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खगोलविदों द्वारा खोजा गया पहला ‘ब्लैक होल ट्रिपल सिस्टम’

Lokesh Pal November 05, 2024 04:14 53 0

संदर्भ 

हाल ही में शोधकर्ताओं ने खगोलीय प्रेक्षणों के विश्लेषण के माध्यम से एक अनोखे ब्लैक होल, V404 सिग्नी (V404 Cygni) की खोज की है।

V404 सिग्नी के बारे में

  • ब्लैक होल का स्थान: V404 सिग्नी नामक यह ब्लैक होल पृथ्वी से 7,800 प्रकाश वर्ष दूर सिग्नस नक्षत्र (Constellation Cygnus) में स्थित है।
  • द्रव्यमान और संरचना: ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य से लगभग नौ गुना है।
  • ट्रिपल सिस्टम: पहली बार, खगोलविदों ने एक ब्लैक होल की पहचान की है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण दो साधारण तारों से बँधा हुआ दिखाई पड़ता है, जो एक अद्वितीय ट्रिपल सिस्टम का निर्माण करता है।
  • नजदीकी तारा: यह ब्लैक होल अपने एक निकटस्थ साथी तारे से पदार्थ खींच रहा है, जिसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 0.7 गुना है।
    • यह तारा प्रत्येक 6.5 दिन में ब्लैक होल की परिक्रमा करता है, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग सातवाँ भाग है।
  • दूरस्थ साथी तारा: एक अन्य तारा, जो सूर्य से लगभग 1.2 गुना अधिक द्रव्यमान वाला है, इस जोड़ी की बहुत अधिक दूरी से परिक्रमा करता है तथा प्रत्येक 70,000 वर्ष में एक परिक्रमा पूरी करता है।

द्रव्यमान के आधार पर ब्लैक होल के प्रकार

  • तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल (Stellar-Mass Black Holes): क्षय होते हुए विशाल तारों से बने ये ब्लैक होल, जिनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कुछ भाग से लेकर सैकड़ों गुना तक होता है। कई बाइनरी सिस्टम में होते हैं, जो साथी तारों से गैस खींचते हैं, जिससे एक्स-रे बनते हैं।
  • सुपरमैसिव ब्लैक होल (Supermassive Black Holes): आकाशगंगा के केंद्रों में पाए जाने वाले, ये सैकड़ों हजारों से लेकर अरबों सौर द्रव्यमान तक के होते हैं, जो संभवतः शुरुआती ब्रह्मांड में बने थे।
  • मध्यम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल (Intermediate-Mass Black Holes): एक सैद्धांतिक ‘मिसिंग लिंक’ आकार सैकड़ों से लेकर सैकड़ों हजारों सौर द्रव्यमान तक होता है, जिसका पता लगाना मुश्किल होता है।
  • आद्य ब्लैक होल (Primordial Black Holes): ये ब्लैक होल बिग बैंग के तुरंत बाद काल्पनिक रूप से बने हैं; इनका द्रव्यमान संभावित रूप से बहुत कम या 1,00,000 सौर द्रव्यमान तक होता है।

ब्लैक होल निर्माण पर नई परिकल्पना

  • विशिष्ट गठन: पारंपरिक रूप से माना जाता है कि ब्लैक होल एक विशाल नष्ट होते हुए तारे के सुपरनोवा विस्फोट के माध्यम से बनते हैं, जहाँ तारे का कोर नष्ट हो जाता है और इसकी बाहरी परतें बाहर निकल जाती हैं।
  • नई परिकल्पना: शोधकर्ताओं का सुझाव है कि कुछ ब्लैक होल विस्फोट के बिना एक लचीले ‘प्रत्यक्ष पतन’ के माध्यम से बन सकते हैं।
    • V404 सिग्नी का निर्माण संभवतः “प्रत्यक्ष पतन” या ‘फेल्ड सुपरनोवा’ के कारण हुआ, जहाँ तारा बिना किसी विस्फोटक घटना के नष्ट हो गया।
  • फेल्ड सुपरनोवा परिकल्पना (Failed Supernova Hypothesis): यह त्रिगुण प्रणाली संभवतः विस्फोटक सुपरनोवा के अभाव के कारण बची रही है।
    • विस्फोट न होने से ब्लैक होल ने सहयोगी तारों के स्थायित्त्व को बनाए रखा, तथा सुपरनोवा विस्फोट के कारण संभवतः यह तंत्र विखंडित हो गया होगा।
  • प्रत्यक्ष पतन प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में, तारा इतनी तेजी से नष्ट होता है कि सुपरनोवा सक्रिय नहीं हो पाता, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ के निष्कासन के बिना ही विस्फोट हो जाता है।

निष्कर्षों के निहितार्थ

  • ट्रिपल सिस्टम इवोल्यूशन: यह खोज इस सिद्धांत का समर्थन करती है कि कई ब्लैक होल बाइनरी ट्रिपल सिस्टम के माध्यम से बन सकते हैं, जिनमें से एक अन्य तारा अंततः ब्लैक होल द्वारा निगल लिया जाता है।
  • नया साक्ष्य: यह ट्रिपल इवोल्यूशन के माध्यम से ब्लैक होल बाइनरी गठन का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है, जो संभावित रूप से ब्लैक होल सिस्टम की मानवीय समझ को नया रूप दे सकता है।

ब्लैक होल का महत्त्व

  • सिद्धांतों का परीक्षण: ब्लैक होल भौतिकी के मूलभूत सिद्धांतों, जैसे कि सामान्य सापेक्षता और क्वांटम यांत्रिकी के परीक्षण के लिए प्रयोगशालाएँ हैं।
  • आकाशगंगा के विकास को समझना: ब्लैक होल आकाशगंगाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ऐसा माना जाता है कि आकाशगंगा के केंद्र में स्थित अतिविशाल ब्लैक होल, जिसे सैजेटेरियस A* (Sagittarius A) कहा जाता है, ने पृथ्वी के निर्माण को प्रभावित किया है।
  • गुरुत्वाकर्षण तरंग खगोल विज्ञान: ब्लैक होल के विलय से गुरुत्वाकर्षण तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिनका उपयोग ब्रह्मांड को नए तरीके से देखने के लिए किया जा सकता है।
  • तारकीय विकास: ब्लैक होल के निर्माण और विकास से विशाल तारों और सुपरनोवा के जीवन चक्र के बारे में जानकारी मिल सकती है।

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