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राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025

Lokesh Pal January 27, 2025 03:29 347 0

संदर्भ

हाल ही में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने नई दिल्ली में ‘राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक’ (Fiscal Health Index- FHI) 2025 शीर्षक से नीति आयोग की रिपोर्ट का प्रथम अंक प्रकाशित किया।

राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) 2025 के बारे में

  • यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है एवं जनवरी 2025 में नीति आयोग द्वारा जारी की गई।
  • उद्देश्य: भारत में राज्यों के वित्तीय स्थिति की समझ विकसित करना।
  • कवरेज: इसमें अठारह प्रमुख राज्य शामिल हैं जो भारत की GDP, जनसांख्यिकी, कुल सार्वजनिक व्यय, राजस्व एवं समग्र वित्तीय स्थिरता में अपने योगदान के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की GDP, जनसांख्यिकी, सार्वजनिक व्यय, राजस्व तथा राजकोषीय स्थिरता में उनके योगदान पर राज्यों का आकलन करता है।
  • स्रोत का उपयोग किया गया: यह रिपोर्ट राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक की गणना के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से प्राप्त डेटा का उपयोग करती है।
  • FHI राज्य के वित्तीय स्थिति का आकलन करने, सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने एवं राज्यों में सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करता है
  • मूल्यांकन संबंधी संकेतक: FHI पाँच प्रमुख संकेतकों पर आधारित है:
    • व्यय की गुणवत्ता: दक्षता एवं विकासात्मक व्यय पर ध्यान।
    • राजस्व जुटाना: कर एवं गैर-कर राजस्व सृजन क्षमता।
    • राजकोषीय विवेक: घाटे का प्रबंधन करने की क्षमता।
    • ऋण सूचकांक: राजस्व के सापेक्ष ऋण स्तर।
    • ऋण स्थिरता: राजकोषीय तनाव के बिना ऋण स्तर बनाए रखने की क्षमता।

रिपोर्ट से मुख्य निष्कर्ष

  • राज्य श्रेणियाँ
    • अचीवर्स: ओडिशा, छत्तीसगढ़, गोवा एवं झारखंड को शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • इन राज्यों का पूंजी परिव्यय सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 4% तक अधिक है।
      • वे कम राजकोषीय घाटे एवं राजस्व अधिशेष वाले राज्य हैं।
      • उन्हें कम ब्याज भुगतान करना पड़ता है, जो राजस्व प्राप्तियों का 7% तक होता है।
    • फ्रंट रनर्स (Front-Runners): महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक को ‘फ्रंट रनर्स’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • इन राज्यों में 73% तक का उच्च विकासात्मक व्यय है।
      • वे अपने स्वयं के कर राजस्व में लगातार वृद्धि प्रदर्शित करते हैं।
      • वे 24% के ऋण-से-GDP अनुपात के साथ संतुलित राजकोषीय प्रबंधन एवं बेहतर ऋण स्थिरता दिखाते हैं।
    • परफार्मर (Performers): तमिलनाडु, बिहार, राजस्थान एवं हरियाणा को परफार्मर की श्रेणी में रखा गया है।
    • आकांक्षी राज्य (सबसे खराब प्रदर्शन): पंजाब, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं केरल को आकांक्षी राज्यों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
      • इन राज्यों को उच्च राजकोषीय घाटे सहित महत्त्वपूर्ण राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
      • वे कम राजस्व संग्रहण एवं बढ़ते ऋण बोझ को प्रदर्शित करते हैं, जिससे ऋण स्थिरता के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
      • केरल एवं पंजाब निम्न-गुणवत्ता वाले व्यय तथा ऋण स्थिरता से जूझ रहे हैं।
      • पश्चिम बंगाल को राजस्व जुटाने तथा ऋण सूचकांक प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
      • आंध्र प्रदेश की पहचान उच्च राजकोषीय घाटे वाले राज्य के रूप में की गई है।

शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य: ओडिशा

  • 67.8 के उच्चतम समग्र सूचकांक स्कोर के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य।
  • 99.0 के स्कोर के साथ ऋण सूचकांक में सर्वोच्च स्थान पर है एवं 64.0 के स्कोर के साथ ऋण स्थिरता में भी अग्रणी है।
  • कम राजकोषीय घाटे एवं एक मजबूत ऋण संरचना को बनाए रखा।
  • औसत से ऊपर पूँजी परिव्यय-से-GSDP अनुपात एवं गैर-कर राजस्व के प्रभावी संग्रहण को दर्शाता है।

दक्षिणी राज्यों के लिए चुनौतियाँ

  • तेलंगाना अपने मजबूत राजस्व जुटाव एवं राजकोषीय समझदारी के कारण दक्षिणी राज्यों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभरा है।
  • तमिलनाडु को उच्च प्रतिबद्ध व्यय के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो इसके राजस्व व्यय का 52% है। 
  • यह प्रवृत्ति, जो वर्ष 2018-19 से 9.9% की वार्षिक दर से बढ़ रही है, ने विकासात्मक खर्च के लिए राज्य के लचीलेपन को कम कर दिया है।
    • केरल निम्न-गुणवत्ता वाले व्यय एवं कमजोर ऋण स्थिरता से जूझ रहा है।
  • आंध्र प्रदेश को उच्च राजकोषीय घाटे की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे यह सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक बन गया है।

FHI का महत्त्व

  • व्यापक राजकोषीय मूल्यांकन: FHI भारतीय राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य में मूल्यवान, डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा, नीति निर्माताओं को सूचित निर्णय लेने में सहायता करेगा एवं पूरे देश में आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देगा।
  • सूचित निर्णय लेना: यह डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो नीति निर्माताओं को बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, राज्यों को वित्तीय सुधारों एवं बेहतर प्रशासन की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
  • राजकोषीय अनुशासन एवं सतत् विकास को बढ़ावा देता है: सुधार के क्षेत्रों को उजागर करके, FHI राज्यों को ठोस वित्तीय प्रथाओं को अपनाने, स्थायी आर्थिक विकास एवं राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा एवं सहकारी संघवाद को बढ़ावा: FHI की रैंकिंग क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने एवं समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र तथा राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हुए राज्यों को अपने वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए प्रेरित करती है।

नीति आयोग 

  • नीति आयोग एक सरकारी थिंक-टैंक है, जिसका गठन तत्कालीन योजना आयोग के स्थान पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था।
  • स्थापना: योजना आयोग, जिसे वर्ष 1950 में स्थापित किया गया था, को 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
  • संघटन
    • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री।
    • उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है।
    • गवर्निंग काउंसिल: इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे।
    • क्षेत्रीय परिषद: इसमें मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों को शामिल किया गया है तथा इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री या उनके द्वारा नामित व्यक्ति द्वारा की जाती है।
    • अंशकालिक सदस्य: अग्रणी विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संगठनों और अन्य प्रासंगिक संस्थानों से अधिकतम दो सदस्य, जो चक्रीय आधार पर सेवा देंगे।
    • पदेन सदस्य: केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य, प्रधानमंत्री द्वारा नामित।
    • मुख्य कार्यकारी अधिकारी: भारत सरकार के सचिव के पद के साथ एक निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है।
    • विशेष आमंत्रित सदस्य: प्रधानमंत्री द्वारा नामित, क्षेत्र विशेष के जानकार विशेषज्ञ।
  • भूमिका: नीति आयोग विकास प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण दिशात्मक और रणनीतिक इनपुट प्रदान करता है।
  • संस्थापक सिद्धांत: नीति आयोग सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। 
  • नीति आयोग हब
    • टीम इंडिया हब: राज्यों एवं केंद्र के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
    • ज्ञान एवं नवाचार केंद्र: नीति आयोग के थिंक-टैंक कौशल का निर्माण करता है।

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