया है।
  • इस परियोजना के तहत संपूर्ण भारत में लगभग 20,000 व्यक्तियों से रक्त के नमूने एकत्र किए गए।
  • 10,074 व्यक्तियों के DNA पर संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण किया गया, जिसमें 32 आदिवासी और 53 गैर-आदिवासी समूहों सहित 85 आबादी समूह शामिल हैं।

जेनेटिक वेरिएंट (Genetic Variants)

  • परिभाषा: जेनेटिक वेरिएंट व्यक्तियों के बीच डीएनए अनुक्रम में अंतर या परिवर्तन होते हैं।
    • इन परिवर्तनों में एकल DNA बिल्डिंग ब्लॉक [न्यूक्लियोटाइड (Nucleotide)] या गुणसूत्र के बड़े खंड शामिल हो सकते हैं।
  • प्रकार एवं प्रभाव: भिन्नताएँ सामान्य या दुर्लभ हो सकती हैं और वे उपस्थिति, बीमारी के जोखिम या दवा की प्रतिक्रिया जैसे लक्षणों को प्रभावित कर सकती हैं।
    • कुछ का कोई खास प्रभाव नहीं होता है, जबकि अन्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं या उनसे बचाव कर सकते हैं।
  • महत्त्व: जेनेटिक वेरिएंट का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को मानव विविधता, रोग तंत्र को समझने और व्यक्तिगत उपचार एवं नैदानिक ​​उपकरण विकसित करने में मदद मिलती है।

जीनोमइंडिया परियोजना के निष्कर्ष

  • आनुवंशिक डेटा: दो आबादी समूह को बाहर करने के बाद, 9,772 व्यक्तियों के जीनोम अनुक्रम डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें 4,696 पुरुष और 5,076 महिलाएँ शामिल थीं।
  • विविध जनसंख्या कवरेज: तिब्बती-बर्मन, इंडो-यूरोपियन, द्रविड़ियन और ऑस्ट्रो-एशियाई जनजातियों जैसे विभिन्न नृजातीय समूहों के जीनोम, साथ ही उनके गैर-आदिवासी समकक्षों के जीनोम को अनुक्रमित किया गया।
  • डेटा रिपाॅजिटरी: एकत्रित जीनोम अनुक्रम डेटा को हरियाणा के फरीदाबाद में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रीय केंद्र में स्थित इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (IBDC) में संग्रहीत किया गया है।
  • जेनेटिक वेरिएंट (Genetic Variants): अनुक्रमण से 180 मिलियन जेनेटिक वेरिएंट का पता चला। इनमें से 130 मिलियन 22 युग्मों वाले ऑटोसोम्स (नॉन-सेक्स क्रोमोसोम) पर स्थित होते हैं, और 50 मिलियन X और Y सेक्स क्रोमोसोम पर पाए जाते हैं। 
  • पहचाने गए वेरिएंट के प्रकार: वेरिएंट में बीमारियों से जुड़े वेरिएंट, दुर्लभ वेरिएंट, भारत के लिए अद्वितीय वेरिएंट और कुछ समुदायों या छोटी आबादी के लिए विशिष्ट वेरिएंट शामिल हैं।

निष्कर्षों का महत्त्व

  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा: शोधकर्ताओं का लक्ष्य रोग संवेदनशीलता, चिकित्सीय प्रतिक्रियाओं और उपचारों के प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं से संबंधित कार्यात्मक रूप से महत्त्वपूर्ण वेरिएंट की पहचान करना है।
  • नैदानिक एवं व्यक्तिगत चिकित्सा: डेटा कम लागत वाली नैदानिक ​​किट के विकास की सुविधा प्रदान कर सकता है और रोग जोखिमों एवं दवा प्रतिक्रियाओं का पूर्वानुमान लगा कर भारत में व्यक्तिगत चिकित्सा पहल को आगे बढ़ा सकता है।
  • अनुकूलन अध्ययन: कुछ जेनेटिक वेरिएंट अधिक ऊँचाई और कम ऑक्सीजन के स्तर जैसे पर्यावरणीय कारकों के लिए मानव अनुकूलन में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।

भावी अनुसंधान दिशाएँ

  • भविष्य के जीनोटाइपिंग अध्ययनों में सहायता करने और भारतीय जनसंख्या में रोग-आनुवांशिकी संबंधों की समझ को गहरा करने के लिए महत्त्वपूर्ण वेरिएंट का एक पैनल बनाने के प्रयास संचालित हो रहे हैं।

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