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2 वर्षों में पहली बार कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट

Lokesh Pal September 06, 2025 04:59 67 0

संदर्भ

भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा जारी नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण (SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट, 2023 से भारत की जन्म दर और प्रजनन प्रवृत्ति में उल्लेखनीय गिरावट की जानकारी मिलती है।

SRS, 2023 के प्रमुख निष्कर्ष

  • जनसांख्यिकीय निहितार्थ: दो वर्षों में पहली बार, कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट आई है, जिसके महत्त्वपूर्ण जनसांख्यिकीय और नीतिगत निहितार्थ हैं।
  • अशोधित जन्म दर (Crude Birth Rate- CBR): प्रति 1,000 जनसंख्या पर 19.1 (वर्ष 2022) से घटकर 18.4 (वर्ष 2023) हो गई।
    • उच्चतम CBR: बिहार (25.8)।
    • न्यूनतम CBR: तमिलनाडु (12)।
  • कुल प्रजनन दर (TFR): कुल प्रजनन दर वर्ष 2023 में घटकर 1.9 हो गई, जो वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में 2.0 थी।
    • उच्चतम TFR: बिहार (2.8), उसके बाद उत्तर प्रदेश (2.6), मध्य प्रदेश (2.4), राजस्थान (2.3) और छत्तीसगढ़ (2.2)।
    • न्यूनतम TFR: दिल्ली (1.2), पश्चिम बंगाल (1.3), तमिलनाडु (1.3), महाराष्ट्र (1.4)।
  •  अशोधित मृत्यु दर (Crude Death Rate- CDR): अशोधित मृत्यु दर 6.8 (वर्ष 2022) से घटाकर 6.4 (वर्ष 2023) हो गई।
    • उच्चतम CDR: ओडिशा (8.3)।
    • न्यूनतम CDR: दिल्ली (4.1)।
  • शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate- IMR): राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 है, जो वर्ष 2022 की तुलना में एक अंक की गिरावट और पिछले पाँच वर्षों की तुलना में 7 अंकों की गिरावट है।
  • जन्म के समय लिंगानुपात (SRB): वर्ष 2023 में प्रति 1,000 पुरुषों पर 917 महिलाएँ थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन अंकों का सुधार है।
    • SRB: जन्म के समय लिंगानुपात छत्तीसगढ़ (974) और केरल (971) में सबसे अधिक है एवं उत्तराखंड (868) में सबसे कम है, जबकि बिहार का SRS 964 (वर्ष 2020) से घटकर 897 (वर्ष 2023) हो गया।
  • वृद्ध जनसंख्या: वृद्धों का अनुपात वर्ष 2023 में बढ़कर 9.7% हो जाएगा, जो एक वर्ष में 0.7 प्रतिशत अंक की वृद्धि को दर्शाता है।
    • वृद्ध जनसंख्या हिस्सेदारी: केरल में सबसे अधिक (15%), असम, दिल्ली और झारखंड में सबसे कम (~7.6-7.7%)।

PWOnlyIAS विशेष

  • CBR: किसी दिए गए वर्ष में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर जीवित जन्मों की संख्या। यह जनसंख्या के समग्र प्रजनन स्तर को दर्शाता है।
  • TFR: एक महिला द्वारा अपने प्रजनन वर्षों (15-49) के दौरान अपेक्षित बच्चों की औसत संख्या।
  • CDR: किसी दिए गए वर्ष में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर मृत्यु की संख्या। यह जनसंख्या में मृत्यु दर के रुझान को दर्शाता है।
  • IMR: प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर एक वर्ष की आयु तक पहुँचने से पूर्व मरने वाले शिशुओं की संख्या। यह स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और सामाजिक-आर्थिक विकास का एक संवेदनशील संकेतक है।
  • SRB: किसी जनसंख्या में प्रति 1,000 पुरुष जन्मों पर महिला जन्मों की संख्या। कम SRB अक्सर लैंगिक पूर्वाग्रह एवं लैंगिक-चयनात्मक प्रथाओं को दर्शाता है।
  • वृद्ध जनसंख्या हिस्सेदारी: कुल जनसंख्या में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों का अनुपात। यह वृद्धावस्था की प्रवृत्ति और वरिष्ठ कल्याण उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण (SRS) के बारे में

  • प्रारंभ: वर्ष 1970 में भारत के महापंजीयक (RGI), केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा।
  • उद्देश्य: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जन्म दर, मृत्यु दर, प्रजनन दर, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर, तथा लिंगानुपात के विश्वसनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करता है।
  • क्षेत्र: विश्व के सबसे बड़े जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों में से एक, जिसमें प्रतिनिधि ग्राम और शहरी ब्लॉकों को शामिल किया गया है।
  • महत्त्व
    • जनगणना के विभिन्न चरणों के बीच स्वास्थ्य एवं जनसंख्या संकेतकों का प्रमुख स्रोत।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सतत् विकास लक्ष्य, परिवार नियोजन और मातृ-शिशु स्वास्थ्य नीतियों की निगरानी में सहायक।
    • नीति आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राज्यों द्वारा नियोजन एवं मूल्यांकन के लिए उपयोग किया जाने वाला डेटा।

सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ

  • जनसांख्यिकीय परिवर्तन: भारत अब 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में प्रतिस्थापन स्तर से नीचे प्रजनन दर (TFR <2.1) पर पहुँच गया है, जो स्थिरीकरण की ओर जनसांख्यिकीय परिवर्तन को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय विभाजन: उत्तरी और मध्य राज्यों में प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर प्रजनन दर बनी हुई है, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में प्रतिस्थापन स्तर से नीचे का रुझान जारी है, जिससे जनसंख्या असंतुलन और गहन हो रहा है।
  • वृद्धावस्था चुनौती: वृद्धजनों की हिस्सेदारी बढ़कर 9.7% हो जाने के साथ, भारत कुछ क्षेत्रों में युवा जनसंख्या और अन्य क्षेत्रों में तेजी से वृद्धावस्था की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है।
  • लिंग अनुपात संबंधी चिंताएँ: बिहार, दिल्ली, हरियाणा एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लगातार SRB असंतुलन, निरंतर लैंगिक पूर्वाग्रह और लिंग-चयनात्मक प्रथाओं का संकेत देता है।
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: शिशु मृत्यु दर में गिरावट एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, लेकिन रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि 40 में से 1 शिशु की अभी भी जन्म के बाद के पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाती है।

आगे की राह

  • संतुलित जनसंख्या नीति: क्षेत्रीय असमानताओं का समाधान की आवश्यकता है, जैसे उत्तर में प्रजनन क्षमता का स्थिरीकरण और दक्षिण में वृद्धावस्था प्रबंधन।
  • लैंगिक समानता के उपाय: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को मजबूत करना और विषम जन्म दर (SRB) को ठीक करने के लिए सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना।
  • स्वास्थ्य हस्तक्षेप: विशेष रूप से उच्च शिशु मृत्यु दर (IMR) वाले राज्यों में मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल में सुधार करना।
  • वृद्ध सहायता प्रणालियाँ: बढ़ती वरिष्ठ जनसंख्या के लिए पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना।
  • आँकड़ों का संग्रह: साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS), नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS), और मृत्यु के कारण का चिकित्सा प्रमाणन (MCCD) डेटासेट का समय पर प्रकाशन आवश्यक है।

SRS, CRS और MCCD के बीच तुलना

प्रणाली प्राधिकरण/ आधार उद्देश्य प्रमुख विशेषताएँ
नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) भारत के महापंजीयक (RGI) जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर (infant mortality rate- IMR), प्रजनन प्रवृत्तियों का विश्वसनीय अनुमान प्रदान करता है। दोहरी प्रणाली: अंशकालिक गणनाकार द्वारा सतत् गणना और पर्यवेक्षक द्वारा स्वतंत्र अर्द्ध वार्षिक सर्वेक्षण।
नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) कानूनी ढाँचा: जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969। जन्म, मृत्यु, मृत जन्म का सार्वभौमिक पंजीकरण। कानूनी प्रमाण-पत्र, नियोजन के लिए जनसांख्यिकीय डेटा और जनसंख्या अनुमान के लिए आधार प्रदान करता है।
मृत्यु के कारण का चिकित्सा प्रमाणन (MCCD) उसी अधिनियम के तहत CRS से जुड़ा हुआ। कारण-विशिष्ट मृत्यु दर डेटा कैप्चर करता है। डॉक्टर मानक प्रपत्र में मृत्यु के कारण को प्रमाणित करता है; महामारी विज्ञान, स्वास्थ्य योजना और रोग पैटर्न की निगरानी में मदद करता है।

निष्कर्ष

SRS के वर्ष 2023 के आँकड़े संकेत देते हैं कि भारत जनसांख्यिकीय परिपक्वता के चरण में प्रवेश कर रहा है, जहाँ अधिकांश राज्यों में प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे स्थिर हो रही है। हालाँकि, क्षेत्रीय स्तर पर प्रजनन असंतुलन, वृद्धावस्था के दबाव और लैंगिक पूर्वाग्रह को समता, समावेशिता और न्याय एवं गरिमा के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित नीतियों के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए।

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